मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर पीठ ने अल-फलाह विश्वविद्यालय के चांसलर जवाद अहमद सिद्दीकी के परिवार को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने उनके पुश्तैनी मकान में अनिधिकृत निर्माण को हटाने वाले नोटिस पर अंतरिम रोक लगा दी है। यह नोटिस महू कैंटोनमेंट बोर्ड ने जारी किया था। इसमें जवाद अहमद सिद्दीकी के परिवार को तीन दिन का समय दिया गया था।
महू कैंटोनमेंट बोर्ड के अधिकारियों का कहना है कि जवाद अहमद सिद्दीकी के पिता हम्माद अहमद कई वर्षों तक शहर काजी थे। हालांकि उनका निधन हो चुका है। महू के मुकेरी मोहल्ला में स्थित मकान नंबर 1371 कैंटोनमेंट बोर्ड के रिकॉर्ड में हम्माद अहमद के नाम पर दर्ज है। नोटिस भी इसी मकान के खिलाफ जारी किया गया है।
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याचिकाकर्ता ने कहा- सुनवाई का मौका नहीं मिला
महू कैंटोनमेंट बोर्ड के नोटिस को घर में रहने वाले अब्दुल मजीद ने हाई कोर्ट में चुनौती दी। अपनी याचिका में माजिद ने दावा किया कि 2021 में जवाद अहमद सिद्दीकी ने अपने पिता हम्माद अहमद की मौत के बाद यह संपत्ति हिबा- इस्लामिक गिफ्ट- के तहत दी थी। हिबानामा के मुताबिक वह अब इसका मालिक है। कैंटोनमेंट बोर्ड ने सुनवाई का मौका नहीं दिया और सीधा घर ढहाने का नोटिस जारी कर दिया।
वकील आशुतोष निमगांवकर ने हाई कोर्ट में कैंटोनमेंट बोर्ड का पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि इस मकान को लेकर पहले भी नोटिस जारी हो चुके हैं। मगर कोई जवाब नहीं दिया गया। इस कारण याचिकाकर्ता को जवाब देने का समय नहीं मिलना चाहिए।
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15 दिन में जवाब दाखिल करना होगा
दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद जस्टिस प्रणय वर्मा ने कहा कि नोटिस को देखने से लगता है कि याचिकाकर्ता को पहले भी नोटिस दिया गया था। मगर यह 30 साल पहले 1996-97 दिया गया था। अदालत ने कहा कि अगर पिछले नोटिस जारी होने की तारीख से करीब 30 साल बाद याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई कार्रवाई की जानी है तो उसे सुनवाई का मौका मिलना चाहिए। इसके बाद अदालत ने याचिकाकर्ता को 15 दिनों के भीतर सभी जरूरी दस्तावेजों के साथ रेस्पोंडेंट/कम्पिटेंट अथॉरिटी के सामने अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। अदालत ने कहा कि इसके बाद याचिकाकर्ता को सुनवाई का पूरा मौका दिया जाएगा।
बोर्ड ने कब जारी किया था नोटिस?
प्रवर्तन निदेशालय ने 18 नवंबर को अल-फलाह ट्रस्ट के चेयरमैन और अल-फलाह विश्वविद्यालय के चांसलर जवाद अहमद सिद्दीकी को गिरफ्तार किया था। इसके एक दिन बाद 19 नवंबर को महू कैंटोनमेंट बोर्ड ने उनके पैतृक आवास के खिलाफ नोटिस जारी किया था। इसमें कहा गया था कि अनिधिकृत निर्माण को तीन दिन में परिवार खुद ही हटा ले। अगर ऐसा नहीं किया तो बोर्ड नियमों के तहत अवैध निर्माण हटाएगा और प्रॉपर्टी के मालिक से इसका खर्च वसूला जाएगा।
