पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने चुनाव आयोग के द्वारा वोटिंग लिस्ट का विशेष गहन पुनरीक्षण (SIT) कराने को ‘वोटबंदी’ करार दिया है। उन्होंने सिलीगुड़ी में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में चुनाव आयोग से यह प्रक्रिया तत्काल रोकने की मांग की। सीएम बनर्जी ने यह भी कहा कि वह चुनाव से ठीक पहले एसआईआर कराने की जल्दबाजी को समझ नहीं पा रही हैं।

 

उन्होंने सिलीगुड़ी में मीडिया से कहा, 'भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार एसआईआर के नाम पर लोगों को परेशान कर रही है। जैसे कुछ नोटों को चलन से बाहर करना नोटबंदी थी, वैसे ही एसआईआर वोटबंदी है। यह सुपर इमरजेंसी का ही एक और रूप है'

 

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एसआईआर कराने की इतनी जल्दी क्यों?

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आरोप लगाया, 'चुनाव से ठीक पहले एसआईआर कराने की इतनी जल्दी मुझे समझ नहीं आ रही। चुनाव आयोग को यह प्रक्रिया तुरंत बंद करनी चाहिए। वोटर लिस्ट का पुनरीक्षण दो या तीन महीने में पूरा नहीं हो सकता। इसे जबरन करवाया जा रहा है'

 

 

 

जीएसटी के नाम पर लूट रही है सरकार

उन्होंने कहा कि बीजेपी एसआईआर के खिलाफ बोलने पर उन्हें जेल भेज सकती है या उनका गला भी काट सकती है। उन्होंने सरकार से लोगों के मताधिकार पर अंकुश नहीं लगाने की अपील की।

 

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मुख्यमंत्री ने वस्तु एवं सेवा कर (GST) की आलोचना की और इसे सरकार की एक भूल बताया। उन्होंने केंद्र सरकार से जीएसटी को वापस लेने की मांग की। उन्होंने आरोप लगाया, 'केंद्र सरकार जनता को जीएसटी के नाम पर लूट रही है।'

डर से बंगाल में 14 की मौत

पश्चिम बंगाल में अगले साल 2026 में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इस बीच राज्य की वोटर लिस्ट को दुरुस्त करने के लिए चुनाव आयोग के विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान चला रहा है। चुनाव आयोग के इस कदम से बंगाल में डर का माहौल पैदा कर दिया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, एसआईआर अभियान की वजह से अब तक राज्य में 14 लोगों की जान जा चुकी है। इन मौतों में आठ आत्महत्याएं भी शामिल हैं