संजय सिंह, पटना। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) की प्रचंड जीत में बीजेपी 12 विधानसभा सीटों पर बेहद कम वोटों से हारी है। पार्टी के शीर्ष नेता इन सीटों पर मिली हार का मंथन करने में जुटे हैं। हाल के विधानसभा चुनाव में बीजेपी 101 सीट पर चुनाव लड़ी। उसे 89 सीटों पर जीत मिली। 12 सीटों पर हारी जरूर, लेकिन 4 सीटों पर हार जीत का अंतर 1000 से कम वोट का था। 8 सीटों पर हार का अंतर अधिक था।
बिहार बीजेपी ने हारी हुई सीटों पर जिला, मंडल और विधानसभा क्षेत्र के अध्यक्ष से रिपोर्ट मांगी है। बीजेपी ने सबसे अधिक सीटें सीमांचल इलाके में हारी। सीमांचल में हार का सबसे बड़ा कारण चार जिलों में मुस्लिमों की अधिक आबादी को माना जा रहा है।
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बीजेपी रामगढ़ समेत चार विधानसभा सीटों पर मामूली अंतर से हारी। रामगढ़ सीट पर बीजेपी की हार महज 30 वोट से हुई। यहां से अशोक सिंह चुनाव लड़ रहे थे। उन्हें 72,679 वोट मिले। ढाका से बीजेपी प्रत्याशी पवन जायसवाल की हार 178 वोटों से हुई। उन्हें 1,12,549 वोट मिले। सीमांचल के फारबिसगंज सीट पर बीजेपी प्रत्याशी विद्यासागर केशरी की हार 221 वोटों से हुई। केशरी को 1,19,893 वोट मिले थे। फारबिसगंज में भीतरघात भी एक बड़ा मुद्दा था। चनपटिया से बीजेपी के उम्मीदवार उमाकांत सिंह की हार 602 वोट से हुई।
2038 वोट से हारे आलोक रंजन
सहरसा विधानसभा सीट पर बीजेपी उम्मीदवार आलोक रंजन को 2038 वोट से हार का सामना करना पड़ा। स्थानीय लोगों का कहना है कि बीजेपी उम्मीदवार की हार जन सुराज प्रत्याशी के कारण हुई। एनडीए के ही वोट बैंक में जन सुराज के प्रत्याशी ने सेंधमारी की। गोह से भाजपा प्रत्याशी रणविजय सिंह की हार 4041 वोट से हुई। वारसलीगंज सीट पर अरुणा देवी 7543 वोट से हारीं।
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सीमांचल में कई सीटें हारी बीजेपी
किशनगंज से बीजेपी की स्वीटी सिंह 12,794 वोट से हारीं। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल किशनगंज के रहने वाले हैं। यहां से स्वीटी सिंह का चुनाव हारना पार्टी के लिए बड़ा झटका है। सीमांचल की ही कोचाधामन से वीणा देवी की हार 37,002 वोट से हुईं। वीणा देवी को मात्र 44,858 वोट मिले थे। बायसी से विनोद कुमार को 27,251 वोट से हार का सामना करना पड़ा था। राघोपुर और बिस्फी सीट पर भी बीजेपी जीत हासिल नहीं कर सकी।