नवरात्रि का छठा दिन मां दुर्गा के कात्यायनी स्वरूप को समर्पित है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जब महिषासुर जैसे दैत्य ने तीनों लोकों में उत्पात मचाया, तब देवताओं की संयुक्त शक्ति से देवी ने कात्यायनी रूप धारण कर उसका वध किया और धर्म की रक्षा की। यही वजह है कि मां कात्यायनी को वीरता, पराक्रम और उग्र शक्ति का प्रतीक माना जाता है। नवरात्रि में देवी की पूजा का विशेष विधान बताया गया है।
मान्यता है कि मां कात्यायनी की साधना से विवाह में आ रही रुकावटें दूर होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि और आत्मविश्वास बढ़ता है। देवी की आरती गाकर और प्रसाद चढ़ाकर पूजा संपन्न की जाती है। विशेष रूप से विवाह योग्य कन्याओं के लिए नवरात्रि का छठा दिन बेहद शुभ माना गया है। शास्त्रों में वर्णित है कि जो कन्याएं देवी कात्यायनी की सच्चे मन से उपासना करती हैं, उन्हें योग्य वर की प्राप्ति होती है और जीवन में सभी प्रकार की बाधाओं से मुक्ति मिलती है।
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देवी कात्यायनी के प्रमुख मंदिर
श्री कात्यायनी पीठ, वृंदावन (मथुरा, उत्तर प्रदेश)
मान्यता के अनुसार, यह मंदिर 1923 में बनाया गया था। यह मंदिर देवी कात्यायनी को समर्पित है और यहां रोज पूजा-अर्चना, भोग आरती होती है।
कात्यायनी मंदिर, मथुरा-वृंदावन (भक्तिवेदांत स्वामी मार्ग, गोदाविहार)
यहां देवी कात्यायनी की मूर्ति है और यह स्थान भक्तों के बीच शादी-विवाह की कामना आदि के लिए प्रसिद्ध है।
छतरपुर मन्दिर, दिल्ली
दिल्ली में स्थित यह मंदिर आद्य कात्यायनी शक्तिपीठ के नाम से भी जाना जाता है।
श्री कात्यायनी बाणेश्वर मंदिर, अवेर्सा, अंकोला, कर्नाटक
इस मंदिर का कोंकणी सामाजिक-समुदाय में विशेष महत्व दिया जाता है।
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देवी कात्यायनी मंत्र
बीज मंत्र- ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ॐ कात्यायन्यै नमः॥
ध्यान मंत्र- चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना। कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनी॥
नवरात्रि विशेष मंत्र (विवाह योग्य कन्याओं के लिए प्रचलित)
ॐ कात्यायनि महामाये महायोगिन्यधीश्वरि। नन्दगोपसुतं देवि पतिं मे कुरु ते नमः॥
मां कात्यायनी की आरती
ॐ जय कात्यायनी माता, जय जय अम्बे माता।
तुम बिन सुख न पावत, कोई भी नर-नारी॥
सिंह सवारी माता, महिमा अति न्यारी।
मणि-मुक्तन से सजी, ज्योत जगे भारी॥
तेरा नाम जपें सब, मनवांछित फल पावत।
जो कोई ध्यावे, सो ही सुख पावत॥
भोग लगाऊं मैया, धारुं तेरा ध्यान।
मनोकामना पूरी कर दो, जगत जननि भगवान॥
ॐ जय कात्यायनी माता, जय जय अम्बे माता।
तुम बिन सुख न पावत, कोई भी नर-नारी॥
पूजा विधि
- सुबह स्नान कर घर या मंदिर के पूजास्थल को स्वच्छ करें।
- देवी कात्यायनी की प्रतिमा या चित्र को लाल या पीले वस्त्र पहनाएं।
- मां कात्यायनी को गुलाबी फूल और शहद चढ़ाना बहुत शुभ माना जाता है।
- धूप, दीप, अक्षत, रोली और चंदन से पूजन करें।
- बीज मंत्र या ध्यान मंत्र का जप करें (कम से कम 108 बार जप उत्तम है)।
- देवी को भोग में शहद या खीर अर्पण करें।
- अंत में आरती गाकर प्रसाद वितरित करें।