पाकिस्तान की संसद में शनिवार को 27वां संविधान संशोधन बिल पेश किया। यह संशोधन पाकिस्तान के संवैधानिक और सैन्य व्यवस्था में दशकों में सबसे बड़ा बदलाव करने जा रहा है। पाकिस्तान सरकार और उसकी कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद प्रस्तावित 27वां संविधान संशोधन सेना की कमान को नए सिरे से परिभाषित करेगा। साथ ही यह पाकिसतान के फील्ड मार्शल असीम मुनीर को इनती शक्तियां देगा, जो पहले देश में किसी भी सैन्य अधिकारी को नहीं मिलीं।
शहबाज शरीफ सरकार के इस कदम के बाद पाकिस्तान में एक नई बहस छिड़ गई। पाकिस्तान के लोग समझ रहे हैं कि संविधान संशोधन से फील्ड मार्शल असीम मुनीर की ताकत बेतहाशा बढ़ जाएगी। यह विधेयक संविधान के अनुच्छेद 243 में संशोधन करेगा। दरअसल, ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत के साथ सीजफायर के ठीक 10 दिन बाद असीम मुनीर को फील्ड मार्शल बनाया गया। मगर संविधान में फील्ड मार्शल जैसा कोई पद नहीं है। यह पूरी कवायद संविधान के अनुच्छेद 243 में संशोधन करके असीम मुनीर की ताजा उपाधि को मान्यता देना है।
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पाकिस्तान में छिड़ी तीखी बहस
संविधान संशोधन की खबरों ने पाकिस्तान में तीखी बहस छेड़ दी है, जिससे राजनीतिक दल, वकील और नागरिक समाज में मतभेद पैदा हो गए हैं। संशोधन के समर्थकों का तर्क है कि यह विधेयक देश के ऊंचे पदों पर आसीन लोगों का आधुनिकीकरण करेगा, जबकि इसके आलोचक मान रहे हैं कि इससे देश की सैन्य शक्ति केवल एक आदमी में सिमट जाएगी, जिससे वो जो चाहेगा करेगा।
सेना का ये पद होगा खत्म
डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, यह विधेयक 27 नवंबर से, जब वर्तमान CJCSC जनरल साहिर शमशाद मिर्ज़ा का कार्यकाल समाप्त हो रहा है, पाकिस्तान की सैन्य सेवाओं में शीर्ष समन्वय कार्यालय, ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ कमेटी (CJCSC) के अध्यक्ष के पद को खत्म कर देगा। पाकिस्तान के कानून मंत्री आजम नजीर तरार ने संसद को बताया है कि इस पद पर कोई नई नियुक्ति नहीं की जाएगी, क्योंकि सेना प्रमुख रक्षा बलों के प्रमुख के रूप में कार्यभार संभालेंगे।
इस कदम का सीधा सा मतलब है कि असीम मुनीर पाकिस्तान के थल सेनाध्यक्ष के साथ ही तीनों सेनाओं के प्रमुख हो जाएंगे। तीनों सेनाएं असीम मुनीर के इशारों पर काम करेंगी।
संशोधन के तहत, पाकिस्तान के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री की सलाह पर थल सेना, नौसेना और वायु सेना प्रमुखों की नियुक्ति करेंगे, जबकि सीडीएफ को संवैधानिक रूप से तीनों सेनाओं की कमान संभालने का अधिकार होगा। असीम मुरीर को इसी पद पर बैठाया जा रहा है। ऐसा होने पर पाकिस्तान के परमाणु बमों पर मुनीर का नियंत्रण और मजबूत होगा।
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विधेयक से क्या होगा?
इसके साथ ही यह विधेयक फील्ड मार्शल, वायु सेना मार्शल या फ्लीट एडमिरल जैसे पांच सितारा रैंक प्राप्त करने वाले अधिकारियों को भी अभूतपूर्व अधिकार प्रदान करता है।
- आजीवन वर्दी मिलेगी। यानि कि सेना के सर्वोच्च पद पर आसीन रहने के साथ ही उन्हें विशेषाधिकार मिलेंगे।
- रिटायरमेंट के के बाद सरकार द्वारा निर्धारित जिम्मेदारियां दी जाएंगी
- राष्ट्रपति के समान ही संवैधानिक सुरक्षा प्राप्त होगी
- महाभियोग जैसी संसदीय प्रक्रिया के जरिए ही पद से हटाया जा सकेगा
यह संशोधन सेना तक ही सीमित नहीं है। प्रस्ताव का दूसरा भाग पाकिस्तान की न्यायिक व्यवस्था का पुनर्गठन करता है। जियो न्यूज की खबर के मुताबिक, यह विधेयक एक संघीय संवैधानिक न्यायालय (Federal Constitutional Court) की स्थापना करता है। संघीय संवैधानिक न्यायालय इतना शक्तिशाली न्यायिक निकाय होगा जो:
- संवैधानिक व्याख्या, सरकारी विवादों और अनुच्छेद 199 से उत्पन्न मामलों को संभालना
- सुप्रीम कोर्ट के अधिकार क्षेत्र को कम करना
- राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और संसद की सहमति के जरिए जजों की नियुक्ति करना
- प्रांतों को समान प्रतिनिधित्व देना
- तीन साल के कार्यकाल वाले मुख्य न्यायाधीश को नेतृत्व देना
पाकिस्तान पूर्व एडिशनल अटॉर्नी जनरल तारिक महमूद खोखर ने तर्क दिया है कि यह संशोधन न्यायपालिका पर कार्यपालिका के नियंत्रण को कड़ा करता है और सुप्रीम कोर्ट को कमजोर करके Federal Constitutional Court को और सशक्त बनाता है।