उत्तर प्रदेश के अयोध्या में राम जन्मभूमि पर राम मंदिर निर्माण के बाद आज 25 नवंबर को ध्वजारोहण किया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी धर्म ध्वज मंदिर के शिखर पर फहराएंगे। पीएम मोदी के अलावा संघ प्रमुख मोहन भागवत और कई क्षेत्रों के लगभग 8 हजार से ज्यादा लोग इस समारोह में शिरकत किए। इस कार्यक्रम में बाबरी मस्जिद के पूर्व पक्षकार रहे इकबाल अंसारी को भी बुलाया गया लेकिन जगतगुरु रामभद्राचार्य को निमंत्रण नहीं दिया गया जिस पर उन्होंने अपनी नाराजगी जताई।
एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में रामभद्राचार्य ने अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि मंदिर के निर्माण के लिए हम लोगों ने बलिदान दिया लेकिन आज जो लोग सवाल उठा रहे हैं उन्होंने आंदोलन में कभी हिस्सा नहीं लिया। पीएम मोदी ने धर्म ध्वज फहराया है। रामभद्राचार्य, खुद को प्रधानमंत्री मोदी का दोस्त बताते हैं। दोस्त के कार्यक्रम में न बुलाने को लेकर उन्होंने नाराजगी जाहिर की।
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'हमें उचित सम्मान नहीं मिला'
रामभद्राचार्य ने कहा, 'हमने 1984 से अब तक जो आहुति दी, जो श्रम किया, हम 1 महीने जेल में रहे, पुलिस के डंडे खाए। आज हमारा श्रम सफल हो गया।' जगतगुरु ने कहा, 'राम के उपासकों को आज उचित सम्मान नहीं मिल रहा है। 1984 में जब राम मंदिर आंदोलन शुरू हुआ तब से मैं इससे जुड़ा हूं। पुलिस के डंडे की वजह से मेरी दाहिनी कलाई टेढ़ी हो चुकी है।'
उन्होंने आगे कहा, 'राम मंदिर सुनवाई के दौरान मेरी गवाही भी कोर्ट में काफी महत्वपूर्ण साबित हुई। मैं आध्यात्मिक दृष्टि से भगवान राम को देखता हूं।'
'हमें कार्यक्रम में बुलाया नहीं गया'
जगतगुरु रामभद्राचार्य ने कहा, 'इतना सब करने के बाद भी हमारी उपेक्षाएं पूरी नहीं हुईं। हम लोगों को इस कार्यक्रम के लिए निमंत्रण भी नहीं भेजा गया। ये लोग किसी की सुनना ही नहीं चाहते।'
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जब उनसे पूछा गया कि इन सब चीजों को लेकर आप दुखी हैं तो उन्होंने कहा कि मैं दुखी तो नहीं पर रुष्ट बहुत हूं।
'जो नहीं गए उनके लिए दुर्भाग्य'
रामभद्राचार्य ने लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव के राम मंदिर न जाने पर भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, जो लोग दर्शन के लिए नहीं गए, उनके लिए यह दुर्भाग्य की बात है। प्रधानमंत्री मोदी के लिए यह सौभाग्य की बात है, जो वहां गए।
