सरकार तो बन रही है, वादों को कैसे पूरा करेगी NDA सरकार? सामने हैं ये चुनौतियां
बिहार में एनडीए सरकार ने प्रंचड बहुमत से सत्ता में वापसी की है। अब एनडीए सरकार के सामने अपने वादों को पूरा करने की चुनौती है। एनडीए ने क्या वादे किए थे, क्या योजना है, आइए जानते हैं।

नीतीश कुमार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। (Photo Credit: PTI)
बिहार विधानसभा चुनावों में नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस (NDA) ने वापसी की है। एक बार फिर बिहार में एनडीए की सरकार बनी है। 20 नवंबर को बिहार में शपथग्रहण होगा। यह भी तय माना जा रहा है कि बिहार के मुख्यमंत्री एक बार फिर नीतीश कुमार ही होंगे। बिहार विधानसभा चुनावों के लिए एनडीए के 5 सहयोगियों ने एक साझा संकल्प पत्र जारी किया था। बिहार में एनडीए के 5 घटक दल हैं, बीजेपी, जेडीयू, हिंदुस्तान आवाम मोर्चा (सेक्युलर), लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास) और राष्ट्रीय लोक मोर्चा।
5 दलों ने एक साझा 'संकल्प पत्र' में कई चुनावी वादे किए थे। बिहार में 20 साल से लगातार नीतीश कुमार की सरकार है। सत्ता विरोधी लहर के दावों को गलत साबित हुए एक बार फिर वही मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं। अब उनके सामने इन्हीं वादों को पूरा करने की चुनौती है। एनडीए के पास बहुमत है, संसाधन हैं, केंद्र और राज्य में एक ही गठबंधन की सरकार है तो अब वादों को पूरा करने की चुनौती भी है।
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एनडीए गठबंधन ने अपने संकल्प पत्र में 1 करोड़ सरकारी नौकरियों से लेकर बिहार को स्पोर्ट्स हब और इंटनरेशनल एयरपोर्ट सेंटर तक बनाने के वादे किए हैं। कुछ योजनाओं पहले से चली आ रहीं हैं, कुछ शुरू होनी बाकी हैं। इन वादों से पहले जानिए कि बिहार की अर्थव्यवस्था का हाल क्या है-
किस हाल में है बिहार की अर्थव्यवस्था?
बिहार की वित्तीय स्थिति मुनाफे में नहीं है। 2025-26 के बजट में GSDP 10.97 लाख करोड़ अनुमानित है, लेकिन राजकोषीय घाटा 32,718 करोड़ के आसपास है। सार्वजनिक ऋण GSDP का 38.94 फीसदी के आसपास है। कुल करीब 3.48 लाख करोड़ रुपये। बजट के लिए केंद्र पर निर्भरता 75 फीसदी है, वहीं राजस्व केवल 25.8 फीसदी है।
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एनडीए ने क्या वादे किए हैं, क्या पूरा करना है?
- 1 करोड़ सरकारी नौकरी और रोजगार
- हर जिले में मेगा स्किल सेंटर
- मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना, 2 लाख तक आर्थिक सहायता
- 1 करोड़ महिलाएं लखपती दीदी बनाने का लक्ष्य
- मिशन करोड़पति के जरिए महिला उद्यमियों को करोड़पति बनाने की दिशा में काम करेंगे
- अति पिछड़ा वर्ग को 10 लाख रुपये की मदद
- सुप्रीम कोर्ट रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय समिति
- कर्पूरी ठाकुर किसान सम्मान निधि, 9,000 रुपये सालाना मदद
- एग्री इन्फ्रास्ट्रक्चर में ₹1 लाख करोड़ निवेश
- पंचायत स्तर पर सभी प्रमुख फसलों की MSP खरीद
- मत्स्य पालक सहायता योजना में 9,000 रुपये हर मछली पालक को
- 7 नए एक्सप्रेसवे
- 3600 किमी नया रेल ट्रैक
- अमृत भारत एक्सप्रेस और नमो रैपिड रेल का विस्तार
- 4 नए शहरों में मेट्रो, न्यू पटना ग्रीनफील्ड शहर
- सीतापुरम को विश्वस्तरीय आध्यात्मिक नगरी बनाना
