संजय सिंह, पटना: नई सरकार का गठन हो चुका है। मुख्यमंत्री पद को छोड़कर एनडीए के 26 विधायकों को मंत्री बनाया गया है। विधायकों की संख्या के हिसाब से मंत्रिमंडल में 36 मंत्री हो सकते हैं। अभी 9 पद खाली हैं। ऐसे में इन खाली पदों पर 180 विधायकों की नजर है। नवगठित मंत्रिमंडल में 22 विधायकों और 4 विधान परिषद के सदस्यों को जगह मिली है। एनडीए में कैबिनेट बंटवारे का जो सूत्र तय हुआ है, उसमें मंत्रियों की संख्या 9 और बढ़ाई जा सकती है। संख्या के हिसाब से जेडीयू कोटे में 6 और बीजेपी कोटे में 3 मंत्रियों की वैकेंसी है। बीजेपी ने इस बार एक ब्राह्मण और एक भूमिहार को ही मंत्री बनाया है। पिछले मंत्रिमंडल में इन दोनों जाति से दो दो मंत्री थे। उम्मीद की जा रही है कि भूमिहार और ब्राह्मण कोटे से एक एक और मंत्री की संख्या बढ़े।
अतिथि विधायकों का इंतजार
जेडीयू के कोटे से 6 मंत्री बनाए जा सकते हैं। पार्टी के बड़े नेता अतिथि विधायकों के आने की प्रतीक्षा कर रहे हैं। उन्हें उम्मीद है कि मंत्री पद की लालच में कुछ विधायक महागठबंधन का साथ छोड़कर जेडीयू के पाले में आ सकते हैं। जेडीयू की यह पूरी कोशिश है कि उनकी संख्या या तो बीजेपी विधायकों के बराबर हो जाय, या फिर यह संख्या बीजेपी से ज्यादा हो जाए।
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सुलझेगा कांग्रेस का बवाल?
टिकट वितरण के समय से कांग्रेस के भीतर उपजा विवाद थमने का नाम नही ले रहा है। पार्टी नेताओं के बीच गाली-गलौज तक की स्थिति पहुंच चुकी है। विरोध कर रहे 43 नेता राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के माध्यम से इस मामले को दिल्ली दरबार तक ले जाना चाहते हैं। इन नेताओं को भरोसा है कि दिल्ली दरबार से ही मामला सुलझेगा।
मालूम हो कि विरोध पर उतारू नेताओं ने प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम और प्रदेश प्रभारी कृष्णा अल्लावरू पर कांग्रेस का टिकट बेचने का आरोप लगाया है। चुनाव के दौरान कांग्रेस का टिकट चाहने वाले लोगों को टिकट नहीं मिलने के कारण नाराजगी बढ़ी है। नाराज नेताओं को पार्टी की अनुशासन समिति द्वारा कारण बताओ नोटिस भी दिया गया था। पर मियाद पूरी होने के वावजूद इस नोटिस का जवाब नहीं दिया गया।
बीजेपी को मिलेगा नया प्रदेश अध्यक्ष
बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल को राज्य का उद्योग मंत्री बना दिया गया है। अब उनकी जगह नए प्रदेश अध्यक्ष की तलाश शुरू हो गई है। पार्टी के भीतर इस बात की चर्चा हो रही है कि नए प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेवारी किसी दलित को दी जाय, या फिर सवर्ण को?
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फिलहाल इस पद के लिए संजीव चौरसिया, नीतीश मिश्रा, तारकिशोर प्रसाद के नामों की चर्चा हो रही है। नीतीश मिश्रा पिछली सरकार में उद्योग मंत्री थे। नए मंत्रिमंडल में उन्हें जगह नहीं मिली है। इसी तरह तारकिशोर प्रसाद बीजेपी के पुराने विधायक हैं। वे उप मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं। उन्हें भी नए मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने की उम्मीद थी। पार्टी सूत्रों ने बताया कि नए अध्यक्ष के लिए प्रस्ताव जिला अध्यक्षों से मांगा जाएगा। आए प्रस्तावों पर तीन नामों को छांटकर दिल्ली भेजा जाएगा। दिल्ली में बैठे पार्टी के शीर्ष नेता ही तय करेंगे कि बिहार का अगला प्रदेश अध्यक्ष कौन होगा।