संजय सिंह, पटना। टिकट बांटने के बाद से ही कांग्रेस में घमासान शुरू हो गया था। पार्टी के 43 नेताओं ने प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम और बिहार प्रभारी कृष्णा अल्लावरू के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। विरोध कर रहे नेताओं का आरोप था कि पार्टी के समर्पित कार्यकर्ताओं की उपेक्षा कर टिकट को बेचा गया है। चुनाव के दौरान भी विरोध का यह स्वर धीमा नहीं पड़ा।
नतीजा यह हुआ कि कई स्थानों पर तो कांग्रेस प्रत्याशी को अपनों का ही सामना करना पड़ा। विरोध के स्वर अब भी उठ रहे हैं। पार्टी के 43 विरोधी नेताओं ने 21 नवंबर को सदाकत आश्रम पटना में धरना देने का मन बना लिया है। विरोध को दबाने के लिए प्रदेश अनुशासन समिति के अध्यक्ष कपिलदेव यादव ने इन नेताओं को कारण बताओ नोटिस थमाया है।
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इन नेताओं को भेजा गया नोटिस
पार्टी ने पूर्व मंत्री अफाक आलम, पूर्व प्रवक्ता आनंद माधव, पूर्व विधायक छत्रपति यादव, पूर्व मंत्री वीणा शाही, पूर्व विधान पार्षद अजय कुमार सिंह, पूर्व विधायक मुन्ना शाही और बंटी चौधरी को नोटिस भेजा है। इन नेताओं का दर्द है कि इन्हें टिकट नही दिया गया। बाद में इन सभी ने अपनी नाराजगी के कारण पार्टी लाइन से हटकर सार्वजनिक मंच से बयान भी देना शुरू कर दिया था। उनकी बयानबाजी से पार्टी को किरकिरी का सामना करना पड़ा।
कांग्रेस प्रवक्ता ने खोला मोर्चा
कांग्रेस नेताओं को 21 नवंबर को दोपहर 3 बजे तक जवाब देना है। जवाब मिलने के बाद आगे की कारवाई तय की जाएगी। इस बीच पार्टी के प्रवक्ता सूरज सिन्हा ने कहा है कि नोटिस मिलने से वे घबराने वाले नही हैं। प्रदेश नेतृत्व हार की जिम्मेदारी लेने के बजाय अनुशासन समिति की आड़ में पार्टी के समर्पित कार्यकर्ताओं को डराने धमकाने का काम कर रही है। समय पर नोटिस का जवाब दे दिया जाएगा।
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किसके खाते में आएगा मुख्य सचेतक का पद?
चुनाव में भले ही राजद की हार बुरी तरह हुई हो, लेकिन राजद अब भी जातीय समीकरण को साधने में लगा है। तेजस्वी यादव राजद विधायक दल के नेता चुने गए हैं। विधानसभा में मुख्य सचेतक का पद खाली है। राजद के 25 विधायकों में 11 यादव और 3 मुसलमान हैं। विधान परिषद में मुख्य सचेतक अब्दुल बारी सिद्दकी हैं। माना जा रहा है कि इस वजह से विधानसभा में मुस्लिम विधायक को मुख्य सचेतक नही बनाया जाएगा।
एमवाई समीकरण के बाद सबसे ज्यादा 4 विधायक अनुसूचित जाति से जीते हैं। उधर, धानुक और कुशवाहा जाति से जीते विधायकों की संख्या भी 4 है। ऐसी स्थिति में जातीय समीकरण को साधने के लिए राजद विधानसभा में मुख्य सचेतक का पद अनुसूचित या कुशवाहा जाति के विधायक को दे सकता है।
गांधी मैदान में चौथी बार शपथ लेंगे नीतीश
वैसे तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का यह दसवां शपथ ग्रहण समारोह है, लेकिन गांधी मैदान में वह चौथी बार शपथ लेंगे। पहले की परंपरा के अनुसार राजभवन में शपथ ग्रहण समारोह आयोजित किया जाता था। कांग्रेस के शासनकाल में ऐसा ही होता रहा, लेकिन 10 मार्च 1990 को राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद ने इस परंपरा को तोड़ते हुए गांधी मैदान में खुले आकाश के नीचे शपथ लिया था। नीतीश 22 नवंबर 2015, 25 नवंबर 2010, 24 नवंबर 2005 को गांधी मैदान में शपथ ले चुके हैं।