मटिहानी विधानसभा सीट बिहार के बेगूसराय जिले में आती है। यह विधानसभा गंगा नदी के किनारे बसा हुआ है। इस पूरे क्षेत्र के लोग खेती-किसानी से जुड़े हुए हैं, जिसकी वजह से यहां की अर्थव्सवस्था कृषि आधारित है। मटिहानी, जिला मुख्यालय बेगूसराय से सटा हुआ इलाका है। इसकी बेगूसराय से दूरी मात्र 13 किलोमीटर है। इसके अलावा मटिहानी से रोसड़ा की दूरी 13 किलोमीटर, बरौनी औद्योगिक नगर 12 किलोमीटर, मोकामा 25 किलोमीटर, समस्तीपुर जिला मुख्यालय 34 किलोमीटर, दरभंगा शहर 107 किलोमीटर है। बेगूसराय से नजदीकी होने के कारण मटिहानी में 25 फीसदी तक शहरी मतदाता भी हैं। इलाके में मां दुर्गा मंदिर और शिव मंदिर प्रसिद्ध धार्मिक स्थल हैं।
मौजूदा समीकरण?
जब मटिहानी विधानसभा की स्थापना हुई तो उस समय यहां भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) का दबदबा रहा था। सीपीआई ने यहां शुरुआती सात में से पांच बार चुनाव जीता था। मगर, इसके बाद पार्टी की पकड़ मटिहानी पर ढिली पड़ती गई है। 2005 के बाद से इस सीट पर जेडीयू ने अपनी पकड़ मजबूत की है। यहां से पार्टी 2005 के बाद तीन चुनाव जीती है। मटिहानी के सामाजिक समीकरण की बात करें तो यहां राजपूत वोट काफी संख्या में हैं। राजपूतों का वोट इस विधानसभा में निर्णायक भूमिका निभाते हैं।
मटिहानी में 17 फीसदी राजपूत, 13 फीसदी मुस्लिम और 12.37 फीसदी अनुसूचित जाति के मतदाता हैं। पिछले पांच चुनावों में सीपीआई यहां से चुनाव नहीं जीत पाई है। इस बार पार्टी को उम्मीद है कि महागठबंधन में 20 साल का सूखा खत्म हो जाए।
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2020 में क्या हुआ था?
मटिहानी सीट पर 2020 में लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) ने जीत दर्ज की थी। जेडीयू दूसरे नंबर और सीपीआई तीसरे नंबर पर रही थी। 2020 में एलजेपी के राजकुमार सिंह ने जेडीयू के उम्मीदवार नरेंद्र कुमार सिंह को 333 और सीसीआई के राजेंद्र प्रसाद सिंह को 765 वोटों से हरा दिया था। एलजेपी के राजकुमार सिंह ने इस दिलचस्प मुकाबले में जेडीयू और सीपीआई के उम्मीदवारों को हराया था। उन्होंने 29.64 फीसदी वोट पाते हुए 61,364 वोट हासिल किया था, जबकि जेडीयू के नरेंद्र कुमार को 61,031 और सीपीआई के राजेंद्र प्रसाद को 60,599 वोट मिले थे।
इसके अलावा इस सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार अमरेश राय को 4,378 और हेमंत कुमार को 3,258 वोट मिले थे।
विधायक का परिचय
मौजूदा विधायक राजकुमार सिंह मटिहानी से पहली बार विधायक चुनकर बिहार विधानसभा में पहुंचे। हालांकि, दिलचस्प बात यह है कि राजकुमार सिंह जीते भले एलजेपी के टिकट पर थे लेकिन वह अब सीएम नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू में शामिल हो चुके हैं। 2020 में जेडीयू के उम्मीदवार नरेंद्र कुमार सिंह दूसरे नंबर पर रहे थे। इससे आगामी चुनाव में LJP और जेडीयू दोनों इस सीट पर दावेदारी कर सकते हैं, क्योंकि एलजेपी भी अब एनडीए में शामिल हो गई है।
विपक्ष आए दिन मौजूदा विधायक पर मटियानी से गायब रहने का आरोप लगाती रहती है। वह बेगूसराय जिले में जाने-माने व्यवसायी हैं। 51 साल के राजकुमार सिंह का परिवार कांग्रेसी रहा है और जिले में उनके परिवार का काफी नाम है।
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उनकी पढ़ाई की बात करें तो वह दिल्ली विश्वविद्यालय के रामजस कॉलेज से ग्रेजुएट हैं। वह साल 1990 में स्नातक हुए थे। 2020 के उनके चुनावी हलफनामों के मुताबिक, उनकी आय का मुख्य स्रोत विधायकी रूप में उनका वेतन और व्यावसाय है। पिछले हलफनामों के मुताबिक उनके पास लगभग 13 करोड़ रुपये की संपत्ति है।
विधानसभा सीट का इतिहास
मटिहानी विधानसभा साल 1977 में अस्तित्व में आई थी। मगर, 2008 में निर्वाचन क्षेत्र संसदीय एवं विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन आदेश के बाद इसका पूर्गठन हुआ था। इस पर अभी तक कुल 12 चुनाव हुए हैं। इस सीट की संख्या 144 है। विधानसभा में मटिहानी और शंबो अखा कुरहा सामुदायिक विकास खंड हैं, जिसमें कैथमा, लदुवारा, भैरवार, मनिअप्पा, चिलमिल, डुमरी, उलाव, सिघौल, पचम्बा, महमदपुर रघुनाथपुर, मोहन एघु, शाहपुर, बिशनपुर, धबौली, बिंदपुर, पुसपुरा ग्राम पंचायतें आती हैं।
1977- सीताराम मिश्रा (सीपीआई)
1979- देवकीनंदन सिंह (सीपीआई)
1980- प्रमोद कुमार शर्मा (कांग्रेस)
1985- प्रमोद कुमार शर्मा (कांग्रेस)
1990- राजेंद्र राजन (सीपीआई)
1995- राजेंद्र राजन (सीपीआई)
2000- राजेंद्र राजन (सीपीआई)
2005- नरेंद्र कुमार सिंह (निर्दलीय)
2005- नरेंद्र कुमार सिंह (निर्दलीय)
2010- नरेंद्र कुमार सिंह (जेडीयू)
2015- नरेंद्र कुमार सिंह (जेडीयू)
2020- राज कुमार सिंह (एलजेपी)