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सम्मान की लड़ाई बना 10 सर्कुलर रोड का बंगला, क्या करेंगी राबड़ी देवी?

RJD नेता राबड़ी देवी को नोटिस मिला है कि वह जल्द ही अपना सरकारी बंगला खाली कर दें। इस पर RJD नेता भड़क गए हैं और उन्होंने ऐसा करने से इनकार किया है। 

rabri devi 10 circular road

राबड़ी देवी को मिला बंगला खाली करने का नोटिस, Photo Credit: Khabargaon

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साल 2005 में 22 नवंबर को बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे आते हैं और लगातार अपने डाउनफॉल से जूझ रही राष्ट्रीय जनता दल (RJD) सत्ता से बाहर हो जाती है। नेशनल डेमोक्रैटिक अलायंस (NDA) को 143 सीटें मिलती है। जनता दल यूनाइटेड (JDU) 88 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनती है और मुख्यमंत्री बनते हैं नीतीश कुमार। राबड़ी देवी मार्च 2005 के चुनाव बाद ही इस्तीफा दे चुकी थीं, मगर हंग असेंबली और उसके बाद विधानसभा भंग होने के कारण बिहार में राष्ट्रपति शासन लग गया। 2005 में दोबारा चुनाव हुए तो राबड़ी देवी के हाथ से सत्ता जा चुकी थी मगर सत्ता त्यागने के साथ एक और चीज़ का त्याग करना पड़ रहा था और वह था बंगला। 

 

1990 में लालू यादव के मुख्यमंत्री बनने के बाद से एक अणे मार्ग पर मुख्यमंत्री आवास लालू-राबड़ी के पास ही था। मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद अब उन्हें किसी भी हाल में यह बंगला खाली करना ही था। मगर राबड़ी देवी राघोपुर से विधायक चुनकर आई थीं और सदन में नेता प्रतिपक्ष भी बनीं। इस हैसियत से उन्हें 10 सर्कुलर रोड का आवास आवंटित किया गया। तब भी मुख्यमंत्री आवास खाली करने को लेकर बड़ा विवाद हुआ था। आज जब राबड़ी देवी को 10 सर्कुलर रोड खाली करने का नोटिस जारी हुआ है, तब भी विवाद गहराता जा रहा है। 10 सर्कुलर रोड लालू-राबड़ी परिवार के लिए कई यादें और राजनीतिक घटनाक्रम का गवाह रहा है तो आज हम इसी पर बात करेंगे। हम यह भी बताएंगे कि यह बंगला क्यों खाली करवाया जा रहा है और कैसे यह आवास बीते दो दशकों में बिहार की राजनीति का सबसे अहम केंद्र बना हुआ था?

2005 में भी खाली करना पड़ा था बंगला

 

नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री बनने के बाद राबड़ी देवी को 10 सर्कुलर रोड आवास आवंटित किया गया। यह वही बंगला था, जिसमें उनके भाई साधु यादव रहते थे। मुख्यमंत्री आवास के बाद सबसे चर्चित और आलीशान बंगलों में से एक। इसलिए भी वह आवास साधु यादव के पास था। मार्च 2005 में राष्ट्रपति शासन लगने के अगले दिन ही साधु यादव और सुभाष यादव को उन बंगलों को खाली करने का नोटिस मिला था, जो उन्होंने अवैध रूप से कब्जा किया हुआ था। सत्ता जाते ही और नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री बनते ही, लालू यादव को भी 10 देश रत्न मार्ग आवास खाली करना पड़ा था। लालू यादव के बाद नीतीश कुमार के करीबी मित्र और तत्कालीन शिक्षा मंत्री वृषिण पटेल को वह आवास आवंटित किया गया। 

 

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2004 से 2009 तक लालू यादव सांसद और UPA वन में रेल मंत्री थे, इसलिए उन्हें पटना में कोई आवास आवंटित नहीं किया गया। तब पूर्व मुख्यमंत्रियों के लिए ऐसा कोई प्रावधान भी नहीं था। 2009 के लोकसभा चुनाव में वह एक फिर से सांसद चुने गए, इसलिए उनका आधिकारिक आवास दिल्ली में रहा। 30 सितंबर 2013 को सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने चारा घोटाल मामले में उन्हें 5 साल की सजा सुनाई। 3 अक्टूबर 2013 को जेल जाने के बाद उनकी लोकसभा की सदस्यता खत्म हो गई। इसके बाद उन्हें कभी भी पूर्व मुख्यमंत्री की हैसियत से बंगला अलॉट नहीं किया गया जबकि 2010 में पूर्व मुख्यमंत्रियों के लिए प्रावधान बदल गए थे, जिसके बारे में आगे हम विस्तार से बात करेंगे। जब भी वह बेल पर बाहर रहे तो उनका ठिकाना 10 सर्कुलर रोड यानी कि राबड़ी आवास ही रहा। 

 

अब कहानी पर वापस लौटते हैं। नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री बनने के बाद 27 नवंबर 2005 को भवन निर्माण विभाग ने राबड़ी देवी को एक नोटिस भेजा कि वह जल्द से जल्द मुख्यमंत्री आवास खाली कर दें। मगर खरमास के कारण वह आवास खाली नहीं कर रही थीं। दूसरा कारण उनकी तरफ से यह बताया जाने लगा कि उन्हें 10 सर्कुलर रोड का रेनोवेशन कराना है जबकि साधु यादव वहां ऑलरेडी रहते थे। 

RJD का केंद्र बना 10 सर्कुलर रोड

 

13 दिसंबर को भवन निर्माण विभाग ने दूसरा नोटिस भेजा और एक सप्ताह की डेडलाइन देते हुए कहा कि अगर वह खाली नहीं करते हैं तो उन्हें जबरन बेदखल कर दिया जाएगा। एनडीए की सरकार में भवन मंत्री बनाए गए थे, मोनाजिर हसन। उन्होंने कहा कि वह कोई राजनीतिक विवाद नहीं चाहते हैं लेकिन नियम सबको मानना पड़ेगा। नोटिस में इस्तेमाल किए गए शब्दों से लालू यादव काफी नाराज थे और उन्होंने नीतीश कुमार पर बदले की भावना से कार्रवाई करने का आरोप लगाया। 

 

खैर, जब सारे रेनोवेशन कंप्लीट हो गए, तब कहा गया कि राबड़ी देवी खरमास के बाद ही नए आवास में शिफ्ट होंगी। खरमास में लोग कोई भी शुभ काम की शुरुआत करने से बचते हैं। 14 जनवरी 2006 को खरमास खत्म होने के बाद ही राबड़ी देवी 10 सर्कुलर रोड में शिफ्ट हुईं। इस बीच में सरकार की तरफ से ज्यादा दबाव ना डालने के पीछे एक कारण यह भी बताया गया कि नीतीश कुमार भी खरमास के दौरान मुख्यमंत्री आवास में शिफ्ट नहीं होना चाहते थे। 

 

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खरमास के बाद नीतीश कुमार मुख्यमंत्री आवास और राबड़ी देवी 10 सर्कुलर रोड में शिफ्ट हुईं। इसके बाद 10 सर्कुलर रोड बिहार के कई राजनीतिक घटनाक्रम का केंद्र तो रहा ही, उससे ज्यादा महत्वपूर्ण यह कि लालू यादव के दोनों बेटों तेजस्वी और तेजप्रताप ने इसी आवास में अपनी राजनीतिक शिक्षा-दीक्षा ली। यह वही आवास है, जहां लाल यादव मकर संक्रांति के दिन पारंपरिक दही-चूड़ा भोज कराते रहे हैं। जिसमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी शामिल हो चुके हैं। नीतीश कुमार यहां कराई जाने वाली इफ़्तार पार्टी में भी हाजिरी लगा चुके हैं। जब-जब नीतीश कुमार ने एनडीए से अलग होकर RJD के साथ सरकार बनाई, तब-तब नीतीश कुमार का यहां आना जाना लगा रहा। 

 

मगर उनमें सबसे महत्वपूर्ण था 14 जनवरी 2017 का दिन। 2015 में लालू यादव और नीतीश कुमार के साथ आने पर  महागठबंधन ने बड़ी जीत दर्ज की थी। नीतीश कुमार मुख्यमंत्री और तेजस्वी यादव उपमुख्यमंत्री बने। मगर 5 जनवरी 2017 को प्रकाश पर्व के दौरान नीतीश कुमार ने जैसे ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ स्टेज शेयर किया, इस बात की चर्चा तेज हो गई कि नीतीश कुमार जल्द ही RJD का साथ छोड़ सकते हैं। इसकी एक वजह यह भी थी कि नरेंद्र मोदी ने नीतीश कुमार की खूब तारीफ की थी। मगर 10 दिनों की इस चर्चा को नीतीश कुमार ने तब विराम दिया, जब वह 10 सर्कुलर रोड राबड़ी आवास में आयोजित दही-चूड़ा भोज में शामिल हुए। लालू यादव ने नीतीश कुमार को दही का तिलक लगाते हुए कहा कि महागठबंधन में कोई विवाद नहीं है। नीतीश कुमार ने भी कहा कि महागठबंधन हमेशा की तरह मजबूत है और वह लालू यादव के साथ मिलकर बिहार के विकास के लिए काम करेंगे। 

इफ्तार पार्टी और नीतीश कुमार ने मारी पलटी

 

2018 में जब लालू यादव के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव की शादी हुई थी तो सारा मैनेजमेंट राबड़ी देवी के इसी आवास से चल रहा था। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सहित देश के कई बड़े नेता वेटनरी कॉलेज ग्राउंड में हुए शादी समारोह में शरीक हुए थे। मगर राबड़ी आवास पर नीतीश कुमार के जिस मुलाकात की सबसे ज्यादा चर्चा रही, वह थी 22 अप्रैल 2022 की इफ़्तार पार्टी। नीतीश कुमार तब मुख्यमंत्री थे और तेजस्वी यादव नेताप्रतिपक्ष। तेजस्वी यादव राबड़ी आवास के बाहर नीतीश कुमार को रिसीव करने पहुंचे थे। इसी दिन डोरंडा चारा घोटाला में लालू यादव को बेल मिली थी और लालू परिवार ने इस खुशी में इफ़्तार पार्टी रखी। नीतीश कुमार इफ़्तार पार्टी के दौरान लालू परिवार और RJD के कई सीनियर लीडर्स से मिले। नीतीश कुमार ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि इफ़्तार पार्टी में उनकी उपस्थिति का राजनीति से कोई लेना देना नहीं है। उन्होंने कहा कि वह भी इफ़्तार पार्टी करते हैं, जिसमें सभी को निमंत्रण देते हैं। हालांकि, यह इफ़्तार पार्टी बीजेपी को एक क्लियर मैसेज थी कि नीतीश कुमार के लिए अभी भी सारे विकल्प खुले हैं। सिर्फ तीन महीनों के भीतर इस मुलाकात ने रंग दिखाया और अगस्त 2022 के पहले हफ्ते में नीतीश कुमार एनडीए से अलग हो गए। 10 अगस्त 2022 को एक बार फिर से नीतीश कुमार मुख्यमंत्री और तेजस्वी यादव उपमुख्यमंत्री बने। 

 

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इसके बाद इंडिया ब्लॉक बनाने, कैबिनेट एक्सपेंशन या और अन्य कारणों से नीतीश कुमार का 10 सर्कुलर रोड आना-जाना लगा रहा। जब तक कि 28 जनवरी 2024 को नीतीश कुमार एक बार फिर महागठबंधन से अलग नहीं हो गए। 10 सर्कुलर रोड से एक रिश्ता तो नीतीश कुमार का भी है। 

 

सोनिया गांधी और राहुल गांधी भी इस आवास पर आ चुके हैं। इसी साल 20 जनवरी 2025 को राहुल गांधी लालू यादव और राबड़ी देवी से मिलने 10 सर्कुलर रोड पहुंचे थे। इस दौरान तेजस्वी यादव ने उन्हें राबड़ी आवास का टूर कराया और आवास के भीतर बंधी गाय और बकरियां भी दिखाई। लालू यादव के बंगले की सबसे खास पहचान यही है कि वहां आपको जानवर जरूर दिखेंगे तो कई सारी ऐसी यादें हैं, जो लालू परिवार की 10 सर्कुलर रोड से जुड़ी हुई है। 

क्यों खाली करना पड़ रहा है बंगला?

 

मगर नई सरकार बनने के बाद राबड़ी देवी को ये आवास खाली क्यों कराया जा रहा है? क्या इसका एकमात्र कारण राजनीतिक है? तो ऐसा नहीं है। अगस्त 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसला सुनाया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन बंगला नहीं दिया जा सकता। एक्स चीफ मिनिस्टर्स रेसीडेंस अलॉटमेंट रूल्स, 1997 को सुप्रीम कोर्ट ने गलत माना था। जिसके बाद मई 2018 में उत्तर प्रदेश सरकार ने एनडी तिवारी, मुलायम सिंह यादव, कल्याण सिंह, मायावती, राजनाथ सिंह और अखिलेश यादव को बंगला खाली करने का नोटिस भेजा था। 

 

उत्तर प्रदेश की तर्ज पर बिहार में भी एक कानून बना था। बिहार स्पेशल सेक्योरिटी ग्रुप एक्ट 2000। 2010 में नीतीश सरकार ने इसमें एक संशोधन किया। संशोधन के तहत पूर्व मुख्यमंत्रियों की सुरक्षा को देखते हुए उन्हें पटना में एक निःशुल्क बंगला और विशेष सुरक्षा दल की व्यवस्था की बात की गई। इस संशोधन के पीछे यह तर्क दिया गया कि पूर्व मुख्यमंत्रियों को उग्रवादी एवं आतंकी संगठनों से खतरा हो सकता है। 

 

मगर पटना हाई कोर्ट ने सुओ मोटो यानी कि स्वत: संज्ञान लेते हुए 19 फरवरी 2019 को एक फैसला सुनाया। तत्कालीन चीफ जस्टिस एपी शाही और जस्टिस अंजना मिश्रा के बेंच ने इस संशोधन को रद्द करते हुए कहा, 'संविधान में कोई ऐसा प्रावधान नहीं है कि कोई निर्वाचित प्रतिनिधि पद छोड़ने के बाद किसी प्रकार की सुविधा या कीमत का दावा कर सके या मांग कर सके। इस तरह का दावा parasitical यानी कि परजीवी जैसा प्रतीत होता है। हमारे मत में इसका सुरक्षा से कोई संबंध नहीं है। यह खोई हुई हैसियत को बनाए रखने के लिए ज्यादा है।' 

नीतीश को भी छोड़ना पड़ा था बंगला

 

इस फैसले के बाद लालू यादव, राबड़ी देवी, जगन्नाथ मिश्र, सतीश प्रसाद सिंह और जीतनराम मांझी बतौर पूर्व मुख्यमंत्री आजीवन सरकारी बंगला पाने के हकदार नहीं रह गए। सुप्रीम कोर्ट उत्तर प्रदेश के मामले में पहले ही इसपर अपना फैसला सुना चुकी थी। पटना हाई कोर्ट के ऑर्डर के बाद खुद नीतीश कुमार को 7 सर्कुलर रोड का अपना बंगला खाली करना पड़ा था, जो 2014 में उन्हें एक एक्स सीएम की हैसियत से अलॉट हुआ था। तो आवास की राजनीति का एक टेक्निकल पक्ष हम आपको बता रहे हैं। जब नीतीश सरकार के फैसले को पटना हाई कोर्ट ने पलट दिया और उस आदेश के बाद उन्हें अपना आवास भी छोड़ना पड़ा था। 

 

अब आते हैं ताजा विवाद पर। राबड़ी देवी को विधान परिषद की नेता प्रतिपक्ष के तौर पर 39 हार्डिंग रोड आवास आवंटित किया गया है। उन्हें एक एमएलसी की हैसियत से यह आवास आवंटित किया गया है। भवन निर्माण विभाग के जॉइंट सेक्रेटरी शिव रंजन ने यह नोटिस जारी किया है। भवन निर्माण विभाग इस बार नीतीश कुमार के बेहद खास मंत्री विजय कुमार चौधरी के पास है। 39 हार्डिंग रोड भी एक आलीशान बंगला है। जहां ऊपर और नीचे दो फ्लोर पर लगभग 10 कमरे और दो बड़े-बड़े हॉल हैं। 10 सर्कुलर रोड से इसकी भव्यता थोड़ी कम या ज्यादा हो सकती है लेकिन भवन निर्माण विभाग के पास यह पूरा अधिकार है कि वह नए तरीके से नेताओं को बंगला अलॉट कर सकते हैं। बतौर पूर्व मुख्यमंत्री किसी को भी बंगला आवंटित नहीं किया जा सकता। 

 

कई बार सरकार के द्वारा विपक्षी नेताओं के बंगले खाली करवाना या उसको बदलना एक पावर शो ऑफ या पावर प्रैक्टिस की तरह भी देखा जाता है। फिलहाल राष्ट्रीय जनता दल उसको उसी तरह से देख रही है। राजद के प्रदेश अध्यक्ष मंगनी लाल मंडल ने कहा, 'राबड़ी देवी यह आवास खाली नहीं करेंगी। नीतीश कुमार बीस साल से मुख्यमंत्री हैं लेकिन उन्होंने कभी यह फैसला नहीं लिया। सरकार का यह फैसला लालू यादव को अपमानित करने की एक साजिश है।' 

 

परिवार त्याग चुके लालू यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव और रोहिणी आचार्य भी सरकार को घेरती नजर आईं। तेजप्रताप ने लिखा, 'गिर ही गए लेकिन इतना नीचे नहीं गिरना था। इतिहास दोनों हाथों में कालिख लिए नीतीश कुमार का इंतजार कर रहा है।' रोहिणी आचार्य ने कहा, 'करोड़ों लोगों के मसीहा लालू यादव का अपमान करना नीतीश कुमार की पहली प्राथमिकता है। घर से तो निकाल देंगे लेकिन बिहार की जनता के दिल से कैसे निकालिएगा?' 

 

वहीं बीजेपी लगातार उनपर हमलावर है। बीजेपी नेता नीरज कुमार ने कहा कि राबड़ी देवी पर नजर रखनी होगी। कहीं 10 सर्कुलर रोड आवास को खाली करते हुए वह टोंटी चोरी ना करें। वहीं बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने कहा कि सत्ता तो आती जाती रहती है, इसलिए सरकारी आवास के प्रति कभी भी मोह-माया नहीं रखना चाहिए।

 

 

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