logo

ट्रेंडिंग:

पूर्व IPS अफसर की नियुक्ति के खिलाफ ममता ने PM मोदी को चिट्ठी क्यों लिख डाली?

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दार्जिलिंग हिल्स में गोरखाओं से संबंधित मुद्दों के समाधान के लिए एक रिटायर्ड IPS अधिकारी को वार्ताकार नियुक्त करने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है।

Mamata Banerjee

ममता बनर्जी। Photo Credit- PTI

शेयर करें

संबंधित खबरें

Reporter

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दार्जिलिंग हिल्स में गोरखाओं से संबंधित मुद्दों के समाझआन के लिए एक रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी को वार्ताकार नियुक्त करने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। सीएम ने इस फैसले पर हैरानी जताया और असंवैधानिक बताते हुए प्रधानमंत्री से रिटायर्ड आईपीएस की नियुक्ति को वापस लेने का आग्रह किया है।

 

प्रधानमंत्री को लिखे अपने दो पन्नों के पत्र में बनर्जी ने कहा कि यह कदम संवैधानिक प्रावधानों और गोरखालैंड प्रादेशिक प्रशासन अधिनियम, 2011 के तहत राज्य के अधिकार क्षेत्र का उल्लंघन करता हैबनर्जी ने 18 अक्टूबर के अपने पूर्व पत्र का उल्लेख करते हुए लिखा कि प्रधानमंत्री कार्यालय ने उनकी चिंताओं को स्वीकार किया है और उन्हें केंद्रीय गृह मंत्री को भेज दिया है

 

यह भी पढ़ें: केरल से लेकर बंगाल तक, 2026 में कहां-कहां होंगे विधानसभा चुनाव?

'फैसले को अस्वीकार करती है सरकार'

बंगाल की मुख्यमंत्री ने केंद्र के इस फैसले को एकतरफा, मनमाना और चौंकाने वाला कदम बताया है। सीएम ने अपने पत्र में कहा, 'पश्चिम बंगाल सरकार राज्य के आंतरिक मामलों में इस असंवैधानिक, मनमाने और राजनीतिक रूप से रंगे हस्तक्षेप को स्पष्ट रूप से अस्वीकार करती है और इसका कड़ा विरोध करती हैइस तरह के कृत्यकेवल संवैधानिक संघीय ढांचे को कमजोर करते हैं, बल्कि हमारी लोकतांत्रिक राजनीति को परिभाषित करने वाली एकता और आपसी सम्मान की भावना को भी नष्ट करते हैं'

 

 

 

 

उन्होंने लिखा, 'यह गंभीर चिंता का विषय है कि मेरे पत्र के जवाब में कोई और संवाद किए बिना और आपके हस्तक्षेप के बावजूद गृह मंत्रालय के अधीन वार्ताकार का कार्यालय पहले ही काम करना शुरू कर चुका है' उन्होंने इस घटनाक्रम को चौंकाने वाला बताया

 

यह भी पढ़ें: 'कश्मीर की समस्या लाल किले के सामने गूंजी', बीजेपी पर हमलावर महबूबा मुफ्ती

एकतरफा और मनमाना फैसला

बनर्जी ने केंद्र के फैसले को एकतरफा और मनमाना बताते हुए कहा कि यह पश्चिम बंगाल सरकार के परामर्श या सहमति के बिना लिया गया हैजीटीए अधिनियम, 2011 का हवाला देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि यह कानून सरकार को स्पष्ट रूप से पश्चिम बंगाल राज्य की सरकार के रूप में परिभाषित करता है और इसलिए केंद्र सरकार के पास इन क्षेत्रों से संबंधित मामलों में किसी भी प्रतिनिधि या मध्यस्थ को नियुक्त करने का कोई अधिकार नहीं है

 

बता दें कि उत्तर बंगाल में कलिम्पोंग और दार्जिलिंग जिलों के कुछ हिस्सों का शासन इस अधिनियम के तहत आता हैमुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र द्वारा वार्ताकार की नियुक्ति संघ और राज्यों के बीच शक्तियों के संवैधानिक वितरण का उल्लंघन हैउन्होंने कहा, 'मैं एक बार फिर आपके हस्तक्षेप की उम्मीद करती हूं और आपसे इस असंवैधानिक और मनमाने आदेश को रद्द करने का अनुरोध करती हूं'

 


और पढ़ें

design

हमारे बारे में

श्रेणियाँ

Copyright ©️ TIF MULTIMEDIA PRIVATE LIMITED | All Rights Reserved | Developed By TIF Technologies

CONTACT US | PRIVACY POLICY | TERMS OF USE | Sitemap