रेबीज एक घातक जानलेवा बीमारी है जो कुत्तों से काटने से होती है। ज्यादातर मामलों में रेबीज के कारण मौत हो जाती है। यह बीमारी कुत्तों के काटने या खरोंचने से होती है। हर साल होने वाली रेबीज से संबंधित मौतों में से लगभग 36% भारत में होती हैं जिनमें से 95-97% मामले कुत्तों के काटने के कारण होते हैं।
भारत में हर साल लगभग 1.74 करोड़ कुत्तों के काटने की घटनाएं होती हैं, जिसमें से 18000 से 20,000 लोगों की मौत का कारण रेबीज होता है। आइए जानते हैं इस बीमारी के लक्षण क्या है और इससे बचाव कैसे कर सकते हैं।
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कैसे फैलता है रेबीज
रेबीज एक जानलेवा बीमारी है जो मुख्य रूप से जानवरों से इंसानों में फैलती है। यह बीमारी रेबीज वायरस (Lyssavirus) के कारण होती है। यह वायरस संक्रमित जानवर के लार में पाया जाता है। इस वायरस का असर दिमाग और हमारे इम्यून सिस्टम पर पड़ता है। यह बीमारी आमतौर से संक्रमित जानवरों के काटने या खरोंचने से होती है। कुत्ते के अलावा यह बीमारा अन्य जानवरों के काटने से भी हो सकती हैं।
रेबीज के लक्षण
रेबीज के लक्षण आमतौर पर संक्रमण के 1 से 3 महीने बाद दिखाई देते हैं।
- बुखार
- सिरदर्द
- थकान
- मांसपेशियों में दर्द
- काटे हुई जगह पर खुजली और दर्द
- बेचैनी
- भ्रम या मानसिक असंतुलन
- ज्यादा लार आना
- पैरालिसिस
- रेबिज का इलाज
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रेबीज का इलाज
- पालतू जानवरों का टीकाकरण- पालतू जानवरों जैसे कुत्ते, बिल्लियों को नियमित रूप से रेबीज का टीका लगवाएं।
- आवरा कुत्तों से दूरी बनाए रखें- अवारा कुत्तों से दूरी बनाकर रखें क्योंकि उनसे रेबीज होने का खतरा सबसे ज्यादा रहता है।
- काटे जानें पर तुरंत साबुन से धोएं- अगर आपको किसी जानवर ने काट लिया है तो तुरंत घाव को साबुन और पानी से करीब 15 से 20 मिनट तक धोएं और फिर डॉक्टर के पास जाएं।
- जानवर के काटने या खरोंचने पर रेबीज का टीका जरूर लगवाएं।
Disclaimer: यह आर्टिकल इंटरनेट पर उपलब्ध जानकारियों पर आधारित है। विस्तृत जानकारी के लिए आप अपने किसी डॉक्टर की सलाह लें।