भारत और यूके के बीच हाल ही में फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) हुआ है। इसी तरह के FTA को लेकर भारत की अमेरिका और यूरोपियन यूनियन के बीच भी बात चल रही है। उम्मीद है कि कुछ ही महीनों में अमेरिका और यूरोपियन यूनियन के साथ भी भारत की डील हो जाएगी। FTA असल में वह समझौता है, जिसमें दो देश कारोबार बढ़ाने के लिए आयात-निर्यात पर लगने वाले टैक्स या टैरिफ को कम या खत्म कर देते हैं। अगर यूके के बाद अमेरिका और यूरोपियन यूनियन के बीच भी FTA हो जाता है, तो इससे भारत के एग्रीकल्चर सेक्टर पर खासा असर पड़ सकता है।

भारत का कृषि आयात-निर्यात कितना?

2024-25 में भारत का कृषि निर्यात 51.9 अरब डॉलर था। यह 2023-24 की तुलना में 6.4 फीसदी से ज्यादा है। वहीं, 2024-25 में भारत का कृषि आयात भी 2023-24 की तुलना में 17.2 फीसदी बढ़कर 38.5 अरब डॉलर रहा। अगर देखा जाए तो 2013-14 और 2019-20 के बीच भारत के कृषि निर्यात में गिरावट आई। 2022-23 में सबसे ज्यादा 53.1 अरब डॉलर का निर्यात हुआ। कुल मिलाकर 20213-14 से 2024-25 के बीच कृषि निर्यात 43.3 अरब डॉलर से बढ़कर 51.9 अरब डॉलर तक पहुंच गया। 


इसके उलट, 2013-14 से 2024-25 के बीच भारत का कृषि आयात 148% तक बढ़ गया। 2013-15 में 15.5 अरब डॉलर का आयात हुआ था, जो 2024-25 में 38.5 अरब डॉलर पर पहुंच गया।


भारत का कृषि निर्यात हमेशा कृषि आयात से ज्यादा रहता है। हालांकि, 2013-14 में एग्रीकल्चर ट्रेड सरप्लस 27.7 अरब डॉलर था, जो 2024-25 में घटकर 13.4 अरब डॉलर पर आ गया। यह दिखाता है कि भारत का कृषि निर्यात कम हो रहा है और आयात बढ़ रहा है।

 

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FTA का कृषि निर्यात पर असर?

भारत के कृषि निर्यात में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी समुद्री उत्पाद (झींगा, मछली) की है। 2022-23 में इनका 8.1 अरब डॉलर का निर्यात हुआ था। 2024-25 में यह घटकर 7.4 अरब डॉलर पर आ गया है। सबसे ज्यादा समुद्री उत्पादों का निर्यात अमेरिका (35 फीसदी), चीन (20 फीसदी) और यूरोपियन यूनियन (15 फीसदी) को होता है। अगर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत पर 26 फीसदी टैरिफ लगाते हैं तो इसके निर्यात पर बड़ा असर पड़ेगा।


हालांकि, चावल के निर्यात पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि यह ज्यादातर पश्चिमी एशिया और अफ्रीकी देशों में जाता है। 2024-25 में 12.5 अरब डॉलर का चावल निर्यात हुआ था। चावल के अलावा मसाले, तंबाकू, कॉफी और फल-सब्जियों का निर्यात भी बढ़ा है।


वियतनाम में तूफान और ब्राजील में सूखे ने भारत का कॉफी निर्यात भी काफी बढ़ा दिया है। 2024-25 में भारत के मसाले का आयात और निर्यात दोनों ही रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया। भारत सबसे ज्यादा मिर्ची पाउडर, जीरा, पुदीना उत्पाद, ओलियोरेसिन (मसाला अर्क), करी पाउडर या पेस्ट, हल्दी, धनिया, सौंफ, अदरक, और लहसुन जैसे मसालों का प्रमुख निर्यातक है। दूसरी तरफ, भारत काली मिर्च और इलायची का सबसे बड़ा आयातक बन रहा है।


घरेलू आपूर्ति में कमी के कारण जिन चीजों के निर्यात में कमी आई है, उनमें गेहूं, चीनी और कपास शामिल हैं। 2021-22 में गेहूं और चीनी का निर्यात 2.1 अरब डॉलर था, जो 2022-23 में बढ़कर 5.8 अरब डॉलर पर पहुंच गया। हालांकि, बाद में इसके निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया गया। कपास के निर्यात में भी बड़ी गिरावट आई है। 

 

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भारत के आयात पर क्या असर?

चावल और गेहूं की तुलना में दलहन और तिलहन का उत्पादन काफी कम है। इस कारण भारत का आयात बिल बढ़ जाता है। 2024-25 में आयात बिल बहुत बढ़ गया। भारत अपनी जरूरत का 60-70% खाद्य तेल (जैसे पाम ऑयल, सोयाबीन ऑयल) आयात करता है। 2024-25 में दालों के आयात का मूल्य 5.5 अरब डॉलर था, जो पहली बार 5 अरब के आंकड़े को पार कर गया।


भारत में कपास और रबर का उत्पादन भी घट रहा है। 2013-14 में भारत का कपास उत्पादन 398 लाख गठान (bales) था, जो 2024-25 में घटकर 291 लाख गठान रह गया। पिछले तीन सालों में रबर का उत्पादन औसतन 8.5 लाख टन रहा, जो 2012-23 तक के 9-9.1 लाख टन से कम है। यह तब है जब एक दशक में रबर की घरेलू खपत 10 लाख टन से बढ़कर 15 लाख टन हो गई। उत्पादन कम होने और मांग बढ़ने से भारत को रबड़ आयात करना पड़ रहा है।


इसके अलावा, बादाम, पिस्ता, अखरोट, सेब, खजूर, अंजीर, और किशमिश जैसे सूखे मेवे और ताजा फल आयात हो रहे हैं काली मिर्च और इलायची का आयात बढ़ा है, क्योंकि भारत अब इनका शुद्ध आयातक बन गया है। वाइन और स्पिरिट्स का आयात भी बढ़ रहा है। यह आयात भारत के आयात बिल को और बढ़ा रहे हैं, जिससे व्यापार अधिशेष (trade surplus) पर दबाव पड़ रहा है। 

अमेरिका, यूरोपीय यूनियन और यूके के साथ व्यापार समझौतों पर हस्ताक्षर करने के साथ सूखे मेवे, वाइन और स्पिरिट के ज्यादा आयात की उम्मीद की जा सकती है। इसके अलावा, ट्रम्प प्रशासन मक्का, सोयाबीन और कपास पर आयात शुल्क में कटौती और गैर-टैरिफ बाधाओं को कम करने पर जोर दे सकता है। 


कुल मिलाकर, अमेरिका, यूके और यूरोपियन यूनियन के साथ FTA से भारत का निर्यात और आयात पर असर पड़ेगा।