महाराष्ट्र में सरकार से बार-बार खफा क्यों हो रहा जैन समाज?
जैन समुदाय और सरकार में टकराव के कई मामले हाल के दिनों में सामने आए हैं। आखिर यह क्यों हो रहा है, क्या स्थितियां बन रही हैं, अनसुलझे सवाल क्या हैं, आइए समझते हैं।

सेठ हीराचंद नेमचंद दिगंबर स्मारक ट्रस्ट के जमीन सौदे के बाद विरोध प्रदर्शन करते लोग। (Photo Credit: PTI)
महाराष्ट्र में जैन समुदाय के राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन के बाद चैरिटी कमिश्नर ने पुणे ने जैन ट्रस्ट की एक संपत्ति की बिक्री रद्द कर दी है। यह संपत्ति एक बिल्डर को बेच दी गई थी, जिसकी वजह से जैन समुदाय के लोग गुस्से में थे। जैन समुदाय ट्रस्ट की जमीन के सौदे के खिलाफ प्रदर्शन कर रहा था। कंस्ट्रक्शन कंपनी गोखले लैंडमार्क्स एलएलपी ने सेठ हीराचंद नेमचंद दिगंबर स्मारक ट्रस्ट की मॉडल कॉलोनी स्थित 3.5 एकड़ की संपत्ति खरीदी थी। जैन समुदाय के लोग इस फैसले का विरोध कर रहे थे।
3.5 एकड़ की इस संपत्ति में एक हॉस्टल बना है और यहीं एक जैन मंदिर भी है। चैरिटी कमिश्नर ने सेठ हीराचंद नेमचंद दिगंबर स्मारक ट्रस्ट को गोखले लैंडमार्क्स के साथ समझौता करने की इजाजत देने वाले आदेश को रद्द कर दिया। यह आदेश अप्रैल 2025 को जारी किया गया था। जैन समुदाय, सरकारी आदेश के खिलाफ राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन कर रहा था।
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मुरलीधर मोहोल, केंद्रीय मंत्री:-
भगवान महावीर के समक्ष दिया गया वचन कि 'जैन समाज के मन में जो होगा, वही होगा', आज धर्मादाय आयुक्त के एचएनडी बोर्डिंग के परिणामों के साथ पूरा हुआ है। दोनों पक्षों की ओर से इस बोर्डिंग लेनदेन को रद्द करके, जैन समाज के मन की बात आज, हमारे वचन देने की पहली तारीख से पहले ही हो गई है!
आखिर ट्रस्ट की जमीन को बेचने की नौबत क्यों आई?
पुणे की मॉडल कॉलोनी में जैन ट्रस्ट की यह जमीन 3.5 एकड़ में फैली है। जमीन सेठ हीराचंद नेमचंद स्मारक ट्रस्ट की है। यहां जैन मंदिर और गरीब छात्रों के लिए हॉस्टल है। साल 1958 से यह निर्बाध रूप से चल रहा है। इस साल चैरिटी कमिश्नर ने जमीन को गोखले कंस्ट्रक्शंस को बेचने की मंजूरी दे दी। जैन समाज के लोगों ने कहा कि ट्रस्ट के नियमों का उल्लंघन करके यह सौदा किया गया है। मंदिर का जिक्र तक छिपा लिया गया। जैन समुदाय ने तर्क दिया कि ट्रस्ट का मकसद गरीब बच्चों की मदद करना है, अब इस मदद पर ही तलवार लटक गई। अब वक्ती राहत मिला है।
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अब चैरिटी कमिश्नर ने अपने आदेश में क्या लिखा है?
गोखले लैंडमार्क्स एलएलपी और एसएचएनएसटी के ट्रस्टी 10 अक्टूबर, 2025 के 'सेल डीड' और पावर ऑफ अटॉर्नी को रद्द करने के लिए सही तरीका अपनाएं। यह उपाय जल्द से जल्द किया जाना चाहिए। सेल डीड रद्द होने पर, ट्रस्टियों को गोखले लैंडमार्क्स को बिक्री मूल्य की पूरी राशि वापस करनी चाहिए।
सौदे की रकम क्या थी?
सेठ हीराचंद नेमचंद दिगंबर स्मारक ट्रस्ट की संपत्ति को पुणे स्थित गोखले लैंडमार्क्स एलएलपी ने इसी साल ट्रस्ट से 311 करोड़ रुपये में खरीदा था। ट्रस्ट को करीब 230 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया था। बची हुई राशि को छात्रावास की मरम्मत पर खर्च किया जाना था। अब यह सौदा ही रद्द कर दिया गया है।
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जैन समुदाय गुस्से में क्यों है?
सेठ हीराचंद नेमचंद दिगंबर स्मारक ट्रस्ट की जमीन पुणे में है। जैन ट्रस्ट की 300 करोड़ रुपये की जमीन का सौदा हुआ तो जैन समुदाय नाराज हो गया। हजारों जैन, संत और महिलाएं सड़कों पर उतर आईं। सबके निशाने पर भारतीय जनता पार्टी रही। विवाद के केंद्र में देवेंद्र फडणवीस सरकार और बीजेपी आ गई। वजह यह है कि जैन समुदाय को लोग बीजेपी का पारंपरिक वोटर मानते हैं। कई बार कुछ मुद्दों को लेकर बीजेपी और जैन समुदाय के बीच टकराव हुआ है।
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कब कब सरकार के खिलाफ जैन समुदाय का गुस्सा भड़का?
