logo

ट्रेंडिंग:

अमेरिकी कोर्ट ने रवींद्रन बायजू पर क्यों लगाया 1 अरब डॉलर का जुर्माना?

एडटेक कंपनी Byju's के फाउंडर रवींद्रन बायजू पर अमेरिकी कोर्ट ने 1 अरब डॉलर से ज्यादा का जुर्माना लगा दिया है। यह सारा मामला फंड के ट्रांसफर से जुड़ा है।

byju

रवींद्रन बायजू। (Photo Credit: Khabargaon)

शेयर करें

संबंधित खबरें

Reporter

अमेरिका की एक अदालत ने Byjus के संस्थापक बायजू रवींद्रन पर 1 अरब डॉलर से ज्यादा का जुर्माना लगाया है। डेलावेयर की बैंकरप्सी कोर्ट ने यह फैसला दिया है। कोर्ट ने BYJUs अल्फा और अमेरिकी कंपनी GLAS ट्रस्ट की याचिका पर लगाया है। रवींद्रन को यह पैसा BYJUs अल्फा और GLAS ट्रस्ट LLC को वापस करना है। 


BYJUs अल्फा रवींद्रन की Byjus की अमेरिकी सब्सिडियरी कंपनी है, जिसे 2021 में बनाया गया था। इसका काम 1.2 अरब डॉलर का लोन जुटाना था, जो अमेरिकी बैंकों और निवेशकों से लिया गया था। GLAS ट्रस्ट इन लोन देने वाली कंपनियों की एजेंट है।


अब 20 नवंबर को डेलावेयर की बैंकरप्सी कोर्ट ने रवींद्रन को 1.16 अरब डॉलर चुकाने का आदेश दिया है। यह फैसला इसलिए दिया है, क्योंकि रवींद्रन न तो अदालत में पेश हो रहे थे और न ही दस्तावेज जमा कर रहे थे।

 

यह भी पढ़ें-- जानलेवा न हो जाएं सांसें, इस डर ने कितना बड़ा कर दिया एयर प्यूरीफायर का बाजार?

कैसे शुरू हुआ यह पूरा मामला?

2021 में BYJUs अल्फा नाम की कंपनी बनाई गई। इसे ग्लोबल लेंडर्स के एक कंसोर्शियम से Byju's के लिए 1.2 अरब डॉलर का लोन जुटाने और मैनेज करने के लिए बनाया गया था।


साल 2022 में BYJUs अल्फा से 53.3 करोड़ डॉलर का फंड मियामी की एक फंड कंपनी कैमशाफ्ट कैपिटल को ट्रांसफर किए गए। आरोप लगा कि यह धोखाधड़ी से किया गया ट्रांसफर था। आरोप लगा कि यह सब पैसे छिपाने के लिए किया गया ताकि कर्जदाता को इनका पता न चल सके।


यह मामला तब सामने आया जब यूके की कंपनी OCI लिमिटेड के जरिए 53.3 करोड़ डॉलर की हेराफेरी की गई। कोर्ट फाइलिंग में कहा गया है कि यह पैसा BYJUs अल्फा को दिए गए लोन का हिस्सा था और तब से ही इसके गलत इस्तेमाल पर सवाल उठ रहे थे। हालांकि, OCI के चेयरमैन ओलिवर चेपमैन ने अदालत में एक हलफनामा दाखिल कर दावा किया कि रवींद्रन का इरादा 53.3 करोड़ डॉलर का ज्यादातर हिस्सा अपनी सिंगापुर की एक कंपनी को डायवर्ट करने का था।


इस ट्रांसफर के बाद Byju's से जुड़ी और कंपनियों के जरिए इन्वेस्टमेंट इंटरेस्ट में और बदलाव किए गए। डेलावेयर की बैंकरप्सी कोर्ट के जज ब्रैंडन शेनन ने इस सबके लिए रवींद्रन बायजू को जिम्मेदार ठहराया है।

 

यह भी पढ़ें-- एक मिनट के लिए X, ChatGPT ठप हो जाए तो कितना नुकसान होता है?

