सुप्रीम कोर्ट ने तलाक-ए-हसन पर नाराजगी जाहिर की है और कहा है कि क्या किसी भी सभ्य समाज में इस तरह के रिवाज क्यों होने चाहिए। तलाक-ए-हसन, तीन तलाक से अलग है। सुप्रीम कोर्ट ने तलाक की इस विधि पर नाराजगी जाहिर करते हुए पक्षकारों से पूछा है कि ऐसे रिवाज को सामाजिक मंजूरी क्यों दी जा रही है। सुप्रीम कोर्ट, पत्रकार बेनजीर हिना की एक याचिका पर सुनवाई कर कर रहा था। याचिका में इस तरह के तलाक की वैधता को संवैधानिक चुनौती दी गई थी।
इस्लाम में सामान्य तौर पर 5 तरह के तलाक होते हैं। तलाक-ए-अहसन, तलाक-ए-हसन, तलाक-ए-बिद्दत, खुला और मुबारात। सुप्रीम कोर्ट ने तलाक-ए-हसन पर टिप्पणी की है। इस्लाम का एक तबका इस तलाक का पक्षधर है, जिसे लेकर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की है।
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सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा है?
इस रिवाज पर सवाल उठाते हुए, जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, 'ये क्या चीज है? 2025 में भी आप इसको बढ़ावा दे रहे हैं? हम कोई भी अच्छी धार्मिक प्रथा मानते हैं, लेकिन क्या इसकी इजाजत दी जानी चाहिए। ये किसी धर्म की पुरानी प्रथा है, क्या इसे 2025 में भी चलने देना चाहिए जब ये एकतरफा है और औरत को बहुत तकलीफ देती है?'
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तलाक-ए-हसन क्या है?
सुप्रीम कोर्ट के वकील शुभम गुप्ता के मुताबिक, 'तलाक-ए-हसन, मुस्लिम पर्सनल लॉ में मान्य तलाक की विधि है। इस तरीके को इस्लाम में बेहतर माना जाता है। यह सुन्नी मुसलमानों के सबसे बड़े फिरका, हनफी समुदाय में प्रचलित है। तलाक-ए-हसन में पति अपनी पत्नी को हर बार तुहर की पवित्र अवस्था में एक-एक तलाक देता है। पहला तलाक: पहली तुहर में, दूसरा तलाक, दूसरी तुहर में और तीसरा तलाक, तीसरी तुहर में देता है।'
एडवोकेट शुभम गुप्ता ने कहा, 'हर तलाक के बीच पति-पत्नी के बीच शारीरिक संबंध नहीं बनना चाहिए। तीन तलाक पूरे होने पर निकाह खत्म हो जाता है और इसे अच्छा तलाक माना जाता है क्योंकि पत्नी को तीन महीने का 'इद्दत' वक्त मिलता है और 'रजू' की गुंजाइश रहती है।'
- तुहर: मासिक धर्म के बाद का समय, जब पति-पत्नी में शारीरिक संबंध बनाने की इजाजत होती है।
- इद्दत: 3 महीने का समय इद्दत का समय होता है। इसका इंतजार इसलिए किया जाता है, जिससे यह पता चल सके कि महिला गर्भवती है या नहीं।
- रजू: तलाक-ए-हसन के दौरान पति को मिला हुआ अधिकार है। वह तलाक को वापस ले सकता है। अगर इद्दत की अवधि खत्म नहीं हुई है तो तलाक को कभी भी खत्म किया जा सकता है।
सवाल क्यों उठ रहे हैं?
दिल्ली हाई कोर्ट की वकील स्निग्धा त्रिपाठी ने कहा कि कई वजहें हैं, जिनके चलते तलाक की इस प्रक्रिया पर सवाल उठते हैं-
- तलाक-ए-हसन में पति तीन महीने तक हर महीने एक बार 'तलाक' शब्द बोलकर, या लिखकर तलाक दे सकता है। अगर बीच में सहवास न हो तो तीसरे महीने तलाक पक्का हो जाता है। यह अक्सर देखा जाता है कि पति अक्सर वकील के जरिए नोटिस भेजते हैं, फिर कोर्ट में इनकार कर देते हैं, जिससे महिलाएं न तो तलाक साबित कर पाती हैं और न ही दोबारा शादी कर पाती हैं। इससे उन्हें पॉलीएंड्री का आरोप झेलना पड़ता है।
- तलाक-ए-हसन के इस केस में याचिकाकर्ता का कहन है कि उनके पति ने दहेज कम मिलने की वजह से वकील के जरिए तलाक नोटिस भेजा, लेकिन बाद में इनकार कर दिया। याचिकार्ता, अपने बच्चे को स्कूल में एडमिशन भी नहीं दिला पाईं, क्योंकि तलाक साबित नहीं हो पाया था।
- कोर्ट का कहना है कि ऐसी प्रथाएं पूरे समाज को प्रभावित करती है। उन महिलाओं पर ज्यादा असर पड़ता है जो कानूनी या आर्थिक रूप से कमजोर हैं। अब अदालत की चिंता भी यह है कि अगर कोई महिला दोबारा शादी कर ले तो पुराना पति आकर उस पर 'बहु-विवाह' का आरोप लगाएगा? क्या सभ्य समाज में यह होना चाहिए।
क्या है मामला?
सुप्रीम कोर्ट में इस केस की सुनवाई 3 जजों की बेंच कर रही है। जस्टिस सूर्यकांत के अलावा जस्टिस उज्जल भूयान और जस्टिस एनके सिंह भी बेंच में शामिल हैं। बेनजीर हिना ने इस तरह के तलाक को संविधान का उल्लंघन बताते हुए एक जनहित याचिका दायर की थी। याचिका में कहा गया है कि यह प्रैक्टिस बेमतलब, मनमानी और संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 21 और 25 का उल्लंघन है। कोर्ट ने कहा कि जब कोई मुद्दा बड़े पैमाने पर समाज को प्रभावित करता है तो कोर्ट को दखल देना पड़ता है।
जस्टिस सूर्यकांत:- पूरा समाज इसमें शामिल है। कुछ सुधार करना होगा। अगर बहुत ज्यादा भेदभाव हो रहा है, तो कोर्ट को दखल देना होगा।
अब आगे क्या?
जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि अदालत इसे 5 जजों की संवैधानिक बेंच को भेज सकती है। पार्टियों से उनका पक्ष मांगा जा सकता है। उन्होंने कहा, 'आप में शॉर्ट नोट देंगे, हम 5 जजों की बेंच को भेजने पर विचार करेंगे। हमें वे सवाल बताएं जो उठ सकते हैं। फिर हम देखेंगे कि उन्हें कैसे हल किया जा सकता है।'
हिना के वकील ने बेंच को बताया कि जिस तरह से उनके पति ने तलाक-ए-हसन का नोटिस भेजा था, वह साबित नहीं कर पाईं कि उनका तलाक हो गया है, भले ही पति ने दूसरी शादी कर ली। याचिकाकर्ता ने कहा था कि तलाक दहेज की मांग को लेकर हुआ था।
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याचिका क्यों दायर की गई?
याचिकाकर्ता का कहना है, 'मैं स्कूलों में अपने बच्चों का एडमिशन कराना चाहती थी। मैंने हर जगह कहा कि मैं तलाकशुदा हूं। मेरे दस्तावेज स्वीकार ही नहीं किए गए। एडमिशन रिजेक्ट कर दिया गया। मैंने बताया कि बच्चे के पिता ने दोबारा शादी कर ली है।'
दोबारा कब होगी सुनवाई?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इस मामले की अगली सुनवाई 26 नवंबर को होगी।