- अप्रैल 2025: अप्रैल की बात है। मुंबई के विले पार्ले इलाके में कई दशक पुराना जैन मंदिर था। इस मंदिर को बीएमसी ने अवैध बताते हुए तोड़ दिया। मंदिर प्रशासन ने कोर्ट में अपील की थी लेकिन कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी। जैन समाज ने इसे अपनी धार्मिक भावनाओं के खिलाफ बताया और बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन किया। इस मामले में स्थानीय राजनीतिक हस्तियों और जैन मुनि भी शामिल हुए। जैन समाज ने इस कार्रवाई को अनुचित और जल्दबाजी वाला कदम बताया क्योंकि उनकी अपील लंबित थी और बिना पूरी प्रक्रिया के यह कदम उठाया गया था।
- जुलाई 2025: जैन धर्म के मूल सिद्धांतों में जीवों की सेवा भी है। जैन पंरपरा में जीव सेवा, दायित्व की तरह है। जीवों पर दया करना धर्म माना जाता है। हिंदू धर्म में भी इसे धार्मिक कार्य माना जाता है। बॉम्बे हाई कोर्ट के प्रतिबंध के बाद BMC ने 51 कबूतरखाने बंद कर दिए। दादर का मशहूर कबूतरखाना भी तिरपाल से ढक दिया। जैन मुनि निलेशचंद्र विजय ने कहा कि जैन धर्म में जीवदया सर्वोपरि है, और अगर जरूरत पड़ी तो वे धर्म की रक्षा के लिए हथियार उठा सकते हैं। जैन समाज ने 13 अगस्त से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल की चेतावनी दी थी। मराठी समुदाय और मराठी एकता समिति ने कबूतरखाना को बंद रखने की मांग की, जिससे विवाद और भड़क गया। जैन समुदाय इस फैसले पर बेहद नाराज आए।
- जुलाई 2025: एक तरफ कबूतर का मुद्दा गरमाया था, दूसरी तरफ एक हथिनी को गुजरात भेजने के बाद भी जैन समुदाय के लोग सड़कों पर उतर आए। कोल्हापुर के एक जैन मठ में एक हथिनी 'महादेवी' को PETA की शिकायत पर गुजरात भेजा दिया गया था। पहले हाई कोर्ट ने यह फैसला सुनाया, सुप्रीम कोर्ट ने भी इस फैसले को कायम रखा। जैन समुदाय इससे आहत हुआ और सड़कों पर उतर आया।
प्रकाश आंबेडकर:-
आज मैंने पुणे स्थित एचएनडी जैन बोर्डिंग का दौरा किया। इस बार मैंने जैन मुनियों से बातचीत की। इस बोर्डिंग के प्रबंधन के बारे में उन्होंने पूरी जानकारी दी। इस पूरे मामले में चैरिटी कमिश्नर और ट्रस्टी दोषी हैं। ट्रस्ट इस तरह संपत्ति नहीं बेच सकता। इस मामले में एक कानून है।
क्यों सियासत हो रही है?
जैन समुदाय के संत, छात्र और महिलाओं ने प्रदर्शन किया। पुणे के BJP सांसद और केंद्रीय मंत्री मुरलीधर मोहोल का नाम आया तो समाज का गुस्सा और भड़क गया। आरोप लगे कि मुरलीधर मोहोल का लिंक, बिल्डर से है। बार-बार मुरलीधर मोहोल इस कनेक्शन से इनकार करते रहे। उन्होंने जैन नेताओं से मुलाकात की और कहा कि इस विवाद को सुलझा लेंगे। यह विवाद सुलझ नहीं पाया। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मुरलीधर मोहोल से बात की। सरकार ने डील पर रोक लगा दी और जांच के आदेश दिए। बिल्डर ने रविवार को डील से पीछे हटने का ऐलान कर दिया। अब ट्रस्ट कमिश्नर ने ही यह सौदा रद्द कर दिया है।
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मुरलीधर मोहोल:-
पुणे के जैन समुदाय के किसी भी व्यक्ति ने इस मामले में मुझ पर अविश्वास जताते हुए व्यक्तिगत आरोप नहीं लगाए हैं। लेकिन कुछ राजनेताओं ने जानबूझकर स्वार्थी कारणों से झूठे आरोप लगाकर मुझे बदनाम करने की कोशिश की। फिर भी, मेरे और समुदाय के बीच संबंधों में दरार आने की कोई संभावना नहीं थी। इस प्रकार, जैन समुदाय के बंधुओं ने मुझ पर जो विश्वास दिखाया है, उसके लिए मैं समुदाय का सदैव आभारी रहूंगा!
महाराष्ट्र की सियासत में कितने अहम हैं जैन?
महाराष्ट्र में जैन समुदाय की आबादी करीब 14 लाख है। देश की कुल जैन आबादी का 32 फीसदी हिस्सा, महाराष्ट्र में है। राज्य की आबादी में 1.25 फीसदी वाले इस समुदाय का सियासी कद बड़ा है। बड़े उद्योगपति और सियासी रसूख वाले जैन समुदाय का 5.4 फीसदी हिस्सा शहर में रहता है, 3.7 फीसदी आबादी कस्बाई इलाकों में रहती है। महाराष्ट्र की 288 सीटों वाली विधानसभा में 7 विधायक जैन हैं। 6 जैन विधायक बीजेपी के हैं, एक विधायक एनडीए का ही है। जैन समुदाय, बीजेपी का कोर वोटर रहा है। बड़ा वर्ग व्यापारी है तो सरकार को फंडिंग भी खूब मिलती है।
बीजेपी ने क्या कदम उठाए हैं?
बीजेपी ने अब डैमेज कंट्रोल कर लिया है। यह फैसला रद्द हो चुका है। देवेंद्र फडणवीस ने कबूरखाने पर भी लगी रोक में ढील दी है। नियंत्रित दाना डालने की इजाजत दी है। सरकार के बड़े मंत्री जैन संतों से मुलाकात कर रहे हैं।
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