सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बीआर गवई ने समाचार एजेंसी ANI को दिए इंटरव्यू में कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपनी राय रखी। उन्होंने बुलडोजर कार्रवाई, कोर्ट में जूता फेंकने की घटना, कोलेजियम की पारदर्शिता और कार्यकारिणी के दबाव जैसे सवालों पर खुलकर बात की।

 

जस्टिस गवई ने कहा कि उन्होंने नागरिकों को पूरा अधिकार दिया था कि अगर कहीं नियमों का उल्लंघन हो रहा हो तो वे हाई कोर्ट जा सकते हैं। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि अगर कोई कोर्ट के आदेश का पालन नहीं करता तो उसे कोर्ट की अवमानना का दोषी माना जाएगा। लोगों के घर बुल्डोजर के जरिए तोड़े जाने पर उन्होंने कहा कि उन्होंने इस बात के सख्त निर्देश दिए थे कि अगर सही प्रक्रिया के बाद भी किसी का घर गलत तरीके से तोड़ा गया, तो सरकार को वह घर दोबारा बनाना होगा और गलती करने वाले अधिकारियों से पैसा वसूलना होगा।’

 

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कोर्ट में जूता फेंकने की घटना पर

पूर्व CJI ने बताया कि जब उन पर एक वकील ने जूता फेंका था, तब उन्होंने उस वकील के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करने को कहा था। उन्होंने कहा, 'शायद यह मेरी परवरिश का असर है। उस वक्त मुझे पता भी नहीं था कि यह मेरे किसी बयान या फैसले से जुड़ा है। मैंने तुरंत फैसला लिया कि केस को आगे बढ़ाना चाहिए। यह पल भर में लिया गया फैसला था।'

 

कोलेजियम पारदर्शी है या नहीं?

कोलेजियम में पारदर्शिता के सवाल पर जस्टिस गवई ने कहा, 'कोलेजियम पूरी तरह पारदर्शी है। यह कहना कि कोलेजियम अपारदर्शी है, सही नहीं है। जस्टिस खन्ना के समय से हम उम्मीदवारों से खुद बात करते हैं। हम हाई कोर्ट के जजों, राज्य सरकारों, मुख्यमंत्री, राज्यपाल और कानून मंत्रालय से भी राय लेते हैं। सभी बातों को ध्यान में रखकर ही अंतिम फैसला लिया जाता है।'

 

 

 

 

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नेताओं का कितना दबाव?

वहीं पूर्व सीजेआई ने ज्युडिशियरी में राजनीतिक दबाव के बारे में भी बात की। जब उनसे पूछा गया कि क्या मुख्य न्यायाधीश रहते कभी सरकार या नेताओं का दबाव उनके ऊपर पड़ा, तो जस्टिस गवई ने साफ कहा, 'नहीं, सचमुच कभी नहीं।' उनका कहना था कि उनके ऊपर कभी भी राजनीतिक दबाव नहीं पड़ा।