AI (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) को लेकर पूरी दुनिया में चर्चा हो रही है। इसे उद्योगों में क्रांति लाने का माध्यम माना जा रहा है। यह तकनीक स्वास्थ्य, शिक्षा, आर्थिक, शोध और व्यापार सहित कई क्षेत्रों में बड़े बदलाव ला सकती है। हालांकि, AI के क्षेत्र में नए-नए बदलावों के साथ-साथ कुछ नई चुनौतियां भी सामने आ रही हैं, जिसमें सबसे ज्यादा चिंता का विषय लोगों की नौकरियों का खतरा है।

 

भारत सरकार द्वारा दी गई इकोनॉमिक सर्वे 2024-25 में AI से जुड़ी कुछ बातों पर भी विस्तार से बताया गया है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा संसद में पेश की गई इस रिपोर्ट में बताया गया है कि AI के बढ़ते इस्तेमाल से कई क्षेत्रों में ह्यूमन लेबर यानी मानव श्रम की जरूरत घट सकती है, जिससे लाखों लोगों की नौकरियां खतरे में पड़ सकती है।

AI से होने वाले संभावित बदलाव

रिपोर्ट में कहा गया है कि आने वाले समय में AI एक आम आदमी से ज्यादा अच्छे फैसले लेने में सक्षम हो जाएगा। इसका असर स्वास्थ्य, अपराध न्याय व्यवस्था, व्यापार, वित्तीय सेवाएं और शोध जैसे क्षेत्रों में देखने को मिलेगा। साथ ही कई कंपनियां AI को अपनाकर लागत कम करेंगी और ऑटोमेशन की वजह से कई नौकरियों का रुपरेखा बदल जाएगी।

 

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इस रिपोर्ट में इतिहास से जुड़ी बातों को याद करते हुए बताया गया है कि जब भी इंडस्ट्री या तकनीक में नए-नए बदलाव आए हैं, तब भी कई बार आम लोगों को ही परेशानी का सामना करना पड़ा है। इंग्लैंड में स्थित बैंक ऑफ इंग्लैंड के पूर्व मुख्य अर्थशास्त्री एंड्रयू हाल्डेन का कहना है कि पिछले औद्योगिक क्रांतियां ‘कष्टदायक’ रही हैं, क्योंकि इससे लंबे समय तक बेरोजगारी और आय में असमानता बढ़ी थी। इसी तरह, AI की बढ़ती मांग  से भी भारत में वर्किंग क्लास के लिए एक चुनौती बन सकती है।

भारत के लिए विशेष चिंता का विषय

रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि भारत एक सेवाएं प्रदान करने पर वाली अर्थव्यवस्था पर निर्भर करता है, जिसमें शिक्षा, स्वास्थ्य जैसी सेवाएं आती हैं। इनमें भी बड़ी संख्या में लोग आईटी क्षेत्र में कम आय पर काम करते हैं। वहीं AI के आने से ये नौकरियां सबसे ज्यादा प्रभावित हो सकती हैं।

 

सरकार का मानना है कि इस समस्या से निपटने के लिए एक मजबूत बुनियादी ढांचा बनाने जरूरत होगी। इसके तहत ऐसे संस्थानों का निर्माण किया जाना चाहिए, जो लोगों को मीडियम और हाई स्किल्ड नौकरियों के लिए तैयार कर सकें। यह बदलाव एक दिन में नहीं होगा, बल्कि इसके लिए सबसे समय के लिए योजना और आर्थिक संसाधनों की आवश्यकता होगी।

 

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AI की सीमाएं और भारत के लिए अवसर

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि फिलहाल AI अपने शुरुआती चरण में है। इसे बड़े पैमाने पर लागू करने के लिए अभी कई चुनौतियां हैं, जिसमें AI को जयादा सटीक और विश्वसनीय बनाना अभी बाकी है। इसके साथ AI को पूरी तरह से लागू करने के लिए अच्छे तकनीकी ढांचे की जरूरत होगी। वहीं AI को व्यक्ति की काम करने के तरीकों को पूरी तरह बदलने की बजाय उन्हें और बेहतर बनाने की दिशा में काम करना चाहिए।

AI के साथ काम का तालमेल

भारत के पास उन लोगों की जनसंख्या ज्यादा है, जो AI को समझते हैं और तकनीक से जुड़े हुए हैं। ये AI का इतेमाल करके अपनी स्किल को बढ़ा सकते है। रिपोर्ट में इस बात पर जोर दिया है कि समस्या सिर्फ रोजगार की संख्या की नहीं है, बल्कि काम के स्किल्स को बेहतर बनाना भी जरूरी है।

 

रिपोर्ट के अनुसार, AI से जुड़ी चुनौतियों से निपटने के लिए सरकार, निजी क्षेत्र और शैक्षणिक संस्थानों को मिलकर कार्य करना होगा। नीति बनाने वाले को यह सुनिश्चित करना होगा कि AI की वजह से रोजगार को होने वाले नुकसान को कम से कम किया जाए। साथ ही, कॉरपोरेट क्षेत्र को भी इस तकनीकी बदलाव को सावधानी और जिम्मेदारी के साथ लागू करना होगा।