कश्मीर में बंपर पैदावार, फिर तुर्किए से सेब क्यों खरीदता है भारत?
भारत से तनाव में पाकिस्तान का साथ देने पर तुर्किए का विरोध शुरू हो गया है। सेब कारोबारियों ने तुर्किए से आने वाले सेब का बहिष्कार कर रहे हैं। ऐसे में जानते हैं कि तुर्किए के सेब पर आखिर भारत कितना निर्भर है?

प्रतीकात्मक तस्वीर। (Photo Credit: PTI)
भारत के साथ तनाव में पाकिस्तान का साथ देकर तुर्किए ने अपने लिए ही मुसीबत मोल ले ली है। पाकिस्तान के साथ खुलकर खड़े होने के कारण भारतीयों ने अब तुर्किए का विरोध करना शुरू कर दिया है। पुणे के सेब कारोबारियों ने तुर्किए से आने वाले सेब का बहिष्कार कर दिया है। इसकी बजाय कारोबार अब हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर या दूसरी जगहों से आने वाले सेब को तरजीह दे रहे हैं।
पुणे के एक सेब कारोबारी सुयोग जेंडे ने न्यूज एजेंसी ANI से कहा, 'हमने फैसला लिया है कि अब हम तुर्किए से सेब नहीं खरीदेंगे, क्योंकि उसने पाकिस्तान का साथ दिया। इसकी बजाय हम हिमाचल या दूसरी जगहों से सेब खरीद रहे हैं। भारत ने आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई की लेकिन तुर्किए ने पाकिस्तान को ड्रोन दिए। ग्राहकों ने भी तुर्किए के सेब खरीदने से मना कर दिया है।'
उन्होंने कहा, 'तुर्किए के सेब भारत में 3 महीने बिकते हैं और 1200 से 1500 करोड़ का कारोबार करते हैं। जब तुर्किए में भूकंप आया था तो भारत उसकी मदद करने वाला पहला देश था लेकिन उन्होंने पाकिस्तान का साथ दिया।'
#WATCH | Pune, Maharashtra: Following Turkey's support for Pakistan amid recent tensions with India, Apple traders in Pune say they have decided to boycott Turkish apples
— ANI (@ANI) May 13, 2025
Suyog Zende, an apple trader at Pune's APMC market, says, "We have decided to stop buying apples from… pic.twitter.com/tldXdCF4p7
इससे पहले हिमाचल प्रदेश सरकार में मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने भी तुर्किए से आने वाले सामान पर ज्यादा टैरिफ लगाने की वकालत की थी। उन्होंने कहा, 'ऐसे वक्त में जब तुर्किए खुलेआम आतंकवाद का समर्थन कर रहा है और भारत के खिलाफ काम कर रहा है, तब वहां से सेब को भारत आने नहीं दिया जा सकता।'
हिमाचल के एपल ग्रोअर्स एसोसिएशन ने भी तुर्किए से आने वाले सेब पर पूरी तरह से बैन लगाने की मांग की है। इसके अलावा कांग्रेस विधायक हरीश चौहान और कुलदीप सिंह राठौर ने भी तुर्किए से आने वाले सेब को लेकर सख्त फैसला लेने की अपील की है।
क्या भारत में नहीं होते सेब?
भारत की आबोहवा गर्म है, इसलिए हर जगह सेब की खेती नहीं हो सकती। सेब वहीं उगाए जा सकते हैं, जहां गर्मी में भी औसतन तापमान 21 से 24 डिग्री सेल्सियस के बीच हो।
भारत में सेब की सबसे ज्यादा खेती जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश में होती है। नेशनल होर्टिकल्चर बोर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर में 17.2 लाख मीट्रिक टन और हिमाचल प्रदेश में 6.4 लाख मीट्रिक टन सेब की पैदावार होती है। यानी, भारत में सेब की जितनी पैदावार होती है, उसमें से 70.5% जम्मू-कश्मीर और 26.5% हिमाचल में होती है। उत्तराखंड, नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम के कुछ पहाड़ी इलाकों में भी सेब की खेती होती है।
अमेरिका की फॉरेन एग्रीकल्चर सर्विस (FAS) के मुताबिक, 2024-25 में भारत में सेब की 25.50 लाख मीट्रिक टन पैदावार हुई थी। इसके अलावा 6 लाख मीट्रिक टन सेब का आयात किया गया था। भारत में सेब की कुल खपत 29.79 लाख मीट्रिक टन थी, जबकि बाकी 25 हजार मीट्रिक टन सेब का निर्यात किया गया था।
कॉमर्स मिनिस्ट्री के आंकड़ों से पता चलता है कि भारत का सेब आयात लगातार बढ़ रहा है। 2020-21 में भारत ने दुनियाभर से 1,777 करोड़ रुपये का सेब खरीदा था। इसमें से 283 करोड़ रुपये का सेब सिर्फ तुर्किए से आया था। वहीं, 2024-2 में भारत ने 3,431 करोड़ रुपये का सेब आयात किया है। इसमें से 730 करोड़ रुपये से ज्यादा का आयात तुर्किए से हुआ है।

