संजय सिंह, पटना। बिहार के 121 विधानसभा क्षेत्रों में पहले चरण की वोटिंग में बंपर वोटिंग ने पक्ष और विपक्ष की नींद उड़ा दी है। आलम यह है कि हर राजनीतिक दल के चुनावी पंडित गुणा भाग में लगे हैं और बंपर वोटिंग के पीछे की वजह की तलाश कर रहे हैं। हालत यह है कि गुणा-भाग में दलों के रिजल्ट संतोषप्रद आ ही नहीं रहा है।
वैसे राजनीति के जानकार लोग बंपर वोटिंग को सरकार के खिलाफ मतदान का ट्रेंड मानते रहे हैं। अब देखने वाली बात यह होगी कि 2025 का विधानसभा चुनाव पुरानी धारणाओं को दोहराता है या फिर नया ट्रेंड स्थापित करता है।
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आठ प्रतिशत वोट अधिक पड़े
हालांकि परिस्थितियों पर गौर करें तो यह स्पष्ट है की मतदान का प्रतिशत बढ़ने का मुख्य कारण मतदाता सूची का गहन पुनरीक्षण (SIR) है। इसके बाद की रही सही कसर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की महिला और मजदूर कल्याणकारी योजनाओं ने पूरी कर दी। आंकड़ों के मुताबिक 2020 के चुनाव से इस चुनाव में तकरीबन आठ प्रतिशत वोट अधिक पड़े हैं।
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नीतीश कुमार की हो सकती है विदाई
आप समीक्षा करेंगे तो यह तथ्य सामने आता है कि गहन पुनरीक्षण में भी लगभग उतने ही प्रतिशत मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से हटाए गए हैं। दूसरी बात यह है कि महिलाओं के मतदान प्रतिशत में अधिक बढ़ोतरी हुई है। यह इस ओर इशारा कर रहा है कि मतदान से पहले गांव की महिलाओं को राज्य सरकार की तरफ से 10000 रुपये की योजना के तहत पैसे मिल चुके हैं। इन महिलाओं ने ही EVM में बटन दबाकर वोट प्रतिशत बढ़ाया है।
अगर ऐसा सच में हुआ तो एक बार फिर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सत्ता के करीब होंगे और विपक्ष को निराशा हाथ लगेगी। इसके साथ ही बंपर वोटिंग के पीछे का पुराना ट्रेंड कायम रहा तो विपक्ष की चांदी होगी और 20 साल बाद नीतीश कुमार की सत्ता से विदाई हो जाएगी।