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क्या है रिसिन केमिकल? फरीदाबाद से पकड़े गए डॉक्टर ने क्यों जुटा रखा था

गुजरात एटीएस ने तीन संदिग्धों को गिरफ्तार किया है जो रिसिन का इस्तेमाल कर आतंकवादी घटना को अंजाम देना चाहते थे। जानते हैं क्या है यह और इसके जरिए पहले कैसे हुई हत्या?

Ahmed Mohiyuddin Saiyed । Photo Credit : X

अहमद मोहियुद्दीन सैय्यद Photo Credit : Social Media

गुजरात एटीएस ने रविवार को तीन संदिग्धों को गिरफ्तार किया। उन्हें संदेह था कि वे भारत में बड़े आतंकी हमले को अंजाम देने वाले थे। जांच के दौरान पता चला कि उन्होंने कई भीड़भाड़ वाले इलाकों की रेकी की थी।

 

पूछताछ में पता चला कि मुख्य आरोपी अहमद मोहियुद्दीन सैय्यद एक डॉक्टर है और चीन से एमबीबीएस की डिग्री ली है। कहा जा रहा है कि वह एक बहुत ही जहरीला केमिकल रिसिन बनाने की कोशिश कर रहा था। इसके लिए उसने दिल्ली की आजादपुर मंडी सहित अहमदाबाद की नरोदा फ्रूट मार्केट तक गए थे। इसके अलावा उन्होंने लखनऊ में आरएसएस की ऑफिस की भी रेकी की थी।

 

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क्या है रिसिन

रिसिन का निर्माण कैस्टर ऑयल के बीजों से किया जाता है और यह काफी जहरीला होता है। अगर इसे ज्यादा मात्रा में शरीर के अंदर चला जाए तो खतरनाक हो सकता है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक हालांकि, इसका क्रिमिनल यूज़ बहुत ही मुश्किल से देखने को मिलता है।

 

रिसिन एक लेक्टिन है जो प्राकृतिक रूप से अरंडी या कैस्टर के पौधे के बीजों में पाया जाता है। यह एक तरह का प्रोटीन है जो काफी जहरीला होता है। यह प्रोटीन अगर शरीर में पहुंच जाए तो शरीर की कोशिकाएं मरने लगती हैं, नतीजतन व्यक्ति की मौत हो जाती है।

 

इसके जहर का असर इस बात पर भी निर्भर करता है कि यह किस तरह से शरीर में पहुंचा है। मुंह से निगलने की तुलना में अगर यह सांसों या इंजेक्शन के जरिए शरीर में पहुंचता है तो काफी नुकसान पहुंचाता है। अगर व्यक्ति के प्रति किलोग्राम भार के हिसाब से एक मिलीग्राम तक शरीर के अंदर पुहंचने पर काफी नुकसानदायक हो सकता है।

कैसे कितना होता है नुकसान

अगर सांसों के जरिए रिसिन शरीर के अंदर जाता है तो कुछ ही घंटों में व्यक्ति को खांसी, बुखार के साथ साथ सीने में जकड़न महसूस होने लगती है जिसकी वजह से सांस लेने में दिक्कत होनी शुरू हो जाती है।


अगर मुंह के जरिए रिसिन शरीर के अंदर पहुंचता है तो पेट दर्द, उल्टी, डायरिया और डिहाइड्रेशन जैसी समस्या हो सकती है। इसकी वजह से कोशिकाएं मरने लगी हैं और कई आंतरिक अंग काम करना बंद कर देते हैं जिसकी वजह से व्यक्ति की 3 से 5 दिनों में मौत हो जाती है।


अगर रिसिन को शरीर में इंजेक्ट कर दिया जाए तो बहुत ही तेजी के साथ अंग काम करना बंद कर देते हैं और व्यक्ति की मौत हो जाती है।

हालांकि, स्किन से कॉन्टैक्ट में आने से इसके शरीर के अंदर पहुंचने की संभावना बहुत कम होती है लेकिन इससे शरीर में लाल चकत्ते, खुजली इत्यादि की समस्या हो सकती है।

BBC जर्नलिस्ट की हुई थी हत्या

रिसिन के जरिए हत्या का एक मामला 1978 में सामने आया जब बुल्गारिया मूल के एक बीबीसी पत्रकार जॉर्जी मार्कोव की लंदन में जहरीले पेलेट के जरिए हत्या कर दी गई थी। पेलेट को छाता (अम्ब्रेला) के जरिए उनके शरीर में चुभाया गया था। घटना के चार दिनों के बाद मौत हो गई। बाद में जांच में पता चला कि उसमें जहरीला रिसिन था।

 

ऐसे भी कुछ उदाहरण सामने आए हैं जब जहरीले रिसिन को किसी को मेल कर दिया गया। हालांकि, एक्सपर्ट्स का मानना है कि इसे मास डिस्ट्रक्शन के लिए प्रयोग कर पाना काफी मुश्किल है। कथित आरोपी संभवतः इसी बात का प्रयोग कर रहा था कि इसे कैसे बड़े स्तर पर आतंकवादी घटना के लिए प्रयोग किया जा सकता है।

 

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क्या हैं नियम

इसके जहरीले नेचर को देखते हुए रिसिन को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर काफी रेग्युलेट किया गया है। बॉयोलॉजिकल वीपन एंटी- टेररिज़म ऐक्ट सहित अन्य कई ऐसे कानून हैं जो कि इसे रखने, इसकी मैन्युफैक्चरिंग और प्रयोग को बाधित करते हैं। रिसिन को लेकर भारत भी अंतर्राष्ट्रीय नियमों का पालन करता है।

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