- बिहार से सीधी विदेशी उड़ानें
- 10 नए शहरों से घरेलू उड़ानें
- विकसित बिहार औद्योगिक मिशन, 1 लाख करोड़ रुपये का निवेश
- हर जिले में मैन्युफैक्चरिंग यूनिट और 10 नए औद्योगिक पार्क
- बिहार को ग्लोबल बैकएंड हब और वर्कप्लेस बनाना
- KG से PG तक मुफ्त शिक्षा, मिड-डे मील,नाश्ता, स्किल लैब
- 5 मेगा फूड पार्क, कृषि निर्यात दोगुना
- मखाना-मछली का ग्लोबल एक्सपोर्ट सेंटर
- मिथिला मेगा टेक्सटाइल पार्क, अंग मेगा सिल्क पार्क
- पूर्वी भारत का टेक हब बनाना
- एजुकेशन सिटी, ₹5000 करोड़ से जिला स्कूलों का कायाकल्प
- बिहार को AI हब बनाने के लिए सेंटर ऑफ एक्सीलेंस
- मेडिसिटी + हर जिले में मेडिकल कॉलेज
- ऑटिज्म के लिए सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल और स्पेशल स्कूल
- स्पोर्ट्स सिटी
- SC छात्रों को ₹2000 मासिक सहायता, आवासीय विद्यालय, वेंचर फंड
- गिग वर्कर्स, ऑटो-ई-रिक्शा चालकों के लिए ₹4 लाख जीवन बीमा, कौशल प्रशिक्षण, कोलेटरल-फ्री लोनॉ
- फिल्म सिटी, शारदा सिन्हा कला एवं सांस्कृतिक विश्वविद्यालय
- फ्लड मैनेजमेंट बोर्ड, फ्लड टू फॉर्च्यून मॉडल
- नदी जोड़ो परियोजना, तटबंध-नहर निर्माण
- 125 यूनिट मुफ्त बिजली
- 5 लाख तक मुफ्त इलाज
- 50 लाख नए पक्के मकान
- सामाजिक सुरक्षा पेंशन
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वादों की भरमार, बिहार की होने वाली सरकार की चुनौतियां क्या हैं?
- बिहार में प्रस्तावित 1 करोड़ सरकारी नौकरियां, 125 यूनिट मुफ्त बिजली, मुफ्त इलाज, सामाजिक सुरक्षा पेंशन और किसान-उद्यमी योजनाएं राज्य के मौजूदा राजस्व और सकल घरेलू आय (GDP) पर बोझ हैं। भारी सब्सिडी और मुफ्त सुविधाएं वित्तीय संकट की स्थिति पैदा कर रहीं हैं। बिहार में कई साल से शराबबंदी लागू है। राजस्व में आबकारी विभाग का योगदान बड़ा होता है। शराबबंदी से पहले बिहार को शराब से खूब कमाई होती थी। सरकारी आंकड़े बताते हैं कि शराब से हर साल औसतन ₹3,142 करोड़ से ₹4,000 करोड़ के बीच राजस्व मिलता था। 2015-16 में यह आंकड़ा ₹3,142 करोड़ था। बिहार में उद्योग-धंधों से होने वाली आय में भी बड़े सुधार की जरूरत है।
- बिहार का टैक्स बेस कमजोर है और कर्ज लेने की गुंजाइश सीमित है। प्रशासनिक स्तर पर हर जिले में मेगा स्किल सेंटर, मेडिकल कॉलेज, मैन्युफैक्चरिंग यूनिट और गिग वर्कर्स स्कीम चलाना बड़ी चुनौती सरकार के लिए लगातार बनी हुई है। औद्योगिक निवेश और 1 लाख करोड़ के मिशन में भी कई बाधा हैं। बिहार में बड़ी कंपनियों का निवेश सिमटता गया है। किसी जमाने में उद्योग का केंद्र रहा मोकामा, खराब कानून व्यवस्था और भ्रष्टाचार की भेंट ऐसे चढ़ा कि ज्यादातर उद्योग सिमट गए। सिर्फ बिहार ही नहीं, दरभंगा, पटना, समस्तीपुर जैसी जगहों की भी स्थिति यही रही।
- बिहार का उद्योग सेक्टर जीडीपी में सिर्फ 6 फीसदी योगदान है। 7 एक्सप्रेसवे, 3600 किमी रेलवे, औद्योगिक पार्क, फिल्म सिटी, AI हब जैसी परियोजनाएं बड़ा निवेश और प्रशासनिक सहयोग मांग रहीं हैं। बाढ़ बिहार के विकास की बड़ी बाधा रही है। कई परियोजनाएं इस वजह से प्रभावित होती रहीं हैं। सरकार ने बाढ़ के लिए फ्लड मैनेजमेंट बोर्ड और फ्लड टू फॉर्च्यून मॉडल पर जोर दिया है, यह कब तक पूरा होगा, यह भी बड़ा सवाल है।
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