भारत में हर साल कहीं ना कहीं राज्य विधानसभा के चुनाव होते ही हैं। एक चुनाव खत्म होता है तो राजनीतिक पार्टियां और चुनाव आयोग दूसरे चुनाव की तैयारी में लग जाते हैं। 2025 की शुरुआत में दिल्ली विधानसभा के चुनाव हुए थे और अब नवंबर के महीने में बिहार विधानसभा के चुनाव संपन्न हुए हैं। इन चुनावों में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की 202 सीटों के साथ प्रचंड जीत हुई है। बिहार में अभी सरकार गठन को लेकर तैयारियां तेज हैं तो भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने अगले साल होने वाले बंगाल विधानसभा चुनाव के लिए तैयारी शुरू कर दी है। पीएम मोदी ने भी कहा कि बिहार के बाद अब बंगाल में भी एनडीए की सरकार बनेगी।
भारत में लोकसभा और राज्य विधानसभा का कार्यकाल पांच साल का होता है। पांच साल पूरे होने से पहले अंतिम महीने में चुनाव आयोग चुनाव करवाता है। अगले साल पांच राज्यों की विधानसभाओं का कार्यकाल खत्म होने वाला है। इन राज्यों में पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और केरल जैसे बड़े राज्यों के साथ-साथ असम और पुडुचेरी जैसे दो छोटे राज्यों का भी चुनाव है। इन सभी राज्यों में अगले साल चुनाव होंगे। हालांकि, अगर किसी राज्य में विधानसभा किसी कारण समय से पहले भंग हो जाती है तो उस राज्य में भी छह महीने के भीतर चुनाव करवाने होते हैं।
यह भी पढ़ें-- पंजाब यूनिवर्सिटी से फिर शुरू हुई दिल्ली और पंजाब की लड़ाई, समझिए पूरी कहानी
असम
असम विधानसभा का कार्यकाल 21 मई 2021 को शुरू हुआ और 20 मई 2026 को वर्तमान विधानसभा का कार्यकाल खत्म हो जाएगा। असम में मई से पहले चुनाव आयोग को चुनाव करवाने होंगे। ऐसे में अप्रैल-मई 2026 में चुनाव हो सकते हैं। असम विधानसभा में 126 विधायक होते हैं और वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी के हिमंत बिश्व शर्मा असम के मुख्यमंत्री हैं। असम में मुख्य लड़ाई बीजेपी और कांग्रेस के बीच ही है। विपक्षी नेता गौरव गोगोई राज्य में कांग्रेस को सत्ता दिलवाने की कोशिश में जुटे हुए हैं और अन्य विपक्षी पार्टियों को साथ लाने की कोशिश कर रहे हैं। लगातार चुनावों में अच्छा प्रदर्शन कर रही बीजेपी आश्वस्त है कि असम में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में जनता उन्हें फिर से मौका देगी।
केरल
केरल की वर्तमान विधानसभा का कार्यकाल 24 मई 2021 से 10 मई 2026 तक है। केरल में भी असम के साथ ही अप्रैल-मई 2026 में चुनाव होने की संभावना है। केरल में विधायकों की संख्या 140 है और यहां लेफ्ट की पार्टियों और कांग्रेस का प्रभाव ज्यादा है। सीपीआईएम के पिनाराई विजयन केरल के मुख्यमंत्री हैं। वहीं कांग्रेस पार्टी के वीडी सतीशन विपक्ष के नेता हैं। केरल में वर्तमान में सीपीआईएम के नेतृत्व में एलडीएफ गठबंधन सरकार चला रहा है और उन्हें चुनौती देने के लिए कांग्रेस यूडीएफ गठबंधन का नेतृत्व कर रही है। 15 साल से देश की सत्ता पर काबिज भारतीय जनता पार्टी अभी भी केरल में अपनी राजनीतिक जमीन तलाश रही है।
तमिलनाडु
तमिलनाडु की वर्तमान विधानसभा का कार्यकाल 11 मई 2021 से 10 मई 2026 तक है। तमिलनाडु विधानसभा के चुनाव भी 2026 में अप्रैल-मई के महीने में होने संभावित हैं। तमिलनाडु में द्रविड़ मुनेत्र कड़गम के एमके स्टालिन मुख्यमंत्री के पद पर हैं। वह कांग्रेस के साथ गठबंधन में हैं और अगले साल होने वाले चुनावों में भी दोनों पार्टियां एक साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगी। वहीं इस गठबंधन को चुनौती देने के लिए बीजेपी की पुरानी साथी अन्नाद्रमुक पार्टी उनके साथ आ गई है।
यह भी पढ़ें: किस दल से कितने करोड़पति जीते, किस पर कितने मुकदमे; अनंत सिंह का नाम कहां?
पश्चिम बंगाल
पश्चिम बंगाल विधानसभा के चुनाव भी अगले साल अप्रैल-मई में ही हो सकते हैं। वर्तमान विधानसभा का कार्यकाल 7 मई 2026 से तक ही है। ऐसे में चुनाव आयोग अप्रैल के महीने में ही चुनाव करवा सकता है। पश्चिम बंगाल में विधानसभा की 294 सीटें हैं और वर्तमान में ममता बनर्जी के नेतृत्तव में तृणमूल कांग्रेस पार्टी सरकार चला रही है।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि इस बार भी पिछले चुनावों की तरह बीजेपी और तृणमूल कांग्रेस के बीच ही मुख्य मुकाबला देखने को मिल सकता है। वहीं, कांग्रेस और लेफ्ट भी इस बार गठबंधन में एक साथ चुनाव लड़ सकते हैं लेकिन उनका प्रभाव कुछ ही क्षेत्रों में है। बीजेपी के लिए ममता बनर्जी को हराना एक बड़ी चुनौती बन चुकी है और इसके लिए सालों से तैयारी कर रही है। बिहार के बाद बीजेपी ने बंगाल में तैयारी तेज कर दी है। वहीं, ममता बनर्जी भी SIR के मुद्दे पर सड़क पर उतर आई हैं।
पुडुचेरी
पुडुचेरी की वर्तमान विधानसभा का चुनाव भी अगले साल मई-जून में हो सकता है। पुडुचेरी की वर्तमान विधानसभा का कार्यकाल 15 जून 2026 को समाप्त हो रहा है। पुडुचेरी विधानसभा में सिर्फ 30 सीटें हैं। पुडुचेरी में एनडीए की सरकार है और एन रंगासामी मुख्यमंत्री हैं। आने वाले चुनावों में भी सीएम एन रंगासामी की पार्टी एनआर कांग्रेस और बीजेपी एक साथ चुनाव लड़ेंगी। वहीं कांग्रेस, डीएमके और लेफ्ट की पार्टियां मिलकर चुनावी मैदान में उतर सकती हैं।