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अक्सर चर्चा में रहता है सम्मेद शिखर, जैन धर्म के लिए खास क्यों?

झारखंड के गिरिडीह जिले में स्थित श्री सम्मेद शिखर जैन धर्म के अनुयायियों के लिए विशेष महत्व रखता है। जैन धर्म के ग्रंथों में श्री सम्मेद शिखर के महत्व को मोक्ष केंद्र के रूप में बताया गया है।

Shri Sammed Shikharji

श्री सम्मेद शिखर की तस्वीर: Photo Credit: Wikipedia

झारखंड के गिरिडीह जिले में स्थित श्री सम्मेद शिखर जैन धर्म के अनुयायियों के लिए बहुत पवित्र तीर्थ स्थल माना जाता है। इसे 'तीर्थराज' और 'सिद्धक्षेत्र' भी कहा जाता है। मान्यता के अनुसार,  यहां जैन धर्म के 24 में से 20 तीर्थंकरों ने तपस्या कर मोक्ष प्राप्त किया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यह स्थल न केवल आध्यात्मिक शक्ति का केंद्र माना जाता है, बल्कि मोक्ष और आत्म-शुद्धि का प्रतीक भी माना जाता है। हाल ही में, झारखंड सरकार ने श्री सम्मेद शिखर को पर्यटन स्थल घोषित करने की योजना बनाई थी, जिसको लेकर जैन समाज के लोगों ने विरोध भी किया था। जैन समुदाय ने इसे धार्मिक स्थल बनाए रखने की मांग की है, जिससे इसकी पवित्रता बनी रहे।

 

हर वर्ष लाखों जैन तीर्थयात्री यहां की कठिन पर्वतारोहण यात्रा करके देवी-देवताओं और तीर्थंकरों को समर्पित अनुष्ठान संपन्न करते हैं। प्राकृतिक सुंदरता और शांत वातावरण की वजह से यह स्थल साधना और ध्यान के लिए भी सर्वोत्तम माना जाता है। श्री सम्मेद शिखर जैन धर्म में इसलिए बहुत मान्य है क्योंकि इसे मोक्षमार्ग की प्राप्ति का केंद्र, तीर्थंकरों की तपस्या स्थल और धार्मिक श्रद्धा का प्रतीक माना जाता है।

 

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जैन धर्म में श्री सम्मेद शिखर का महत्व

मोक्ष की प्राप्ति का स्थल: जैन धर्म के अनुसार, इस पर्वत पर 24 में से 20 तीर्थंकरों ने मोक्ष की प्राप्ति की है। इनमें भगवान पार्श्वनाथ भी शामिल हैं, जिनकी टोंक (समाधि स्थल) इस पर्वत पर स्थित है। इसलिए इसे 'सिद्धक्षेत्र' कहा जाता है। 

 

शाश्वत तीर्थ: जैन ग्रंथों में वर्णित है कि सृष्टि के आरंभ से ही श्री सम्मेद शिखर का अस्तित्व रहा है, जिससे इन्हें 'अमर तीर्थ' माना जाता है। 

 

धार्मिक अनुष्ठान और साधना: यहां हर साल लाखों जैन धर्मावलंबी तीर्थ यात्रा करते हैं। श्रद्धालु यहां 27 किलोमीटर की यात्रा करते हैं, जिसमें 9 किलोमीटर की चढ़ाई, 9 किलोमीटर की उतराई और 9 किलोमीटर की पर्वत वंदना शामिल है। 

 

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पवित्रता और पर्यावरणीय प्रभाव

श्री सम्मेद शिखर का प्राकृतिक वातावरण भी बहुत पवित्र माना जाता है। यहां के जंगलों में पाए जाने वाले शेर, बाघ आदि जंगली पशुओं का स्वाभाविक हिंसक व्यवहार नहीं देखा जाता, जिससे तीर्थयात्री बिना भय के यात्रा करते हैं।

कैसे पहुंचे श्री सम्मेद शिखर पर्वत

श्री सम्मेद शिखर जी का सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन ईसरी में है, जो पारसनाथ स्टेशन के नाम से जाना जाता है। कोलकाता जाने वाली कई ट्रेनें इस स्टेशन से होकर ही गुजरती हैं। स्टेशन से महज 23 किलोमीटर की दूरी पर मधुबनी जिला है, जहां श्री सम्मेद शिखर जी स्थित है। आप पारसनाथ स्टेशन से गाड़ी या बस लेकर यहां आसानी पहुंच सकते हैं। अगर आप फ्लाइट से जाना चाहते हैं तो रांची (झारखंड), पटना और कोलकाता में इसका सबसे नजदीकी हवाई अड्डा है।

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