दिल्ली के चांदनी चौक स्थित ऐतिहासिक श्री दिगंबर जैन लाल मंदिर एक बार फिर चर्चा में है। लाल बलुआ पत्थरों से बना यह प्राचीन मंदिर न केवल जैन समाज की आस्था का केंद्र है बल्कि राजधानी की धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत का अहम प्रतीक भी माना जाता है। हाल ही में लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास हुए धमाके के बाद इस क्षेत्र में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है। विस्फोट की वजह से आस-पास के कई प्रतिष्ठान और ऐतिहासिक स्थलों को भी हल्का नुकसान पहुंचा, जिसमें लाल मंदिर के शीशे टूटने की खबर सामने आई। फिलहाल, मंदिर प्रशासन ने स्थिति पर नियंत्रण होने की पुष्टि की है और श्रद्धालुओं को अफवाहों से दूर रहने की अपील की है।
यह मंदिर भगवान पार्श्वनाथ को समर्पित है और अपनी पक्षी अस्पताल (Bird Hospital) के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है, जहां घायल पक्षियों का मुफ्त इलाज किया जाता है। मंदिर के अंदर का यह अस्पताल जैन धर्म के अहिंसा सिद्धांत का प्रतीक माना जाता है। मंदिर के अंदर की नक्काशी, भव्य गुंबद और शांत वातावरण इसे दिल्ली का एक आध्यात्मिक केंद्र बनाते हैं। ठीक लाल किले के सामने स्थित इस मंदिर का इतिहास 17वीं शताब्दी से जुड़ा है, जब मुगल बादशाह शाहजहां ने जैन व्यापारियों को यहां जमीन दी थी।
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लाल मंदिर की विशेषता और धार्मिक मान्यता
- यह मंदिर दिल्ली के सबसे पुराने जैन मंदिरों में से एक है और आम तौर पर लाल मंदिर के नाम से जाना जाता है क्योंकि इसका निर्माण लाल बलुआ पत्थर से हुआ है।
- मुख्य रूप से यह पार्श्वनाथ जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर को समर्पित है और मंदिर में आदिनाथ और महावीर सहित अन्य तीर्थंकरों की मूर्तियां भी हैं।
- इस मंदिर के परिसर में एक अनोखी सुविधा है। मंदिर परिसर में पक्षियों के लिए हास्पिटल बनाया गया है, जो घायल या बीमार पक्षियों का फ्री में इलाज करता है।
- मंदिर चांदनी चौक के बाजार और दिल्ली के पुराने हिस्से में स्थित है जबकि इसके ठीक सामने लाल किला स्थित है, जो इसे स्थापत्य और ऐतिहासिक दृष्टि से भी खास बनाता है।
निर्माण-काल एवं इतिहास
- इस मंदिर का मूल निर्माण 17वीं शताब्दी के मध्य में हुआ था। कुछ स्रोतों के अनुसार इसे 1656 ईस्वी या 1658 ईस्वी में बनाया गया था।
- मुगल बादशाह शाहजहां ने जैन व्यापारियों को चांदनी चौक के नीचे की जमीन दी थी, जहां उन्होंने इस मंदिर का आरंभिक रूप बनाया था।
- बाद में, लगभग 1800-1807 के दौरान राजा हर्षुख राय ने मंदिर में शिखर (गुम्बद) सहित प्रमुख बदलाव करवाए थे।
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मंदिर की स्थापत्य और अन्य विशेषताएं
- दिगंबर जैन मंदिर लाल बलुआ पत्थर से बना है, इस वजह से लाल मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। प्रवेश द्वार पर मणस्तम्भ (पिलर) हैं और आगे स्तम्भों से घिरे आंगन और सीढ़ियां हैं। मंदिर परिसर में किताबों की दुकान, जैन ग्रंथों और साहित्य के लिए एक सेक्शन और अहिंसा के प्रतीक के रूप में पक्षी चिकित्सालय मौजूद है।
- दर्शनार्थियों के जूते-चप्पल आदि उतारने की प्रथा है, क्योंकि जैन सिद्धांत के अनुसार गैर-हिंसा (अहिंसा) का पालन करना है।
पहुंचने का मार्ग
मंदिर का पता: नेताजी सुभाष मार्ग, चांदनी चौक, दिल्ली-110006।
सबसे नजदीकी मेट्रो स्टेशन: चांदनी चौक मेट्रो स्टेशन (रेड लाइन) - मंदिर लगभग 1-1.5 किमी दूरी पर है।
सड़क मार्ग से दिल्ली-चांदनी चौक क्षेत्र में बहुत-सी बसें और ऑटो-रिक्शा उपलब्ध हैं।
