बांग्लादेश की प्रधानमंत्री रहीं शेख हसीना को पिछले साल अपदस्थ कर दिया था। देश में हिंसक प्रदर्शन हुए तो शेख हसीना ने बांग्लादेश छोड़कर भारत में शरण ले ली थी। अब उन हिंसक प्रदर्शनों को हिंसात्मक तरीके से रोकने और लोगों के खिलाफ अमानवीय तरीके अपनाने के मामले में शेख हसीना को दोषी करार दिया गया है। इंटरनेशनल क्राइम्स ट्राइब्युनल ने सोमवार को शेख हसीना को मौत की सजा सुनाई है। इस सजा के बाद बांग्लादेश ने भारत से मांग की है कि शेख हसीना को बांग्लादेश भेज दिया जाए। भारत ने एक बयान जारी करके कहा कि है कि वह बांग्लादेश के लोगों के हितों के प्रति समर्पित है। भारत का कहना है कि शांति और लोकतंत्र के लिए वह सभी स्टेकहोल्डर्स के साथ सकारात्मक बातचीत के लिए हमेशा तैयार है। भारत ने शेख हसीना के प्रत्यर्पण पर फिलहाल कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया है।
खुद के खिलाफ मौत की सजा का एलान होते ही शेख हसीना ने बयान जारी करके कहा है कि यह उनके खिलाफ साजिश है और राजनीति से प्रेरित है। उनका कहना है कि यह ट्राइब्युनल मोहम्मद यूनुस के इशारों पर काम कर रहा है। उन्होंने अपने बयान में लिखा है, 'यह अदालत अंतरिम सरकार ने बनाई है, इसे लोकतांत्रिक अधिकारों को कुचलने और अवामी लीग को बदनाम करने के लिए बनाया गया है। मुझ पर लगे आरोप झूठे हैं, मैंने किसी नेता या प्रदर्शनकारी की हत्या का आदेश नहीं दिया है। केवल अवामी लीग के सदस्यों को निशाना बनाया गया है। बांग्लादेश की यूनुस सरकार ने जो हत्याएं कराई हैं, उनका जिक्र तक नहीं किया गया है।'
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न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, भारत ने बांग्लादेश से अपील की है कि पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना और पूर्व आंतरिक मंत्री असदुज्जमां खान कमाल का प्रत्यर्पण किया जाए क्योंकि दोनों को मौत की सजा सुनाई गई है। यह सजा पिछले हुए प्रदर्शन के खिलाफ की गई कार्रवाई के लिए हुई है। बांग्लादेश ने तर्क रखा है कि दोनों का प्रत्यर्पण करने के लिए भारत बाध्य है क्योंकि दोनों देशों की प्रत्यर्पण संधि है। पिछले साल अगस्त महीने में बांग्लादेश में हुए बवाल के बाद शेख हसीना ने बांग्लादेश छोड़ दिया था और उन्होंने भारत में शरण ले ली थी। तब से वह भारत में ही हैं।
भारत ने क्या कहा?
बांग्लादेश में आए इस फैसले पर भारत ने कहा है, 'पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को लेकर इंटरनेशनल क्राम्स ट्राइब्युनल ऑफ बांग्लादेश की ओर से सुनाए गए फैसले के बारे में भारत को जानकारी मिली है। एक करीबी पड़ोसी के रूप में भारत बांग्लादेश के लोगों के हितों के लिए समर्पित हैं। इनमें शांति, लोकतंत्र, समावेश और देश में स्थिरता शामिल है। इन चीजों के लिए हम सभी स्टेकहोल्डर्स के साथ हमेशा सकारात्मक बातचीत करने के लिए तैयार रहेंगे।'
बांग्लादेश में क्या-क्या हुआ?
सोमवार को कोर्ट का फैसला आने से पहले ही बहुत सारे लोग बांग्लादेश की राजधानी ढाका में स्थित शेख मुजीबर रहमान के घर के बाहर बुलडोजर लेकर इकट्ठा हो गए थे। इन लोगों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले छोड़े। डेली स्टार समाचार पत्र ने रमना डिवीजन पुलिस उपायुक्त मसूद आलम के हवाले से बताया, ‘प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए तेज आवाज करने वाले कई ग्रेनेड का इस्तेमाल किया गया।' अखबार ने बताया कि लाठीचार्ज और ईंट-पत्थर फेंकने के दौरान कई प्रदर्शनकारी और सुरक्षाकर्मी घायल हो गए। बता दें कि बंगबंधु कहे जाने वाले मुजीबुर रहमान 15 अगस्त 1975 को एक सैन्य तख्तापलट में मारे गए थे। उस घटना में उनके परिवार के अधिकांश सदस्य भी मारे गए थे, जिनमें उनका 10 वर्षीय सबसे छोटा बेटा शेख रसेल भी शामिल था।
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अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना के पिछले वर्ष अवामी लीग सरकार के सत्ता से बाहर होने के बाद मुजीबुर रहमान के निजी आवास का एक बड़ा हिस्सा ध्वस्त कर दिया गया था। इसे संग्रहालय में तब्दील कर दिया गया था। शेख हसीना के खिलाफ महीनों तक चले मुकदमे के बाद अपने फैसले में बांग्लादेश के अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (आईसीटी) ने 78 वर्षीय अवामी लीग नेता को हिंसक दमन का मास्टरमाइंड और प्रमुख सूत्रधार बताया है। इन प्रदर्शनों में सैकड़ों प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई थी।