उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के एक गांव रामडीह में रेबीज की दहशत फैली है। गांव के लोग सरकारी अस्पताल में भाग-भागकर पहुंच रहे हैं, रेबीज से बचने के लिए वैक्सीन लगा रहे हैं। लोग अस्पतालों में पहुंचकर डॉक्टरों पर दबाव बना रहे हैं कि उन्हें एंटी रेबीज वैक्सीन लगाई जाए। स्वास्थ्यकर्मी लोगों को समझाते-समझाते थक रहे हैं कि वैक्सीन लगवाने की जरूरत नहीं है फिर भी ग्रामीण मान नहीं रहे हैं। लोगों को लग रहा है कि अगर उन्हें रेबीज की वैक्सीन नहीं दी गई तो वे रेबीज संक्रमण की चपेट में आ सकते हैं। सबको शक है कि जिस गाय के दूध से बना 'चरणामृत' उन्होंने चखा है, वह गाय कुत्ता काटने से मरी है, ऐसे में उन्हें भी रेबीज का संक्रमण हो सकता है।
रेबीज संक्रमित गाय का दूध पीने से किसी को रेबीज होता है, डॉक्टर इस पर सहमत नहीं हैं। ग्रामीणों के मन में लेकिन गहरे पैठ बैठ गई है कि उन्होंने रेबीज संक्रमित गाय के दूध से बने चरणामृत को चखा है, संक्रमित दूध पीने से उन्हें भी रेबीज का संक्रमण हो सकता है, इसलिए लोग आनन-फानन में एंटी रेबीज वैक्सीन लगवा रहे हैं। सरकारी अस्पतालों में मना करने के बाद लोग प्राइवेट अस्पतालों की ओर भी भाग रहे हैं। अब तक 140 से ज्यादा लोगों ने एंटी रेबीज वैक्सीन लगवा ली है।
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आखिर ऐसा हुआ क्यों?
29 अक्तूबर को रामडीह गांव में एक कथा हुई थी। कथा धर्मेंद्र गौड़ के घर हुई थी। कथा में गाय के दूध से बना चरणामृत बंटा था। गांव के ज्यादातर लोगों ने प्रसाद चखा था। शनिवार शाम में उसी गाय की मौत हो गई। गाय का इलाज कर रहे डॉक्टर ने कहा कि गाय की जान रेबीज की वजह से भी जा सकती है। मालिक ने भी डॉक्टर की बात में हामी भरी। अब ग्रामीणों में भी यह बात फैल गई। लोगों को शक हुआ कि रेबीज संक्रमित गाय का दूध पीने की वजह से कहीं उन्हें भी रेबीज न हो जाए।
यूपी के रामडीह गांव में हो क्या रहा है?
रामडीह गांव के 100 से ज्यादा लोगों ने रेबीज वैक्सीन का एक टीका लगवाया है। स्वास्थ्य विभाग कैंप लगाकर लोगों को जागरूक कर रहा है लेकिन लोग मान नहीं रहे हैं। उन्हें शक है कि कहीं रेबीज का संक्रमण उनके शरीर में न फैल जाए। बच्चे, बूढ़े, महिलाएं और युवा सब टीका लगवाने के लिए बेचैन हैं।
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अफवाह फैलने की इनसाइड स्टोरी
रामडीह में धर्मेंद्र गौड़ की गाय अचानक बीमार पड़ गई। उन्होंने इलाज के लिए एक पशु चिकित्सक को बुलाया। जांच हुई तो उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि गाय को कुत्ते ने काटा है और उसके शरीर में रेबीज का इंफेक्शन फैल गया है। जानवरों के डॉक्टर ने गाय का एक वीडियो भी रिकॉर्ड किया और अपने सीनियर अधिकारी को भेजा। सीनियर डॉक्टर ने कहा कि रेबीज है, गाय का व्यवहार अचानक बदलेगा और रेबीज का संक्रमण दिखने लगा।
सीनियर डॉक्टर ने धर्मेंद्र और वहां मौजूद दूसरे लोगों को सलाह दी कि जिसने भी गाय का दूध पिया है, उसे तुरंत एंटी-रेबीज इंजेक्शन लगवा लेने चाहिए, इससे पहले कि इंफेक्शन फैल जाए। डॉक्टर ने यह भी चेतावनी दी कि एक बार रेबीज हो गया तो इलाज नहीं हो पाएगा। गांव में एक बैठक भी स्वास्थ्य विभाग ने की थी। 29 नवंबर और 2 नवंबर को दो जगह पूजा हुई थी। दोनों जगहों पर प्रसाद के लिए एक ही गाय के दूध का इस्तेमाल हुआ था। धर्मेंद्र गौड़ को यह नहीं पता था कि गाय को कुत्ते ने काटा कब है।
दहशत क्यों फैली?
गाय ने अचानक तड़पना शुरू किया। चिल्लाने लगी। गांव में यह दहशत फैली और सीनियर डॉक्टर की बात पर भी चर्चा होने लगी। जिन लोगों ने गाय का प्रसाद चखा था या गाय का दूध पी रहे थे, वैक्सीन लगवाने लगे। अब तक 100 से ज्यादा लोग वैक्सीन लगवा चुके हैं। 3 से 6 महीने पहले भी जिन लोगों ने उस गाय मालिक से दूध खरीदा था, वे भी प्राइमरी हेल्थ केयर आकर वैक्सीन लगवा रहे हैं।
संक्रमित गाय का दूध पीने से रेबीज हो सकता है क्या?
इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में रामडीह के पास के एक PHC के मेडिकल ऑफिसर डॉ. जय प्रकाश तिवारी ने कहा है कि अभी तक इस बात के सबूत नहीं हैं कि किसी जानवर का दूध पीने से रेबीज होता हो। उन्होंने कहा कि स्थानीय लोगों ने यह कहा कि पशु चिकित्सक ने सावधानी के तौर पर उन्हें रेबीज वैक्सीन लेने के लिए कहा था।
