भारत में डिजिटल भुगतान के लिए UPI (Unified Payments Interface) सबसे लोकप्रिय माध्यम है, जिससे हर महीने अरबों के ट्रांजैक्शन होते हैं। हालांकि, हाल के समय में ऑनलाइन धोखाधड़ी की घटनाएं बढ़ने की वजह से नेशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने एक अहम फैसला लिया है। अब व्यापारियों द्वारा किए जाने वाले ‘कलेक्ट कॉल’ यानी पुल पेमेंट ट्रांजैक्शन को चरण दर चरण तरीके से बंद किया जाएगा। इस बदलाव का मकसद डिजिटल फ्रॉड को रोकना और यूजर्स की सुरक्षा बढ़ाना है।

क्या होता है कलेक्ट कॉल ट्रांजैक्शन?

कलेक्ट कॉल ट्रांजैक्शन वह प्रक्रिया है जिसमें व्यापारी ग्राहक को पेमेंट रिक्वेस्ट भेजता है। ग्राहक अपने UPI ऐप में जाकर उस रिक्वेस्ट को मंजूरी देता है और भुगतान पूरा होता है। यह तरीका कभी सामान्य था लेकिन अब इसके जरिए फ्रॉड करने वाले लोग नकली वेबसाइट्स और ऑफर्स के जरिये लोगों को झांसे में लेकर पैसा वसूलते हैं। बिना पहचान के, इस सिस्टम का गलत फायदा उठाया गया।

 

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क्यों हो रहा है इसे बंद करने का फैसला?

RBI की रिपोर्ट के मुताबिक, 2024-25 के पहले छह महीनों में डिजिटल बैंकिंग और कार्ड फ्रॉड के 13,133 मामले सामने आए, जिनमें 514 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी हुई। पिछले वित्तीय वर्ष 2023-24 में यह आंकड़ा 29,000 से भी ज्यादा था और कुल फ्रॉड राशि 1,457 करोड़ रुपए रही। इनमें से ज्यादातर मामले पुल ट्रांजैक्शन के जरिये हुए, जिसमें फर्जी व्यापारी ग्राहकों को नकली प्रोडक्ट्स या सर्विसेज दिखाकर पैसे वसूल लेते थे।

 

इस वजह से NPCI अब पुश पेमेंट यानी ग्राहक द्वारा QR कोड स्कैन कर या सीधे पैसे भेजने की प्रक्रिया को बढ़ावा दे रहा है। इसमें धोखाधड़ी की संभावना काफी कम होती है, क्योंकि ग्राहक खुद भुगतान शुरू करता है।

इस फैसले का UPI पर क्या असर होगा?

आज UPI भारत में सबसे अधिक इस्तेमाल होने वाला पेमेंट माध्यम बन चुका है। फरवरी 2025 में 16 अरब ट्रांजैक्शन हुए, जिनमें से 10 अरब लेन-देन व्यापारियों के साथ हुए। हालांकि, कलेक्ट कॉल ट्रांजैक्शन की संख्या पहले ही कम हो चुकी है और अब यह सिर्फ 3% से भी कम रह गई है। बड़े ऑनलाइन व्यापारी पहले से ही पेमेंट एग्रीगेटर्स (जैसे PhonePe, Paytm) के जरिये सीधे UPI पेमेंट लेते हैं।

 

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पर्सनल टू पर्सनल (P2P) ट्रांजैक्शन में भी NPCI ने एक सीमा तय कर दी है। अब किसी भी पुल रिक्वेस्ट की सबसे ज्यादा राशि 2,000 रुपए रखी गई है और इनका भी योगदान कुल P2P ट्रांजैक्शन में 3% से कम है।