बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजे 14 नवंबर को देर रात तक घोषित हो गए। इसमें भारतीय जनता पार्टी (BJP) सबसे ज्यादा 89 सीट, जनता दल यूनाइटेड (JDU) 85 सीट, राष्ट्रीय जनता दल (RJD), लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) - राम विलास को 19 और कांग्रेस को 6 सीटें मिलीं। प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज के लिए रिजल्ट का दिन बुरा रहा। पार्टी एक भी सीट पर जीत नहीं पाई जबकि तरारी सीट से पार्टी के कैंडिडेट रहे चंद्रशेखर सिंह की हार्ट अटैक से मौत हो गई। पटना के निजी अस्पताल में इनका इलाज चल रहा था।
तरारी सीट से उन्हें 2271 वोट मिले हैं। इस सीट से बीजेपी के विशाल प्रशांत की जीत हुई है। 31 अक्टूबर को चुनाव प्रचार के दौरान उन्हें पहला हार्ट अटैक आया था। इसके बाद पटना के अस्पताल में भर्ती कराया गया था और चुनाव नतीजे के दिन चंद्रशेखर को करीब 4 बजे दूसरा हार्ट अटैक आया जिसके बाद उनकी जान चली गई।
यह भी पढ़ें- NDA की प्रचंड लहर में भी हारने वाले BJP के 12 उम्मीदवार कौन हैं?
सीट पर 29 राउंड में काउंटिंग
तरारी सीट पर कुल 29 राउंड में मतगणना पूरी हुई। 96887 वोटों के साथ पहले नंबर पर बीजेपी के विशाल प्रशांत रहे। दूसरे नंबर पर CPI (ML) के मदन सिंह रहे जिन्हें 85423 वोट मिले हैं। चंद्रशेखर के परिवार की ओर से इस पर कोई भी प्रतिक्रिया नहीं आई है।
चंद्रशेखर जन सुराज से प्रभावित
चंद्रशेखर रिटायर्ड प्रधान टीचर थे। वह मूल रूप से कुरमुरी गांव के रहने वाले थे। किसी भी तरह का पॉलिटिकल बैकग्राउंड नहीं था। जन सुराज पार्टी बनने के बाद प्रशांत किशोर से प्रभावित हुए और फिर पार्टी ने चुनाव लड़ने का मौका भी दे दिया। मौत की खबर सामने आने के बाद गांव में शोक की लहर है। गांव के लोगों के लिए यह एक बड़ी क्षति है। उनका अंतिम संस्कार उनके पैतृक गांव कुरमुरी में होगा।
यह भी पढ़ें- BJP से 14.64 लाख वोट ज्यादा मिले, फिर भी RJD की सीटें कम; कैसे हुआ ऐसा?
पार्टी के लिए भीड़ वोटों में नहीं बदली
पार्टी का सबसे अच्छा प्रदर्शन मढ़ौरा में रहा, जहां नवीन कुमार सिंह दूसरे स्थान पर रहे लेकिन RJD के जितेंद्र राय से 27, 928 मतों से हार गए। यह अंतर दिखाता है कि पार्टी अपनी पहली जीत हासिल करने से कितनी दूर रह गई। बेरोजगारी, पलायन और औद्योगिक विकास जैसे चुनावी मुद्दों के बावजूद जन सुराज अपने संदेश को बूथ स्तर के समर्थन में नहीं बदल सका। नतीजों से साफ पता चलता है कि पार्टी के पदयात्राओं और जनसभा को लेकर जो उत्साह था वह वोटिंग के दिन वोटों में नहीं बदला।