केंद्र सरकार ने 'एक राज्य - एक RRB' को अमली जामा पहनाने के लिए कमर कस ली है। इसके लिए सोमवार को गैजेट नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया है। इसके तहत 10 राज्यों और एक केंद्रशासित प्रदेश के ग्रामीण बैंकों का विलय करके उन्हें एक करने के लिए नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया है। केंद्र सरकार की योजना के मुताबिक यह योजना 1 मई 2025 से लागू हो जाएगी।
क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक ऐक्ट, 1976 के सेक्शन 23A(1) अंतर्गत इन अलग-अलग बैंकों को मिलाकर एक कर दिया जाएगा। इसके बाद संबंधित बैंक की सारी प्रॉपर्टी, अधिकार और जिम्मेदारियां भी नए बैंक को ट्रांसफर कर दी जाएंगी.
इस नए फैसले के जरिए सरकार क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की कार्यक्षमता को बढ़ाना चाहती है। साथ ही पब्लिक सेक्टर बैंकों के बीच कॉम्पटीशन को कम भी करना चाहती है।
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यह मर्जर 10 राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश में किया जाएगा। यह चौथे राउंड का मर्जर होगा। इसके बाद अब ग्रामीण बैंकों की संख्या 43 से घटकर 28 रह जाएगी। जो रोडमैप तैयार किया गया है उसके मुताबिक विभिन्न राज्यों में काम कर रही 15 आरआरबी को मर्ज कर दिया जाएगा।
कौन-कौन से राज्य
आंध्र प्रदेश
उत्तर प्रदेश
पश्चिम बंगाल
बिहार
गुजरात
जम्मू कश्मीर
कर्नाटक
मध्य प्रदेश
महाराष्ट्र
ओडिशा
राजस्थान
कहां किसको मिलेगी कमान?
बिहार में दक्षिण बिहार ग्रामीण बैंक और उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक को मिलाकर एक कर दिया जाएगा और इसकी कमान पंजाब नेशनल बैंक को सौंपी जाएगी। इसका मुख्यालय पटना में होगा।
गुजरात में बड़ौदा गुजरात ग्रामीण बैंक और सौराष्ट्र ग्रामीण बैंक का विलय करके गुजरात ग्रामीण बैंक बनाया जाएगा, जिसका मुख्यालय वडोदरा में होगा। इसकी स्पॉन्सरशिप बैंक ऑफ बड़ौदा के हाथों में होगी।
इसी तरह, जम्मू और कश्मीर में जम्मू और कश्मीर ग्रामीण बैंक और इलाक़ाई देहाती बैंक का विलय करके जम्मू और कश्मीर ग्रामीण बैंक बनाया जाएगा, जिसका मुख्यालय जम्मू में होगा और इसका स्पान्सर्ड बैंक जम्मू और कश्मीर बैंक लिमिटेड होगा।
कर्नाटक में कर्नाटक विकास ग्रामीण बैंक और कर्नाटक ग्रामीण बैंक का विलय करके कर्नाटक ग्रामीण बैंक बना दिया जाएगा। इसका मुख्यालय बेल्लारी में होगा और इस बैंक की स्पॉन्सरशिप केनरा बैंक के पास होगी।
वहीं मध्य प्रदेश में मध्य प्रदेश ग्रामीण बैंक और मध्यांचल ग्रामीण बैंक को मिलाकर मध्य प्रदेश ग्रामीण बैंक बनाया जाएगा, जिसका मुख्यालय इंदौर में होगा और जिसकी स्पॉन्सरशिप बैंक ऑफ इंडिया को दी जाएगी।
महाराष्ट्र में, महाराष्ट्र ग्रामीण बैंक और विदर्भ कोंकण ग्रामीण बैंक का विलय करके महाराष्ट्र ग्रामीण बैंक बनाया जाएगा, जिसका मुख्यालय छत्रपति संभाजीनगर में होगा। इसकी स्पॉन्सरशिप बैंक ऑफ महाराष्ट्र के पास होगी।
ओडिशा में ओडिशा ग्राम्य बैंक और उत्कल ग्रामीण बैंक का विलय करके ओडिशा ग्रामीण बैंक बनाया जाएगा। इसका मुख्यालय भुवनेश्वर में और स्पॉनसरशिप इंडियन ओवरसीज बैंक में होगी।
राजस्थान में, राजस्थान मरुधर ग्रामीण बैंक और बड़ौदा राजस्थान क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक का विलय करके राजस्थान ग्रामीण बैंक बनाया जाएगा, जिसका मुख्यालय जयपुर में होगा और जिसकी स्पॉन्सरशिप भारतीय स्टेट बैंक के पास होगी।
उत्तर प्रदेश की बात करें तो यूपी में बड़ौदा यूपी बैंक, आर्यावर्त बैंक और प्रथमा यूपी ग्रामीण बैंक को मिलाकर उत्तर प्रदेश ग्रामीण बैंक बनाया जाएगा, जिसका मुख्यालय लखनऊ में होगा और जिसकी स्पॉन्सरशिप बैंक ऑफ बड़ौदा के पास होगी।
अंत में, पश्चिम बंगाल में, बंगिया ग्रामीण विकास बैंक, पश्चिम बंग ग्रामीण बैंक और उत्तरबंगा क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक को मिलाकर पश्चिम बंगाल ग्रामीण बैंक कर दिया जाएगा। इसका मुख्यालय कोलकाता में होगा, और स्पॉन्सरशिप पंजाब नेशनल बैंक के पास होगी।
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किसके पास कितनी RRB?