कोर्ट ने अपने फैसले में क्या कहा?

फंड का ट्रांसफर कथित तौर पर दो बार किया गया था। पहला ट्रांसफर 2022 में हुआ था, तब BYJUs अल्फा से जुड़े 53.3 करोड़ डॉलर ट्रांसफर हुए थे। वहीं, दूसरी बार 2023 में 54.06 करोड़ डॉलर का ट्रांसफर हुआ था। कुल मिलाकर 1.16 अरब डॉलर का ट्रांसफर किया गया था।


अदालत ने बार-बार रवींद्रन को पेश होने को कहा था और उनसे दस्तावेज भी मांगे थे लेकिन उन्होंने नजरअंदाज कर दिया। इसके बाद 11 अगस्त को कर्जदारों ने अदालत से डिफॉल्ट जजमेंट देने की मांग को लेकर याचिका दाखिल की। 


रवींद्रन पेश नहीं हुए, इसलिए कोर्ट ने 20 नवंबर को डिफॉल्ट जजमेंट दिया। कोर्ट ने रवींद्रन को 1.16 अरब डॉलर (करीब 9,800 करोड़ रुपये) चुकाने का आदेश दिया है। साथ ही BYJUs अल्फा के फंड का इस्तेमाल कैसे और कब किया गया, इसकी भी पूरी जानकारी देने को कहा है।


फैसले में अदालत ने कहा, 'इस मामले के तथ्य और हालात बताते हैं कि सवालों के ठीक से जवाब न देना रवींद्रन का निजी फैसला था।' कोर्ट ने रवींद्रन की उस दलील को भी खारिज कर दिया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि GLAS ट्रस्ट के पास BYJUs अल्फा की बुक्स के जरिए उन दस्तावेज तक पहुंच है, जो अदालत मांग रही थी। कोर्ट ने कहा कि रिकॉर्ड में ऐसा कुछ भी नहीं है, जो इस बात को साबित करे कि GLAS ट्रस्ट के पास जरूरी दस्तावेजों का एक्सेस है।

 

यह भी पढ़ें-- YouTube, Netflix या JioHotstar, सबसे ज्यादा कौन कमाता है?

अब आगे क्या होगा?

रवींद्रन के वकील मैकनट ने कहा कि यह एक डिफॉल्ट जजमेंट है, जिसका मतलब है कि अदालत ने रवींद्रन बायजू की बात सुने बिना ही फैसला सुनाया है।


उन्होंने कहा, 'हमारा मानना है कि अमेरिकी कोर्ट ने इस मामले में अपने फैसले में गलती की है और हम इसके खिलाफ अपील करेंगे। हमारे हिसाब से कोर्ट ने जरूरी बातों को नजरअंदाज किया है। रवींद्रन को अपना पक्ष रखने की इजाजत दी जानी चाहिए लेकिन ट्रायल में तेजी लाकर उन्हें ऐसा करने का अधिकार नहीं दिया गया।'


उन्होंने दावा किया कि डेलावेयर कोर्ट के फैसले में इस बात पर भी ध्यान नहीं दिया गया है कि GLAS ट्रस्ट को पता था कि BYJUs अल्फा के लोन से मिले का पैसे का इस्तेमाल रवींद्रन या Byju's के किसी भी फाउंडर ने अपने निजी फायदे के लिए नहीं किया था, बल्कि इसका इस्तेमाल थिंक एंड लर्न प्राइवेट लिमिटेड (TLPL) के फायदे के लिए किया गया था।


TLPL के पास ही पहले Byju's का कंट्रोल था और वह इसकी पैरेंट कंपनी थी। हालांकि, अब TLPL का कंट्रोल GLAS ट्रस्ट के पास है।


और पढ़ें

design

हमारे बारे में

श्रेणियाँ

Copyright ©️ TIF MULTIMEDIA PRIVATE LIMITED | All Rights Reserved | Developed By TIF Technologies

CONTACT US | PRIVACY POLICY | TERMS OF USE | Sitemap