महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने गुरुवार को पुणे की एक जमीन डील में भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के आरोपों की जांच के लिए एक समिति गठित की है। यह मामला नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (NCP) के अध्यक्ष और उपमुख्यमंत्री अजित पवार के बेटे पार्थ पवार से जुड़े एक कंपनी से संबंधित है। अजित पवार ने इस मामले में अपनी किसी भी भूमिका से इनकार किया है। जांच की जिम्मेदारी राजस्व विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव विकास खड़गे को सौंपा गया है। 

पुणे के जिला कलेक्टर ने कहा है कि बिक्री दस्तावेज को रद्द कर दिया जाएगा। पार्थ पवार सबके निशाने पर हैं। पार्थ को लेकर विपक्ष भी सत्तारूढ़ सरकार पर सवाल खड़े कर रही है। यह भी कहा जा रहा है कि इस कार्रवाई का असर, महायुति गठबंधन पर भी पड़ सकता है। महाराष्ट्र में महायुति गठबंधन में एनसीपी, बीजेपी और शिवसेना के बीच गठबंधन है। आखिर पार्थ पवार सबके निशाने पर कैसे आएं, कौन हैं, आइए
जानते हैं।

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पार्थ पवार कौन हैं?

पार्थ पवार एनसीपी के दिग्गज नेता शरद पवार के चचेरे पोते हैं। पार्थ के पिता अजित पवार हैं। पार्थ का राजनीतिक सफर 2019 के लोकसभा चुनाव से शुरू हुआ। उन्हें पुणे के पास मावल सीट से एनसीपी का उम्मीदवार बनाया गया। यह फैसला उनके पिता अजित पवार ने समर्थन किया था, ताकि पार्थ को परिवार की राजनीतिक विरासत का चेहरा बनाया जा सके। 

शरद पवार ने खुद चुनाव लड़ने का इरादा छोड़कर पार्थ को मौका दिया। पार्थ को शिवसेना के उम्मीदवार से दो लाख से ज्यादा वोटों से हार का सामना करना पड़ा। पार्थ पवार अब मावल और पिंपरी-चिंचवड़ इलाकों में सक्रियता बढ़ाई है। वह पार्टी की मीटिंग्स और जनसंपर्क कार्यक्रमों में हिस्सा लेते हैं। 

क्यों चर्चा में रहते हैं पार्थ पवार?

अजित पवार की छवि सेक्युलर नेता की रही है। पार्थ की बढ़ती सक्रियता उनके पिता अजित पवार की बीजेपी के साथ नजदीकी से जुड़ी है। अजित पवार के शरद पवार गुट से अलग होने के बाद पार्थ के बयान भी दक्षिणपंथी नेताओं की तरह रहे हैं। अब वह सधे कदमों से राजनीति कर रहे हैं। अजित पवार, महायुति का हिस्सा जरूर हैं लेकिन शिवसेना और बीजेपी से अलग, महायुति में राजनीति करते हैं।

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कब-कब चर्चा में आए पार्थ पवार?

पार्थ पवार के सोशल मीडिया पोस्ट और बयान अक्सर विवादों में रहे हैं। जुलाई 2020 में सुशांत सिंह राजपूत की मौत पर पार्थ ने एमवीए सरकार के रुख के खिलाफ सीबीआई जांच की मांग की। उन्होंने कहा था कि यह युवाओं की आकांक्षाओं की मौत का प्रतीक है।


सितंबर 2020 में अयोध्या राम मंदिर उद्घाटन का समर्थन करते हुए उन्होंने इसे राम राज्य की शुरुआत बताया। शरद पवार ने इसे अपरिपक्व बताया था। अक्टूबर 2020 में ही मराठा आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के स्टे के खिलाफ याचिका दाखिल करने का एलान किया था, जिस पर अजित पवार ने नाराजगी जाहिर की थी। 

2024 में ही पार्थ पवार ने गैंगस्टर गजानन मारणे से मुलाकात की थी। अजित पवार ने सार्वजनिक रूप से कहा था कि यह गलत था। पार्थ को गैंगस्टर से नहीं मिलना चाहिए था। यह मुलाकात पुणे के कोथरूड इलाके में हुई थी। पार्थ युवाओं में अपनी सक्रीयता बढ़ा रहे थे। 

 

क्या कह रहे हैं पार्थ पवार?

मैंने कुछ गलत नहीं किया। डील पूरी तरह कानूनी है। 

अब किस केस में सामने आया नाम?

साल 2022 में पहली बार यह केस सामने आया। कोरेगांव पार्क के पास पुणे के मुंधवा इलाके में 40 एकड़ जमीन का एक सौदा हुआ। इस जमीन की कीमत करीब 1,800 करोड़ रुपये बताई जा रही है, लेकिन इसे अमेडिया एंटरप्राइजेज एलएलपी को सिर्फ 300 करोड़ रुपये में बेचा गया। साथ ही, 21 करोड़ रुपये का स्टांप ड्यूटी छूट भी मिली। पार्थ इस कंपनी के पार्टनर हैं। विपक्षी नेता इसे राजनीतिक प्रभाव का दुरुपयोग और भूमि हस्तांतरण कानूनों का उल्लंघन बता रहे हैं। तत्कालीन सीएम देवेंद्र फडणवीस ने पहले ही जांच के आदेश दिए थे।