बॉम्बे हाई कोर्ट ने सोमवार को तलाक के एक केस में पति पर अपनी इनकम छिपाने और तलाकशुदा पत्नी को कम भत्ता देने का दोषी मानते हुए पत्नी का गुजारा भत्ता सात गुना बढ़ा दिया। कोर्ट ने तलाकशुदा पत्नी का गुजारा भत्ता हर महीने 50,000 रुपये से बढ़ाकर 3.5 लाख रुपये कर दिया। पति ने कोर्ट को बताया था कि वह हर महीने सिर्फ 50,000 रुपये ही कमाता है और मुश्किल से उसका गुजारा हो पाता है। कोर्ट ने तलाकशुदा पति के इस दावे को हास्यस्पद बताया और हर महीने 3.5 लाख रुपये गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया। 

 

बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा कि उस व्यक्ति की आर्थिक स्थिति में सुधार आया है और वह कोर्ट को यह कह कर गुमराह कर रहा है कि वह गरीबी में अपना जीवन काट रहा है। कोर्ट ने यह भी कहा कि तलाकशुदा पत्नी ने एक मजबूत केस बनाया है कि उसे बहुत कम गुजारा भत्ता दिया जा रहा है। कोर्ट ने पाया कि उस व्यक्ति के पास करोड़ों की संपत्ति है और वह कोर्ट को गुमराह कर रहा है। कोर्ट ने उस आदमी को चार हफ्तों के अंदर एक साल के बकाया के रूप में उसकी तलाकशुदा पत्नी के खाते में 42 लाख रुपये जमा करने को कहा है।

 

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क्या है पूरा मामला?

कोर्ट में जिस कपल के केस पर सुनवाई चल रही थी, उनकी शादी 1997 में हुई थी। वह दोनों 16 साल तक एक साथ रहे और 2013 से अलग-अलग रह रहे थे। 2015 में उस आदमी ने अपनी पत्नी से तलाक लेने के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। फैमिली कोर्ट ने आंतरिक तौर पर पत्नी को 50,000 रुपये हर महीने गुजारे भत्ते के रूप में देने का आदेश दिया था। 2023 में फैमिली कोर्ट ने उनकी तलाक की अर्जी स्वीकार कर ली थी। कोर्ट ने 50,000 रुपये का स्थायी गुजारा भत्ता तय कर दिया था। 

पत्नी ने गुजारा भत्ता बढ़ाने की मांग की

फैमिली कोर्ट के फैसले से नाखुश पत्नी ने गुजारा भत्ता बढ़ाने को लेकर हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। पत्नी ने दावा किया कि उसे अपनी बेटी के साथ इतने कम भत्ते में गुजारा करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। उसके पति ने पत्नी की इस मांग का विरोध किया था। हाई कोर्ट ने कहा, 'यह सच है कि तलाकशुदा पत्नी को अपनी बेटी को शिक्षा देने और एक अच्छा लाइफ स्टाइल देने के लिए हर महीने 1 लाख रुये कमाने के लिए कई नौकरियां करने की जरूरत हो सकती है।' कोर्ट ने बढ़ती मंहगाई और बेटी की उम्र के साथ बढ़ते खर्चों की ओर भी ध्यान दिया।

पति ने कोर्ट में किए झूठे दावे

कोर्ट ने इस मामले में पाया कि पति का परिवार कई रियल एस्टेट और अन्य बिजनेस चलाता है और वह खुद को परिवार के बिजनेस का मैनेजर बताता था। कोर्ट ने पाया कि परिवार के बैंक खाते में उसका हिस्सा 100 करोड़े रुपये से भी ज्यादा था।  कोर्ट ने पति के उस दावे को हास्यस्पद बताया जिसमें उसने दावा किया था कि वह मात्र 50,000 रुपये मासिक आय के साथ गरीबी में जीवन जीने के लिए मजबूर है। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा, 'हमें यह बात ध्यान में नहीं रखनी चाहिए कि किसी जन्मदिन पर व्यक्ति मुफ्त शराब के साथ पार्टी करता है, मंहगे ब्रांड्स की टी-शर्ट पहनता है। इसमें कुछ भी गलत नहीं है लेकिन हमें दो बात पसंद नहीं आई वह यह है कि व्यक्ति गरीब बताता है और दावा करता है कि वह सालाना सिर्फ 6 लाख रुपये कमाता है।'

 

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कोर्ट ने बढ़ाया गुजारा भत्ता

कोर्ट ने पति के पारिवारिक बिजनेस में उसके हिस्से और पति के अकाउंट से उसके भाई के अकाउंट में 10 करोड़ रुपये से ज्यादा की ट्रांजेक्शन होने के सबूतों पर भी ध्यान दिया। हाई कोर्ट ने पति को इस बात के लिए भी फटकार लगाई की उसकी तलाकशुदा पत्नी को उनकी बेटी के योग, म्युजिक और अन्य क्लासेज के लिए खर्चों में कटौती करनी पड़ रही है। कोर्ट ने पति के दावों को झूठा करार दिया और हर महीने पत्नी को 3.5 लाख रुपये का गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया।