भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने 23 नवंबर को ब्लाइंड वर्ल्ड कप में इतिहास रच दिया। टीम इंडिया ने श्रीलंका की राजधानी कोलंबो में खेले गए टूर्नामेंट के फाइनल में नेपाल को करारी शिकस्त दी। इसके साथ ही भारत की दृष्टिबाधित बेटियों ने वर्ल्ड कप पर कब्जा जमा लिया। यह उनकी पहली वर्ल्ड कप ट्रॉफी रही।
खिताबी मुकाबले में भारत ने नेपाल को महज 114 रन पर ही रोक दिया और फिर 12.1 ओवर में ही 3 विकेट खोकर टारगेट हासिल कर लिया। यह 20-20 ओवर का मैच था। भारत की ओर से फुला सरेन ने 27 गेंद में नाबाद 44, जबकि करुणा ने इतनी ही गेंद में 42 रन की पारी खेली। भारत ने अजेय रहते हुए खिताब अपने नाम किया। इस टूर्नामेंट में भारत-नेपाल के अलावा पाकिस्तान, श्रीलंका, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका की टीमों ने भी हिस्सा लिया।
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भारतीय टीम की अगुवाई दीपिका टीसी कर रही थीं। दीपिका कर्नाटक से आती हैं। वह एक दुर्घटना में बचपन में ही अपनी आंखों की रोशनी खो बैठी थीं। दीपिका ने अपने स्कूली शिक्षकों के कहने पर क्रिकेट खेलना शुरू किया और अब उन्होंने भारत की झोली में वर्ल्ड कप डाल दी है। पढ़िए दृष्टिबाधित खिलाड़ियों के लिए क्या नियम होते हैं।
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ब्लाइंड क्रिकेट में क्या नियम होते हैं?
ब्लाइंड क्रिकेट भी इंटरनेशनल क्रिकेट की तरह 22 गज की पिच पर खेला जाता है। दो टीमें 11-11 खिलाड़ियों के साथ उतरती हैं। हालांकि प्लेइंग-XI का सेलेक्शन खिलाड़ियों की आंख की रोशनी के आधार पर होता है। टीम में B1, B2 और B3 तीनों कैटेगरी के खिलाड़ियों का रहना जरूरी है। B1 कैटेगरी में पूरी तरह से दृष्टिबाधित खिलाड़ी आते हैं।
ब्लाइंड क्रिकेट में धातु के बेयरिंग वाली प्लास्टिक की गेंद का इस्तेमाल किया जाता है, जिसमें से झन-झन की आवाज आती है। गेंदबाज को गेंद डालने से पहले 'प्ले' बोलना होता है और अंडरआर्म बॉलिंग करनी होती है। गेंद को बल्लेबाज तक पहुंचने से पहले कम से कम दो बार टप्पा खाना जरूरी है।
ब्लाइंड क्रिकेट के कुछ अहम नियम
- पूरी तरह से दृष्टिबाधित खिलाड़ी (B1) को टीम का 40 प्रतिशत ओवर डालना जरूरी।
- यानी अगर 20 ओवर का मैच है तो कम से कम 8 ओवर B1 खिलाड़ी को बॉलिंग करनी होगी।
- B1 खिलाड़ी के बनाए गए प्रत्येक रन को दो रन गिना जाता है।
- B1 खिलाड़ी को बल्लेबाजी के दौरान रनर की अनुमति होती है।
- B1 खिलाड़ी फील्डिंग के दौरान एक टप्पे के बाद भी गेंद को पकड़ता है तो उसे कैच माना जाता है।