वर्तमान समय में टेक इंडस्ट्री को वैश्विक अर्थव्यवस्था में बड़ा गेम-चेंजर माना जाता है। एक अनुमान यह है कि टेक सेक्टर वैश्विक अर्थव्यवस्था में प्रतिवर्ष लगभग 5-7 ट्रिलियन डॉलर (भारतीय रुपए में करीब 59 लाख करोड़) का योगदान देते हैं, जो वैश्विक जीडीपी का लगभग 5-7% है। हालांकि, साल 2024 टेक इंडस्ट्री के लिए मुश्किलों से भरा साबित हुआ है।
साल 2024 बड़े-बड़े टेक कंपनी जैसे- Tesla, Intel, UBER, ने अपने कर्मचारियों की संख्या में भारी कटौती की है। एक रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 1,50,000 कर्मचारी साल 2024 में नौकरी गंवा चुके हैं। विशेषज्ञ इसके पीछे वैश्विक बाजार में बदलते स्थिति, लागत बचाने और व्यवसाय को पुनर्गठित करने की जरूरत को बता रहे हैं। आइए जानते हैं किन 5 बड़ी कंपनियों में हुए सबसे ज्यादा लेऑफ?
यहां हुए सबसे ज्यादा ‘लेऑफ’
इंटेल- इंटेल ने 2024 को अपनी कंपनी के इतिहास का सबसे मुश्किल साल बताया है। कंपनी ने 10 बिलियन डॉलर बचाने के लिए 2025 तक 15,000 नौकरियां खत्म करने का फैसला किया है। यह इंटेल के कुल कर्मचारियों का 15% हिस्सा है। कंपनी ने शोध और मार्केटिंग खर्च में भारी कटौती की है और गैर-जरूरी प्रोजेक्ट्स को रोकने की योजना बनाई है।
टेस्ला- टेस्ला ने इस साल दो बार बड़ी छंटनियां की। इसमें पहली बार में 14,000 कर्मचारियों को निकाला गया, और दूसरी बार में वरिष्ठ अधिकारियों और सुपरचार्जिंग टीम को हटाया गया। CEO एलन मस्क ने कहा कि कंपनी को ‘सख्त और जरूरी’ कदम उठाने की आवश्यकता है। इस छंटनी में टेस्ला ने अपने कर्मचारियों का 20% हिस्सा घटा दिया।
सिस्को- टेस्ला के साथ-साथ सिस्को ने भी इस साल दो राउंड में छंटनियां की। इसके पहले चरण में 4,000 और दूसरे चरण में 6,000 कर्मचारियों को निकाला गया। CEO चक रॉबिन्स ने कहा कि कंपनी अब एआई और साइबर सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।
SAP- सॉफ्टवेयर कंपनी SAP ने अपने कुल कर्मचारियों की संख्या में 7% कटौती करते हुए 8,000 नौकरियों में बदलाव या छंटनी की घोषणा की। कंपनी ने कहा कि यह साल के अंत तक कर्मचारियों की संख्या को स्थिर बनाए रखेगा।
उबर- कैब सर्विस के साथ अन्य तक क्षेत्रों में भी काम कर रहे उबर ने इस साल कुल 6,700 कर्मचारियों को निकाला। साथ ही कंपनी ने अपने कई कार्यालय बंद कर दिए और सेल्फ-ड्राइविंग प्रोजेक्ट्स को रोक दिया। बताया जा रहा है कि राइडशेयरिंग बिजनेस में गिरावट के कारण यह कदम उठाया गया है।