logo

ट्रेंडिंग:

बांग्लादेश जाएंगी शेख हसीना! मौत की सजा मिलने के बाद अब आगे क्या?

बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को मौत की सजा सुनाई गई है। इसके बाद उनके प्रत्यर्पण की मांग भी उठने लगी है। क्या है पूरा मामला? और आगे क्या होगा? समझते हैं।

sheikh hasina

प्रतीकात्मक तस्वीर। (AI Generated Image)

शेयर करें

संबंधित खबरें

Reporter

कभी बांग्लादेश की प्रधानमंत्री रहीं शेख हसीना को अब वहां की ही अदालत ने मौत की सजा सुनाई है। बांग्लादेश की इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्यून (ICT) ने यह सजा सुनाई है। शेख हसीना के साथ ही उनकी सरकार में गृह मंत्री रहे असदुज्जमान खान कमल को भी मौत की सजा मिली है। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के चीफ एडवाइजर मोहम्मद यूनुस ने इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि कोई भी कानून से ऊपर नहीं है। 


शेख हसीना को पिछले साल जुलाई में हुए विद्रोह को हिंसात्मक तरीके से दबाने के इल्जाम में दोषी ठहराया गया है। उनकी कार्रवाई को 'मानवता के खिलाफ अपराध' माना गया है। इस मामले में ट्रिब्यूनल ने 24 अक्टूबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।


पिछले साल जनवरी में बांग्लादेश में आम चुनाव हुए थे, जिसमें शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग की जीत हुई थी। इसके बाद से ही बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे। हालात तब बिगड़ गए थे, जब प्रदर्शन कर रहे कुछ छात्रों की पुलिस की गोलीबारी में मौत हो गई थी। इसके बाद प्रदर्शनकारियों ने संसद से लेकर प्रधानमंत्री आवास तक पर कब्जा कर लिया था। बाद में 5 अगस्त को शेख हसीना भागकर भारत आ गई थीं। तब से ही शेख हसीना भारत में रह रहीं हैं। उनकी सरकार में गृह मंत्री रहे असदुज्जमान खान भी भारत में ही हैं।


ICT का फैसला आने के बाद बांग्लादेश सरकार ने भारत से शेख हसीना और असदुज्जमान खान को सौंपने को कहा है। वहीं, भारत ने उनके प्रत्यर्पण पर कुछ साफ तो नहीं कहा है लेकिन यह जरूर कहा है कि वह सभी स्टेकहोल्डर्स के साथ रचनात्मक बातचीत करेगा।

 

यह भी पढ़ें-- हत्या का बवाल करप्शन और क्राइम तक पहुंचा, मेक्सिको के Gen-Z प्रोटेस्ट की कहानी

शेख हसीना को क्यों मिली मौत की सजा?

बांग्लादेश की ICT ने शेख हसीना के साथ-साथ असदुज्जमान कमल खान को दोषी ठहराते हुए मौत की सजा सुनाई है। पूर्व आईजी चौधरी अब्दुल्ला अल-ममून को भी 5 साल कैद की सजा सुनाई गई है। 


सोमवार को ICT ने 453 पन्नों का फैसला सुनाया। लगभग ढाई घंटे तक फैसला पढ़ा गया। ICT के चेयरमैन जस्टिस मोहम्मद गुलाम मुर्तुजा मजूमदार ने कहा, 'प्रधानमंत्री के रूप में शेख हसीना ने गृह मंत्री से लेकर पुलिस तक अपनी सुप्रीम अथॉरिटी का इस्तेमाल किया था।'


उन्होंने अपने फैसले में कहा, 'प्रधानमंत्री शेख हसीना, गृह मंत्री असदुज्जमान खान और आईजी चौधरी अब्दुल्ला अल-ममून ने साथ मिलकर काम किया और देशभर में प्रदर्शनकारियों की हत्या करने के लिए अत्याचार किए।'

 

यह भी पढ़ें-- 'कितनी पत्नियां हैं...', ट्रंप के सवाल पर सीरियाई राष्ट्रपति ने क्या कहा?

किसने क्या कहा?

बांग्लादेश की न्यूज वेबसाइट द डेली स्टार की रिपोर्ट के मुताबिक, जब फैसला सुनाया जा रहा था, तब अदालत में 40 से ज्यादा पीड़ितों के परिवार वाले भी मौजूद थे। फैसले के बाद इन्होंने 'अलहमदुलिल्लाह' कहा। 


अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद युनूस ने कहा, 'बांग्लादेश की अदालत ने जो फैसला दिया है, उसकी गूंज पूरे देश और उसके बाहर भी सुनाई देती है। इससे यह भी साफ हो गया है कि कोई भी व्यक्ति, चाहे उसके पास कितनी ही ताकत क्यों न हो, कानू से ऊपर नहीं है।'


वहीं, शेख हसीना ने इस फैसले को 'पक्षपातपूर्ण और राजनीति से प्रेरित' बताया है। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, इस फैसले पर शेख हसीना ने कहा, 'मैं अपने ऊपर लगाए गए आरोपों का सामना करने से नहीं डरती, जहां सबूतों का निष्पक्ष तरीके से मूल्यांकन किया जा सकता है।'

 

 

ICT का फैसला आने के बाद बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने भारत से शेख हसीना और असदुज्जमान खान को तुरंत सौंपने को कहा है। वहीं, भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि 'एक पड़ोसी के रूप में भारत, बांग्लादेश के लोगों के हितों के लिए प्रतिबद्ध है, जिसमें शांति, लोकतंत्र, समावेश और स्थिरता शामिल है। इस दिशा में भारत सभी स्टेहोल्डर्स के साथ रचनात्मक रूप से बातचीत करेगा।'

 

यह भी पढ़ें-- पहले थे आतंकवादी, अब सीरिया में अमेरिका के साथ शांति स्थापित करेंगे अल-शरा

इस मामले में अब आगे क्या होगा?

फैसले के बाद बांग्लादेश ने भारत को शेख हसीना को सौंपने को कहा है। हालांकि, भारत ने अभी इस पर कुछ साफ नहीं कहा है। 


माना जा रहा है कि शेख हसीना तब तक दिल्ली में ही रहेंगी, जब तक भारत उनके प्रत्यर्पण पर सहमति नहीं जता देता। और ऐसा फिलहाल होने की गुंजाइश नहीं है। ऐसा इसलिए क्योंकि शेख हसीना भारत की अहम सहयोगी रही हैं। शेख हसीना के दौर में भारत और बांग्लादेश के रिश्ते काफी मजबूत हुए हैं।


इसके अलावा, भारत और बांग्लादेश के बीच जो प्रत्यर्पण संधि हुई है उसके अनुच्छेद 8 में उन मामलों का जिक्र है जिनमें प्रत्यर्पण के अनुरोध को खारिज किया जा सकता है। इसमें ऐसे मामले भी शामिल हैं जो सामान्य आपराधिक कानून में अपराध नहीं है।


और पढ़ें

design

हमारे बारे में

श्रेणियाँ

Copyright ©️ TIF MULTIMEDIA PRIVATE LIMITED | All Rights Reserved | Developed By TIF Technologies

CONTACT US | PRIVACY POLICY | TERMS OF USE | Sitemap