पश्चिम बंगाल में अगले साल 2026 में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इससे पहले राज्य की मतदाता सूची को दुरुस्त करने के लिए चुनाव आयोग के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) अभियान चला रहा है। चुनाव आयोग के इस कदम से बंगाल में डर का माहौल पैदा कर दिया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, एसआईआर अभियान की वजह से अब तक राज्य में 14 लोगों की जान जा चुकी हैइन मौतों में आठ आत्महत्याएं भी शामिल हैं

 

बंगाल से आई इस खबर ने सभी को चौंका दिया है क्योंकि मरने वालों की यह संख्या बंगाल के कई जिलों में दर्ज की गई है। मरने वालों में कई ग्रामीण लोग शामिल हैं।

 

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मृतकों की हुई पहचान

मृतकों की पहचान उत्तर 24 परगना के 57 साल के प्रदीप कर, और 32 साल की काकोली सरकार, पश्चिम मिदनापुर के 95 साल के खितीश मजूमदार, हुगली की रहने वाली 60 साल की हसीना बेगम और 49 साल के बिथी दास, हावड़ा के रहने वाले 30 साल के जहीर मल, बर्दवान पूर्व के 57 वर्षीय बिमल संतरा, पूर्वी मिदनापुर के 70 साल के शेख सिराजुद्दीन, दक्षिण 24 परगना के 45 साल के सहाबुद्दीन पाइक और 35 साल के सफीउल गाजी, मुर्शिदाबाद के 52 वर्षीय तारक साहा और मोहुल शेख, बीरभूम जिले के रहने वाले 37 साल के बिमान प्रमाणिक और जलपाईगुड़ी के लालूराम बर्मन रूप में हुई है।

 

मृतकों के परिवार के सदस्यों के मुताबिक, प्रदीप कर, काकोली सरकार, खितीश मजूमदार, बिथी दास, जहीर मल, सफीउल गाजी, तारक साहा और मोहुल शेख ने घबराहट में फांसी लगाकर या जहर खाकर जान दे दीवहीं, अन्य मृतकों की मौत चिंता के कारण हार्ट अटैक कड़ने से हुई

अन्य घटनाएं भी सामने आई

इस बीच, बंगाल में आत्महत्या के प्रयास की अन्य घटनाएं भी सामने आई हैंकूचबिहार के दिनहाटा में, खैरुल शेख नाम के एक किसान ने कीटनाशक खाकर आत्महत्या करने की कोशिश की, जिसके बाद उसे अस्पताल में भर्ती कराया गयाइसके अलावा उत्तर 24 परगना के खरदाहा में, अकबर अली नाम के एक युवक ने जहर खा लियाहालांकि बाद में उसे बचा लिया गया

 

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चुनाव आयोग की घोषणा के बाद घटनाएं

कथित तौर पर मौतों का सिलसिला 27 अक्टूबर को चुनाव आयोग की द्वारा मतदान की घोषणा के बाद शुरू हुआपरिवार के सदस्यों के मुताबिक, मरने वाले लोग पिछली एसआईआर वोटिंग लिस्ट (2002 की लिस्ट) में अपना नाम नहीं मिलने और वोटर आईडी कार्ड नहीं ढूंढ पाने की वजह से अपने भविष्य को लेकर चिंतित थेदरअसल, बंगाल में जिन लोगों के पास वोटर आईडी कार्ड नहीं है उनको एक महीने के भीतर एसआईआर वोटिंग लिस्ट के लिए आवेदन करना जरूरी है

 

जिन लोगों की मौत हुई है, उन्हें अपनी नागरिकता खोने और भारत से निर्वासन का भी डर था क्योंकि बीजेपी और टीएमसी एसआईआर को नागरिकता के मुद्दे से जोड़ रहे हैंतृणमूल कांग्रेस और बीजेपी ने पहले ही इस SIR पर आमने-सामनेगई हैं

 

टीएमसी सुप्रीमो और राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनके सांसद भतीजे अभिषेक बनर्जी ने एसआईआर को राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) का पिछला दरवाजा बताया हैनंदीग्राम से बीजेपी विधायक और विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने SIR प्रक्रिया में एक करोड़ वोटरों के नाम हटाए जाने की भविष्यवाणी की है। साथ ही दावा करते हुए कहा है कि बंगाल से घुसपैठियों को हटाना जरूरी है।