संजय सिंह। नई सरकार के गठन के लिए उल्टी गिनती शुरू हो गई है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी ने गांधी मैदान जाकर समारोह स्थल का जायजा लिया है। इस बीच बीजेपी के बड़े नेता पार्टी के भीतर भी पवार बैलेंस, मंत्री पदों की हिस्सेदारी के लिए अनुभव, जातीय समीकरण के आधार पर हिस्सेदारी के समीकरण को साधने में लग गए हैं।
विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए बीजेपी और जेडीयू के भी खिंचतान मची हुई है। जेडीयू की ओर से समीकरण को साधने की जिम्मेवारी कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा और केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह को दी गई है। बीजेपी की ओर से यह दायित्व केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और विनोद तावड़े संभाल रहे हैं।
यह भी पढ़ें: पुराने वादे से पलटे प्रशांत किशोर, अब फिर से राजनीति छोड़ने की रख गए नई शर्त
चौंकाने वाली होगी बीजेपी की लिस्ट
इस बार एनडीए ने चुनाव जीतने के लिए एमवाई समीकरण का नारा दिया था। एम का मतलब महिला और वाई का युवा से था। उसी समीकरण को ध्यान में रखकर मंत्रियों की लिस्ट तैयार की जा रही है। पार्टी के कुछ पुराने चेहरे मंत्री सुख से वंचित रह सकते हैं। कुछ नए चेहरों को मौका मिल सकता है। लिस्ट तैयार करने में जातीय और क्षेत्र संतुलन का पूरा ध्यान रखा जा रहा है। बीजेपी कोटे से पिछले मंत्रिमंडल में 17 विधायकों को मंत्री बनाया गया था। इस बार समझौते के हिसाब से बीजेपी के 16 विधायक से ज्यादा मंत्री नहीं बन सकते हैं।
आशीर्वाद बनाए रखिए
बीजेपी में जो नए चेहरे जीतकर आए हैं। वे पार्टी के बड़े नेताओं से शिष्टाचार मुलाकात करने के लिए लगातार जा रहे हैं। मुलाकात के दौरान वे बड़े नेताओं से आशीर्वाद बनाए रखने का अनुरोध करने से नहीं चूक रहे हैं। आशीर्वाद का मतलब यहां स्पष्ट है, नए विधायकों की इच्छा है कि उन्हें भी मंत्रिमंडल में जगह मिले। प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल और डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी के यहां आशीर्वाद मांगने वाले विधायकों की भीड़ ज्यादा लग रही है। 20 नवंबर के बाद स्थिति पूरी तरह स्पष्ट हो जाएगी कि किसे आशीर्वाद मिला और किसे नहीं।
यह भी पढ़ें: नीतीश कुमार के शपथ ग्रहण में विपक्षी नेता आएंगे? रविशंकर प्रसाद ने बताई हकीकत
रामकृपाल और प्रेम कुमार स्पीकर की दौड़ में
बीजेपी स्पीकर का पद अपने पास रखना चाहती है। जेडीयू की भी मंशा है कि स्पीकर का पद उनके ही खाते में रहे। बीजेपी ने स्पीकर पद के लिए रामकृपाल यादव और प्रेम कुमार के नाम को आगे बढ़ाया है। दोनों अनुभवी नेता हैं। कई बार विधायक भी चुने गए हैं। इधर सम्राट चौधरी का नाम डिप्टी सीएम पद के दौड़ में सबसे उपर है। यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि दूसरा डिप्टी सीएम बनने का मौका किसी अगड़ी जाति को मिले। अगड़ी जाति में नीतीश मिश्रा और मंगल पांडेय का नाम ऊपर है। पुराने इतिहास पर अगर नजर डालें तो, सुशील मोदी को छोड़कर बीजेपी का कोई दूसरा नेता दुबारा डिप्टी सीएम नहीं बना। 2005 से 2025 के बीच बीजेपी के पांच डिप्टी सीएम हुए हैं।
90 नेताओं पर होगी कार्रवाई
बीजेपी ने सरकार गठन होने के बाद 90 वैसे नेताओं पर कार्रवाई करने का मन बनाया है जिन्होंने चुनाव के दौरान चुनाव में पार्टी प्रत्याशियों को हराने के लिए भीतरघात किया है। इसकी समीक्षा जिला स्तर पर शुरू हो गई है। दिसंबर में समीक्षा के बाद एक्शन होना है। फिलहाल पार्टी अध्यक्ष दिलीप जायसवाल के निर्देश पर पूर्व केंद्रीय मंत्री आरके सिंह, कटिहार की मेयर ऊषा अग्रवाल और एमएलसी अशोक अग्रवाल को निलंबित कर दिया गया है। कई विधानसभा क्षेत्रों में बागियों के कारण बीजेपी प्रत्याशी को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा था। जिस क्षेत्र में बागी नेताओं की संख्या ज्यादा थी वहां की जिम्मेवारी दूसरे प्रदेश के नेताओं को दी गई थी।