रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन अगले महीने भारत के दौरे पर आने वाले हैं। इस दौरे से पहले भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर रूस का दौरा कर चुके हैं। व्लादिमीर के दौरे से पहले अमेरिकी प्रतिबंधों का असर दिखने लगा है। रिलायंस ने गुजरात के जामनगर में मौजूद अपनी रिफाइनिंग इकाई के लिए रूसी कच्चे तेल का आयात बंद कर दिया है।
रिलायंस ने एक बयान में कहा, '21 जनवरी 2026 से लागू होने वाले उत्पाद पर आयात प्रतिबंधों का पालन सुनिश्चित करने के लिए हमने यह बदलाव तय समय से पहले पूरा कर लिया है।'
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भारत- अमेरिका संबंध
भारत और अमेरिका के बीच संबंध काफी अच्छे रहे हैं लेकिन पिछले कुछ समय से दोनों देशों के बीच संबंधों में खटास आ गया है। हाल के दशकों में अमेरिका के साथ भारत के संबंध सुधरे थे जिस वजह से भारत की रक्षा मामलों में निर्भरता रूस पर कम हुई थी। अभी बन रही स्थिति के बावजूद दोनों देशों के बीच ट्रेड डील पर बातचीत हो रही है।
ब्लूमबर्ग के अनुसार भारत ने इस ट्रेड डील के तहत अमेरिका से भी कच्चा तेल खरीदने का वादा किया है। अब देश की LPG जरूरत का 10 फीसदी हिस्सा अमेरिका से खरीदा जाएगा।
आयात में कमी
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत द्वारा रूस से तेल खरीदने के आरोप में अगस्त में भारत पर 50% टैरिफ लगाया था। 2022 में रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध शुरू होने से पहले रूस से भारत के तेल का आयात का हिस्सा 2.5% था, जो 2024-25 में रियायती दरों पर रूसी तेल की खरीद के कारण बढ़कर लगभग 35.8 % हो गया। रिलायंस भारत में रूसी तेल का सबसे बड़ा आयातक है और देश में रूसी तेल का लगभग 50% हिस्सा रिलायंस के पास ही आता है। कई रिपोर्ट के अनुसार, पिछले कुछ महीनों से भारत में तेल रिफाइनरियां अपने आयात में कमी कर रही हैं।
तेल खरीद पर रियल टाइम डेटा देने वाली फर्म केपलर के अनुसार भारत ने 1 से 17 नवंबर के बीच रूस से हर दिन 6, 72, 000 बैरल तेल खरीदा। जबकि भारत अक्टूबर महीने में रोजाना करीब 18 लाख बैरल खरीद रहा था।
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रूस के साथ संबंधों पर क्या होगा असर?
- भारत हथियारों और आधुनिक सैन्य टेक्नॉलजी के मामले में 60 से 70 फीसदी रूस पर निर्भर है। दुनिया में इस समय रियल और ट्रेड वॉर दोनों हो रहे हैं। भारत अपने संबंध अमेरिका से अच्छे करने के प्रयास में तो है लेकिन ट्रंप पर पूरी तरह से भरोसा नहीं किया जा सकता।
- वहीं रूस के साथ भारत के संबंध कई दशकों से स्थिर रहे हैं। शीत युद्ध के समय में भारत खुद को गुटनिरपेक्ष बताता रहा लेकिन जब अमेरिका ने 1971 के गृह युद्ध में पाकिस्तान का साथ दिया तो भारत की करीबी यूएसएसआर से बढ़ने लगी।
- इस नजदीकी का असर दोनों के रिश्तों पर पड़ा जहां पिछले तीन दशकों में रूस से भारत का सहयोग अंतरिक्ष, परमाणु उर्जा और रक्षा क्षेत्र में बढ़ा है।
- भारत और रूस के संबंध मुख्य रूप से रणनीतिक और रक्षा सहयोग पर टिका हुआ है। भारत का लगभग 60-65% सैन्य हार्डवेयर रूस से आता है।
पुतिन के अगले महीने होने वाले दौरे में दोनों देश नए विकल्पों की खोज करने पर जोर दे सकते हैं। दोनों देश स्थानीय मुद्राओं में व्यापार को बढ़ाने पर जोर दे सकते हैं, ताकि पश्चिमी प्रतिबंधों का असर कम हो सके। तेल खरीद में कमी निश्चित रूप से एक चुनौतीपूर्ण आर्थिक मुद्दा है लेकिन यह कहना गलत होगा की इससे दोनों के संबंधों पर असर पड़ेगा।