तुर्किए के सेब पर कितना निर्भर भारत?
भारत के लिए सबसे ज्यादा सेब तुर्किए और ईरान से आता है। भारत सेब का जितना आयात करता है, उसका तकरीबन 40 फीसदी इन्हीं दो देशों से होता है।
कॉमर्स मिनिस्ट्री के मुताबिक, 2024-25 में भारत ने तुर्किए से 730 करोड़ रुपये और ईरान से 679 करोड़ रुपये से ज्यादा का सेब आयात किया था। भारत के कुल सेब आयात में तुर्किए की 21% और ईरान की 20% हिस्सेदारी है। यह आंकड़े भी अप्रैल 2024 से फरवरी 2025 तक हैं। अभी मार्च के आंकड़े आने बाकी हैं। लिहाजा अभी यह आंकड़ा और बढ़ेगा।
तुर्किए और ईरान के अलावा अफगानिस्तान, न्यूजीलैंड और साउथ अफ्रीका से भी भारत सबसे ज्यादा सेब खरीदता है।
विदेशों से सेब के आयात पर भारत 50% कस्टम ड्यूटी लगाता है। अमेरिका से आने वाले सेब पर पहले भारत 70% ड्यूटी लगाता था। हालांकि, बाद में इसे भी घटाकर 50% कर दिया है। कस्टम ड्यूटी कम होने से अमेरिका से होने वाला सेब का आयात भी बढ़ गया है। 2023-24 में भारत ने अमेरिका से 177 करोड़ रुपये का सेब मंगाया था। 2024-25 में यह बढ़कर 242.51 करोड़ रुपये हो गया।

भारत में तुर्किए से आने वाले सेब को काफी पसंद किया जाता है। उसकी वजह यह है कि भारत में होने वाले सेब की तुलना में यह सस्ते होते हैं। फरवरी 2023 में जब तुर्किए में भूकंप आया था तो उसके बाद जम्मू-कश्मीर और हिमाचल में होने वाले सेब की मांग 30% से ज्यादा बढ़ गई थी। इतना ही नहीं, सेब की कीमतें भी 25% तक बढ़ गई थी।
जानकारों का मानना है कि अगर तुर्किए से आने वाले सेब का पूरी तरह से बहिष्कार होता है तो इससे सेब की कीमत 20 से 30 रुपये प्रति किलो तक बढ़ जाएगी। वहीं, होलसेल मार्केट में बिकने वाले 10 किलो के कार्टन की कीमत भी 200 से 300 रुपये तक बढ़ सकती है। इसके अलावा, भारत-पाकिस्तान तनाव और बारिश के कारण कश्मीर से सेब मंगाने में भी दिक्कत आएगी, जिससे कीमतें और बढ़ सकती हैं।
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