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दिल्ली ब्लास्ट: 30 अक्टूबर तक अल-फलाह यूनिवर्सिटी में खड़ी थी i20 कार

दिल्ली के लाल किले के बाहर जिस i20 कार में धमाका हुआ था, उसका अल-फलाह यूनिवर्सिटी से कनेक्शन मिल रहा है। क्या अब तक पता चला है, आइए जानते हैं।

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अल-फलाह यूनिवर्सिटी में खड़ी i20 कार। (Photo Credit: Social Media)

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लाल किले के बाहर हुए धमाके की जांच में बड़ा खुलासा हुआ है। धमाके में इस्तेमाल हुई हुंडई i20 कार 30 अक्टूबर तक फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी के अंदर ही खड़ी थी। जांच एजेंसियों ने यूनिवर्सिटी से जब्त किए सीसीटीवी फुटेज की जांच की। जांच के बाद खुलासा हुआ कि कार कई दिनों तक वहीं खड़ी रही। फुटेज में साफ नजर आ रहा है कि 29 अक्टूबर को यह i20 कार यूनिवर्सिटी के मुख्य गेट से अंदर घुसती नजर आ रही है। 

फुटेज में यह भी पता चला है कि 30 अक्टूबर को दोपहर 2 बजकर 41 मिनट पर उमर मोहम्मद की यह कार यूनिवर्सिटी से बाहर निकलते नजर आई। जांच एजेंसियां अब इस कार के मूवमेंट और संदिग्धों के ठिकाने की गहराई से पड़ताल कर रही हैं।

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उमर ही लेकर आया था i20 कार

दिल्ली के लाल किले के पास सोमवार को खड़ी एक सफेद हुंडई आई20 कार में हुए विस्फोट की जांच में नया खुलासा हुआ है। जांच एजेंसियों को मिले सीसीटीवी फुटेज से पता चला है कि यह कार फरीदाबाद की अल फलाह यूनिवर्सिटी में खड़ी थी। विस्फोट के समय कार चला रहे उमर मोहम्मद उर्फ उमर नबी ने 29 अक्टूबर को मुख्य गेट से कार कैंपस में दाखिल की थी और 30 अक्टूबर को दोपहर 2:41 बजे बाहर निकली।

अल-फलाह यूनिवर्सिटी पर गहराया शक

अल फलाह यूनिवर्सिटी लाल किले पर हुए धमाके के बाद ही चर्चा के केंद्र में आ गई है। बम धमाके में 13 लोगों के परखच्चे उड़ गए थे। धमाका इतना तेज था कि आसपास की जमीन कांप गई थी। क्राइम ब्रांच ने UGC और NAAC की ओर से पाई गई अनियमितताओं के आधार पर यूनिवर्सिटी के खिलाफ धोखाधड़ी और जालसाजी के आरोप में दो FIR दर्ज की हैं। शनिवार को पुलिस की एक टीम ने यूनिवर्सिटी के ओखला दफ्तर में कुछ दस्तावेजों को लेकर पूछताछ की है। 

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धमाका कब हुआ था?

10 नवंबर को दिल्ली के लाल किले के पास एक i20 कार में धामा हुआ था। धमाका जम्मू-कश्मीर, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में फैले जैश-ए-मोहम्मद और अंसार गजवात-उल-हिंद से जुड़े 'व्हाइट कॉलर' आतंकी मॉड्यूल के भंडाफोड़ के कुछ घंटे बाद हुआ था। 8 लोगों को गिरफ्तार किया गया था, जिसमें से 5 डॉक्टर थे। 300 किलोग्राम से ज्यादा विस्फोटक बरामद किया गया था। 

अब क्या हो रहा है?

पुलिस अब सोशल मीडिया पर भी निगरानी रख रही है। आतंकियों की ऑनलाइन गतिविधि से जुड़ी जानकारियां हासिल की जा रहीं हैं। उन्हें वेरिफाई किया जा रहा है। सीसीटीवी निगरानी और सोशल मीडिया निगरानी एक साथ की जा रही है जिससे कोई सुराग न छूटे।  

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धमाके के बारे में अब तक जो पता है

पुलवामा में 1989 में जन्मा उमर मोहम्मद अल फलाह यूनिवर्सिटी में डॉक्टर था। वही i20 कार लेकर लाल किला गया था। सीसीटीवी फुटेज में वह नजर भी आ रहा है। डीएनए टेस्ट से ब्लास्ट स्थल पर मिले अवशेषों की पुष्टि हो चुकी है कि कार में वही मौजूद था। यह आत्मघाती है। पुलिस ने उसके परिवार के सदस्यों के डीएनए सैंपल लिए थे, जो अवशेषों से मैच हो गए थे। ब्लास्ट से जुड़े फरीदाबाद के टेरर मॉड्यूल से उनका लिंक भी सामने आया है। वहीं अमोनियम नाइट्रेट जैसे विस्फोटक बरामद हुए थे। उमर को 20 लाख रुपये की फंडिंग भी मिली थी। 

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