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किन मांगों को लेकर देशभर में प्रदर्शन करने जा रहे हैं किसान?

26 नवंबर 2020 को किसानों ने 'दिल्ली चलो' का नारा देकर आंदोलन शुरू किया था। इसकी पांचवीं सालगिरह पर किसान अब बुधवार को फिर देशभर में प्रदर्शन करने जा रहे हैं।

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प्रतीकात्मक तस्वीर। (Photo Credit: PTI)

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किसान आज फिर बड़ा प्रदर्शन करने जा रहे हैं। यह प्रदर्शन किसान आंदोलन की पांचवीं सालगिरह पर हो रहा है। पांच साल पहले 26 नवंबर 2020 को केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों ने आंदोलन शुरू किया था। लगभग एक साल तक चले आंदोलन के बाद सरकार ने तीनों कृषि कानूनों को वापस ले लिया था। हालांकि, किसान संगठनों का दावा है कि पांच साल बाद भी उनकी मांगों को नहीं माना गया है। 


इसे लेकर ही संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) के बैनर तले किसान बुधवार को देशभर में प्रदर्शन करने जा रहे हैं। यह प्रदर्शन राजधानी दिल्ली समेत देशभर में किया जाएगा। 


इससे पहले किसान संगठनों ने राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू के नाम एक ज्ञापन भेजा है। इसमें लिखा है, 'ऐतिहासिक किसान आंदोलन की पांचवीं सालगिरह के मौके पर देशभर के किसान और मजदूर एक बार फिर बड़े पैमाने पर प्रदर्शन करने पर मजबूर हैं।'

 

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क्या हैं किसानों की मांगें?

राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू के नाम लिखे ज्ञापन में किसान संगठनों ने अपनी पुरानी मांगों को ही दोहराया है। इसमें उन्होंने कर्जमाफी, बिजली बिल की वापसी और चार लेबर कोड को रद्द करने की मांग की है।


इस ज्ञापन में लिखा है, 'ऐतिहासिक किसान आंदोलन 26 नवंबर 2020 को दिल्ली बॉर्डर पर शुरू हुआ था, जो 380 दिनों तक चला और इसमें 736 किसानों ने अपनी जान दी और सरकार को कॉर्पोरेट समर्थक तीन कृषि कानूनों को रद्द करने के लिए मजबूर करने में कामयाब रहा।'


इसमें बताया गया है कि केंद्र सरकार के लिखित आश्वासन के बाद विरोध को रोक दिया गया था। इसमें MSP का मुद्दा भी शामिल है, जिसे लेकर सरकार ने वादा किया था कि स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश के आधार पर इसे पूरा किया जाएगा। SKM ने कहा, 'हालांकि, पिछले 5 साल से किसान सरकार के आश्वासनों को पूरा होने का इंतजार कर रहे हैं लेकिन कोई कदम नहीं उठाया गया। दुर्भाग्य से सरकार ने ऐसे कदम उठाए हैं जिनसे किसानों की आर्थिक स्थित और खराब हो गई है और देश की खेती में आत्मनिर्भरता और खाद्य सुरक्षा खत्म हो गई है।'

 

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और क्या-क्या हैं किसानों की मांगें?

SKM ने 11 सालों में किसानों की आत्महत्या के मामले बढ़ने का आरोप भी लगाया है। 


SKM ने कहा, 'प्रधानमंत्री ने 2017 में वादा किया था कि 2022 तक किसानों की आय दोगुनी कर दी जाएगी लेकिन यह खोखला साबित हुआ। उल्टा लागत दोगुनी हो गई है, जिससे आजीविका तीन गुना महंगी हो गई है।'


इसके अलावा, किसान संगठनों ने मनरेगा मजदूरों की दिहाड़ी 200 रुपये से बढ़ाकर 700 रुपये करने की मांग की है। साथ ही बाढ़ और लैंडस्लाइड की सभी घटनाओं को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की भी मांग की है।


अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से लगाए गए 50% टैरिफ पर भी जवाबी कार्रवाई करने की मांग SKM ने की है। SKM ने कहा कि 'भारत पर अमेरिका की ओर से लगाए गए 50% टैरिफ को संप्रभुता पर हमला माना जाना चाहिए और जवाबी कार्रवाई की जानी चाहिए।'

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