बता दें कि देश में सबसे ज्यादा आरआरबी की स्पॉन्सरशिप स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के पास है। एसबीआई के पास 14, पीएनबी के पास 9, केनरा बैंक के पास 4, बैंक ऑफ बड़ौदा, बैंक ऑफ इंडिया और इंडियन बैंक के पास तीन-तीन, और सेंट्रल बैं, यूको बैंक, जम्मू कश्मीर बैंक, इंडियन ओवरसीज बैं, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया व बैंक ऑफ महाराष्ट्र के पास एक-एक आरआरबी हैं।
वहीं राज्यों की बात करें तो आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में इस वक्त तीन-तीन आरआरबी, जबकि बिहार, गुजरात, जम्मू कश्मीर, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान और तेलंगाना में दो-दो ग्रामीण बैंक हैं।
क्या होगा फायदा
सरकार का उद्देश्य है कि इसके जरिए ग्रामीण बैंकों का स्ट्र्क्चर भी बड़ा किया जाए। बड़े स्ट्रक्चर की वजह से बैंकों को बिजनेस लोन ज्यादा से ज्यादा करने में मदद मिलती है क्योंकि यह जाहिर सी बात है कि किसी बिजनेसमैन को दूर से अपना माल मंगाने और भेजने के लिए वह इस बात को प्राथमिकता देता है कि जिस बैंक में उसका अकाउंट है उसकी शाखा वहां पर हो। क्योंकि उसी बैंक की शाखा होने से पैसों के लेनदेन और क्लियरेंस में सुविधा हो जाती है।
बिजनेस अकाउंट ज्यादा खुलने से CASA रेशियो भी बेहतर होगा। कासा रेशियो का मतलब है करंट अकाउंट का सेविंग अकाउंट की तुलना में प्रतिशत। जिस बैंक में करंट अकाउंट ज्यादा होते हैं उसका प्रॉफिट बढ़ाने में मदद मिलती है क्योंकि करंट अकाउंट में पड़े रुपयों पर बैंक को ब्याज नहीं देना होता है जबकि सेविंग अकाउंट के रुपयों पर बैंक को ब्याज भी देना होता है।
ग्रामीण बैंकों को कुल मिलाकर वित्त वर्ष 2024 में कुल प्रॉफिट 7,571 करोड़ रहा है जबकि कुल एनपीए 6.1 प्रतिशत रहा है। यह पिछले दस सालों में सबसे कम रहा है।
कैसे बना ग्रामीण बैंक
ग्रामीण बैंक की शुरुआत आरआरबी ऐक्ट, 1976 के तहत की गई थी। इसका मुख्य उद्देश्य गांवों का विकास करना था तथा गरीबों के लिए बैंक के दरवाजे खोलकर उन्हें बैंकिंग सिस्टम से जोड़ना था. भारत में कृषि के क्षेत्र में पैसों की कमी को पूरा करने और गरीबी को खत्म करने में ग्रामीण बैंक ने काफी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसने न सिर्फ किसानों को वित्तीय सहायता पहुंचाई बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में छोटे उद्योगों के विकास में भी बड़ी भूमिका निभाई।
ग्रामीण बैंकों में 50 प्रतिशत हिस्सेदारी केंद्र सरकार, 35 प्रतिशत हिस्सेदारी स्पॉनसर्ड बैंक और 15 प्रतिशत की हिस्सेदारी राज्य सरकार की होती है। संशोधित ऐक्ट के मुताबिक केंद्र सरकार और स्पॉसर्ड बैंक कि हिस्सेदारी मिलाकर 51 प्रतिशत से कम नहीं हो सकती है।
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आपके पैसों का क्या होगा?
ग्रामीण बैंक के मर्जर के साथ ही यह सवाल भी खड़ा हो जाता है कि आपके पैसों का क्या होगा? तो बैंकों के मर्जर की वजह से आपके पैसों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। आपके खाते वैसे ही रहेंगे उनमें कोई बदलाव नहीं होगा। साथ ही अगर आपका कोई लोन चल रहा है तो उसमें भी किसी भी तरह का कोई बदलाव नहीं होगा। आपकी देनदारियां भी वैसी ही रहेंगी। हां, पुराने चेकबुक कुछ दिन बाद आपको बदलने पड़ सकते हैं। अगर आपने किसी को चेक दिया है तो वह कैंसिल नहीं होगा। कुल मिलाकर यह प्रक्रिया इतनी ज्यादा स्मूथ होगी कि आपको इस बात का अहसास नहीं होगा कि कुछ बदला है। बदला हुआ दिखेगा तो सिर्फ आपके बैंक का बोर्ड, आपका एटीएम कार्ड, चेकबुक और पासबुक।