पब्लिक सेक्टर के बैंक ऑफ बड़ौदा की एक रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्र सरकार ने अप्रैल-दिसंबर 2024 के दौरान सब्सिडी पर 3.07 लाख करोड़ रुपये खर्च किए। यह अप्रैल-दिसंबर 2023 में 2.77 लाख करोड़ रुपये खर्ज किए गए थे। वहीं, अप्रैल-दिसंबर 2022 में 3.51 लाख करोड़ रुपये खर्च किए गए।

 

साल 2023 के मुकाबले 2024 में कुल सब्सिडी का खर्च बढ़ा है। दरअसल, इस खर्च के बढ़ने की वजह खाद्य सब्सिडी में हुई बढ़ोतरी है। केंद्र सरकार ने अप्रैल-दिसंबर 2024 की अवधि में खाद्य सब्सिडी के लिए 1.64 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए। वहीं, 2023 में इसी अवधि में सरकार ने 1.34 लाख करोड़ रुपये खर्च किए। अप्रैल-दिसंबर 2022 में खाद्य सब्सिडी पर 1.68 लाख करोड़ रुपये से खर्च किए गए थे।

 

उर्वरक सब्सिडी खर्चे में कमी

 

इस दौरान खाद्य सब्सिडी में बढ़ोतरी हुए है, जबकि उर्वरक सब्सिडी पर खर्चे में थोड़ी कमी आई है। अप्रैल से दिसंबर 2024 के बीच सरकार ने उर्वरक सब्सिडी पर 1.36 लाख करोड़ रुपये खर्च किए, जबकि 2023 में यह खर्च 1.41 लाख करोड़ रुपये और अप्रैल-दिसंबर 2022 में 1.81 लाख करोड़ रुपये था।

 

गैर-ऋण पूंजी प्राप्तियों में गिरावट

 

बैंक ऑफ बड़ौदा की रिपोर्ट में सरकार की गैर-ऋण पूंजी (non-debt sources) प्राप्तियों में गिरावट को भी दर्शाया गया है। इसमें संपत्ति की बिक्री और विनिवेश से रेवेन्यू शामिल है। दिसंबर 2024 तक ये प्राप्तियां 27,296 करोड़ रुपये थीं। 2023 में इसी अवधि में 29,650 करोड़ रुपये और दिसंबर 2022 में 55,107 करोड़ रुपये। यह कमजोर राजस्व संग्रह और गैर-ऋण स्रोतों के जरिए पैसे जुटाने की असफलता को दिखाता है।

एफडीआई का प्रवाह कमजोर हुआ

 

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इसके अलावा रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश यानी एफडीआई का प्रवाह (inflows) कमजोर हुआ है। नवंबर 2024 में एफडीआई प्रवाह 2.4 बिलियन अमरीकी डॉलर था, जो अक्टूबर 2024 में दर्ज 4.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा था। रिपोर्ट में भारतीय शेयर बाजार से विदेशी निवेशकों के द्वारा पैसे वापस लेने का भी जिक्र है।