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बंटवारे के बाद पाकिस्तान के सिंध में कैसे और कितने खराब हुए हिंदुओं के हालात?

पाकिस्तान, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के सिंध संबंधी बयान से नाराज है, जिसमें उन्होंने कहा कि सभ्यता के रूप में सिंध हमेशा भारत का हिस्सा रहा है। बयान के बाद सिंध में हिंदुओं की स्थिति पर चर्चा की जानी चाहिए।

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प्रतीकात्मक तस्वीर, AI Generated Image

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सिंध को लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बयान पर पड़ोसी देश पाकिस्तान परेशान हो गया। राजनाथ सिंह ने कहा था कि भले ही वर्तमान में सिंध, भौगोलिक रूप से भारत में नहीं है, लेकिन सभ्यता के रूप में देखें तो सिंध हमेशा भारत का अभिन्न अंग रहेगा। पाकिस्तान ने उस बयान को हिदुत्व से जोड़कर भारत को पूर्वोत्तर की समस्या याद दिला दी। सिंध की स्थिति बंटवारे के बाद कितनी बदली है यह समझने की जरूरत है। 

 

राजनाथ सिंह ने लाल कृष्ण आडवाणी की लिखी किताब के हवाले से बताया कि न केवल सिंध, बल्कि पूरे भारत में हिंदू सिंधु नदी को पवित्र मानते थे। बंटवारे के बाद सिंध पाकिस्तान के हिस्से में चला गया और पलायन में लाखों हिंदू सिंधी परिवार वहां से भारत में आकर बस गए।

 

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हिंदू धर्मस्थलों पर हमला

सिंध प्रांत, जहां पाकिस्तान की अधिकांश हिंदू आबादी रहती है, वहां मंदिरों पर हमले की कई रिपोर्टें सामने आई हैं। इस तरह के हमलों में अक्सर छोटे और गांव के इलाके के मंदिरों को निशाना बनाया जाता है, खासकर उन मंदिरों को जिनकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है। इन हमलों में तोड़फोड़, मंदिरों की मूर्तियों को खंडित करना या जमीन पर कब्जा करने के उद्देश्य से ढांचों को गिराना शामिल होता है।

 

साल 2021 में अमेरिकी कांग्रेसमैन ब्रैड शेरमैन ने आरोप लगाया कि सिंध में हिंदू और ईसाई परिवारों को जबरदस्ती धर्म परिवर्तन का निशाना बनाया जा रहा है। पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग ने भी अपनी एक रिपोर्ट में सिंध में हिंदू लड़कियों के जबरन धर्म परिवर्तन का जिक्र किया है। साल 2023 में सीमा हैदर की मुल्क वापसी को लेकर सिंध प्रांत में डकैतों ने हिंदुओं के धार्मिक स्थलों और घरों पर हमला करने की धमकी दी थी।

 

पिछले वर्षों में सिंध में मंदिरों पर हमलों की कई घटनाएं सुर्खियों में रही हैं:

  • 2019 में घोटकी में हमला: एक हिंदू स्कूल टीचर पर ईशनिंदा का झूठा आरोप लगने के बाद, शहर में व्यापक हिंसा हुई थी। इसमें स्कूल और एक मंदिर पर हमला किया गया था और तोड़फोड़ की गई थी।
  • 2021 में सांगड़ में हमला: भोंग शहर में एक गणेश मंदिर को भीड़ ने निशाना बनाया था। यह हमला तब हुआ जब एक स्थानीय हिंदू लड़के पर कथित तौर पर एक मदरसे की बेइज्जती करने का आरोप लगा था। इस घटना की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आलोचना हुई थी।
  • उमरकोट और थारपारकर: ये क्षेत्र अक्सर विवादित होते हैं, जहां मंदिरों की पवित्रता भंग करने और मूर्तियों को क्षतिग्रस्त करने की छोटी-बड़ी घटनाएं लगातार सामने आती रहती हैं।

19 फीसदी गिरी आबादी

  • 1941 की जनगणना के अनुसार, सिंध की कुल आबादी में हिंदुओं की हिस्सेदारी 26.43% थी। 1951 की जनगणना में, यह प्रतिशत भारी गिरावट के साथ 7.98% हो गया, जो विभाजन के दौरान हुए बड़े पैमाने पर पलायन को दर्शाता है।
  • 2023 की जनगणना के अनुसार, सिंध में हिंदू आबादी 49 लाख से अधिक है, जो प्रांत की कुल आबादी का 8.81% है। सिंध प्रांत में पाकिस्तान की सबसे बड़ी हिंदू आबादी निवास करती है।

अन्य गैर-मुस्लिम आबादी

  • हिंदुओं के अलावा, सिंध में अन्य गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यक जैसे ईसाई और सिख भी रहते हैं। 1941 में सिंध में ईसाई आबादी कुल का 0.42% थी, जो 2023 तक 0.90% हो गई है।
  • पाकिस्तान की राष्ट्रीय स्तर की जनगणना में हिंदू सबसे बड़ा धार्मिक अल्पसंख्यक समूह है, जिसके बाद ईसाई आते हैं।

 

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मानवाधिकार रिपोर्ट और सरकारी प्रतिक्रिया

  • ह्यूमन राइट्स कमीशन ऑफ पाकिस्तान (HRCP) ने लगातार अपनी वार्षिक रिपोर्टों में सिंध और अन्य प्रांतों में अल्पसंख्यकों के पूजा स्थलों की अपर्याप्त सुरक्षा पर चिंता व्यक्त की है। उनका कहना है कि पुलिस अक्सर हमलावरों के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई करने में विफल रहती है या FIR दर्ज करने में देरी करती है।
  • अधिकांश हमलों के बाद, सरकार या पुलिस हमलावरों की गिरफ्तारी की खानापूर्ति करने का प्रयास करती है। हालांकि, धार्मिक अतिवाद के दबाव के कारण, अपराधियों को शायद ही कभी कड़ी सजा मिल पाती है, जिससे ये घटनाएं बार-बार होती रहती हैं।
  • सिंध में हिंदू धर्मस्थलों पर हमले, पाकिस्तान में धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति और अल्पसंख्यकों के अधिकारों के संरक्षण की कमजोरियों को उजागर करते हैं।
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