क्रिकेटर मोहम्मद शमी और उनके परिवार के खिलाफ पत्नी हसीन जहां ने 2018 में पश्चिम बंगाल के जादवपुर में आपराधिक मामला दर्ज कराया था। दोनों के बीच गुजारा भत्ता का विवाद चला। 2018 में ही बंगाल की एक निचली अदाल ने मोहम्मद शमी को 1.3 लाख रुपये महीना देने का निर्देश दिया। आदेश के मुताबिक बेटी को 80 हजार और पत्नी हसीन जहां को 50 हजार देने थे। 

 

हसीन जहां ने निचली अदालत के फैसले को कलकत्ता हाई कोर्ट में चुनौती दी है। 1 जुलाई 2025 को हाई कोर्ट ने गुजारा भत्ता 1.3 लाख से बढ़ाकर 4 लाख रुपये महीना कर दिया। इसमें 1.5 लाख हसीन जहां और 2.5 लाख लाख उनकी बेटे को मिलने थे। 25 अगस्त को हाई कोर्ट की एक अन्य बेंच ने भी मामले की सुनवाई की और कोई संशोधन नहीं किया।

 

 

 

हसीन जहां ने हाईकोर्ट के फैसले का स्वागत किया, लेकिन महंगाई और अल्ट्रा लग्जरी लाइफ स्टाइल का हवाला देते हुए भत्ते की रकम को कम बताया। हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की। 

 

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7 नवंबर यानी शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने हसीन जहां की याचिका पर मोहम्मद शमी और बंगाल सरकार को नोटिस जारी किया। दोनों को चार हफ्ते में जवाब दाखिल करना है। वरिष्ठ अधिवक्ता शोभा गुप्ता और श्री राम परकट ने हसीन जहां का पक्ष रखा। हसीन जहां के वकीलों ने तर्क दिया कि मोहम्मद शमी एक आलीशान जीवन व्यतीत कर रहे हैं। उन्होंने शमी पर जानबूझकर अपनी पत्नी और नाबालिग बेटी को गरीबी में छोड़ देने का आरोप लगाया है।

 

अदालत को यह भी बताया कि हाई कोर्ट में दाखिल हलफनामे के मुताबिक शमी का महीने का खर्च 1. 08 करोड़ से अधिक है। उनकी संपत्ति 500 करोड़ रुपये आंकी गई। यह भी कहा कि शादी के बाद पत्नी बेरोजगार है। आय का कोई स्रोत भी नहीं है। हसीन जहां का दावा है कि अभी शमी के पास गुजारे भत्ते का 2.4 करोड़ रुपये बांकी है। हाईकोर्ट ने आठ किश्तों में भुगतान करने को कहा है।  

 

सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा और न्यायमूर्ति उज्जल भुयान की पीठ ने याचिका पर सुनवाई की और पूछा आपने यह मामला क्यों दाखिल किया? क्या 4 लाख रुपये हर महीने ठीक नहीं है? इस बीच हसीन जहां का एक पुराना वीडियो वायरल हो रहा है। इसमें उन्होंने शमी की जीवन शैली के आधार पर गुजारा भत्ता मिलने की मांग करती दिख रही हैं। उनका यह वीडियो कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश के बाद आया था।

 

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हसीन जहां ने कहा, 'गुजारा भत्ता पति की आय और सामाजिक स्थिति के आधार पर तय होती है। सर्वोच्च न्यायालय के सख्त निर्देशों के अनुसार एक पति को अपनी पत्नी और बच्चों को वैसी ही शानदार जीवनशैली देनी होती है, जैसी वह स्वयं जीता है। इसलिए शमी अहमद की शानदार जीवनशैली को देखते हुए मेरा मानना ​​है कि चार लाख बहुत कम है। हमने सात साल और चार महीने पहले 10 लाख की मांग की थी। अब बढ़ती महंगाई को देखते हुए हम इसमें संशोधन की मांग करेंगे।'