पाकिस्तान के कानून मंत्री आजम नजीर तरार ने शनिवार को संसद में 27वां संविधान संशोधन पेश किया। मगर पाकिस्तान में एक नई बहस छिड़ गई। सवाल उठ रहा है कि आखिर इस संविधान संशोधन की जरूरत ही क्यों पड़ी? माना जा रहा है कि संविधान संशोधन से पाकिस्तान के फील्ड मार्शल असीम मुनीर की ताकत बढ़ जाएगी। भारत के साथ सीजफायर के ठीक 10 दिन बाद असीम मुनीर को फील्ड मार्शल बनाया गया। मगर संविधान में फील्ड मार्शल जैसा कोई पद नहीं है। यह पूरी कवायद संविधान के अनुच्छेद 243 में संशोधन करके असीम मुनीर की ताजा उपाधि को मान्यता देना है।
ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान को मुंह की खानी पड़ी थी। इसके बाद वह अपने सैन्य ढांचे में बड़ा सुधार लाने की कोशिश में है। भारत के सीडीएस यानी चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ की तर्ज पर पाकिस्तान कमांडर ऑफ डिफेंस फोर्सेज (CDF) नाम से एक नया पद बना रहा है। उसका मानना है कि इससे थल, वायु और नौसेना में बेहतरीन तालमेल बनेगा।
क्यों पड़ी संशोधन की जरूरत?
- पाकिस्तान में अभी फील्ड मार्शल एक मानद उपाधि है। मगर संशोधन से इसे कानूनी मान्यता दी जाएगी। यानी असीम मुनीर कानूनी तौर पर फील्ड मार्शल होंगे। माना जा रहा है कि नए कानून में असीम मुनीर का कार्यकाल असीमित किया जा सकता है। उन्हें डिमोशन और बर्खास्तगी जैसे प्रावधानों से बाहर रखा जा सकता है।
- पाकिस्तान तीनों सेनाओं के ऊपर एक पद का गठन करेगा। इस पद का नाम सीडीएफ होगा। माना जा रहा है कि असीम मुनीर ही पाकिस्तान के पहले सीडीएफ होंगे। अगर ऐसा हुआ तो पाकिस्तान की तीनों सेनाओं की कमान मुनीर के हाथ में होगी।
- अभी तक पाकिस्तान की तीनों सेनाओं की सर्वोच्च कमान राष्ट्रपति के पास होती है, लेकिन संशोधन से राष्ट्रपति का दखल कम होगा। असल ताकत फील्ड मार्शल या सीडीएफ के हाथों में होगी। यह संशोधन मुनीर को और ताकतवर बनाएगा।
- पाकिस्तान में नए संविधानिक संशोधन से लोग चिंतित हैं। उनका कहना है कि बिना संशोधन के भी सीडीएफ जैसा पद गठित किया जा सकता था। लोगों को आशंका है कि इससे सेना को कुछ भी करने की खुली छूट मिल सकती है। पाकिस्तान में 26वें संशोधन में सेना प्रमुख का कार्यकाल तीन साल से बढ़ाकर पांच साल कर दिया गया था। अब लोगों को शक है कि 27वें संशोधन से असीम मुनीर का कार्यकाल असीमित किया जा सकता है।
पाकिस्तान के कानून मंत्री ने क्या तर्क दिया?
पाकिस्तान के कानून मंत्री आजम नजीर तरार का कहना है कि हाल ही में पाकिस्तान-भारत तनाव ने हमें कई सबक मिले। युद्ध की प्रकृति और रणनीति पूरी तरह बदल चुकी है। कुछ पद और नियुक्ति प्रक्रिया सेना अधिनियम में शामिल थे। मगर इसका 1973 के संविधान में जिक्र नहीं है। बता दें कि असीम मुनीर से पहले साल 1959 में पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति जनरल अयूब खान ने खुद को फील्ड मार्शल के पद से नवाजा था।