1 मई से एटीएम ट्रांजैक्शन के नियम बदलने वाले हैं, जिससे ग्राहकों को ज्यादा शुल्क देना पड़ेगा। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने इंटरचेंज फीस बढ़ाने का फैसला किया है, जिससे फ्री लिमिट के बाद हर ट्रांजैक्शन पर 2 रुपये और देने होंगे। अगर आप बार-बार ATM का इस्तेमाल करते हैं, तो यह बदलाव आपके लिए महंगा साबित हो सकता है।

क्या है इंटरचेंज फीस?

इंटरचेंज फीस वह शुल्क होता है जो एक बैंक दूसरे बैंक के ATM के इस्तेमाल पर वसूलता है। हालांकि, यह लागत अक्सर ग्राहकों पर डाल दी जाती है। उदाहरण के लिए, यदि आप Fedral बैंक के ग्राहक हैं और SBI के ATM से पैसे निकालते हैं, तो तीसरे ट्रांजैक्शन के बाद Fedral बैंक आपसे शुल्क वसूल सकता है।

 

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फ्री ट्रांजैक्शन की सीमा

RBI के नियमों के अनुसार, मेट्रो शहर जैसे- दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, बेंगलुरु और हैदराबाद में ग्राहकों को दूसरे बैंक के ATM से सिर्फ 3 फ्री ट्रांजैक्शन मिलते हैं, जबकि दूसरे शहरों में यह सीमा 5 ट्रांजैक्शन तक होती है।

नए शुल्क कितने होंगे?

कैश विड्रॉल: फ्री लिमिट खत्म होने के बाद हर निकासी पर 19 रुपये लगेंगे, जो पहले 17 रुपये थे।


बैलेंस चेक/मिनी स्टेटमेंट: इसके लिए अब 7 रुपये देने होंगे, जो पहले 6 रुपये थे।

 

हालांकि, अगर तकनीकी खराबी (जैसे नेटवर्क समस्या, ATM में पैसे न होना, गलत पिन डालना आदि) के कारण ट्रांजैक्शन फेल हो जाता है, तो उसे फ्री ट्रांजैक्शन की गिनती में नहीं जोड़ा जाएगा और इस पर कोई अतिरिक्त चार्ज नहीं लगेगा।

किन लोगों को होगा ज्यादा असर?

RBI के नए नियमों से छोटे बैंकों के ग्राहक ज्यादा प्रभावित होंगे क्योंकि यह बैंक आमतौर पर बड़े बैंकों के ATM पर निर्भर रहते हैं। जो लोग बार-बार ATM से पैसे निकालते हैं, उन्हें अतिरिक्त चार्ज देना होगा।

 

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सरकार ने यह फैसला क्यों लिया?

सरकार डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देना चाहती है ताकि लोग कम से कम कैश का इस्तेमाल करें। ATM चार्ज बढ़ने से डिजिटल पेमेंट जैसे UPI, मोबाइल बैंकिंग और नेट बैंकिंग अधिक किफायती विकल्प बन सकते हैं।

अब क्या करें?

ऐसी स्थिति में ATM से पैसे निकालने की आदत को सीमित करें। इसके साथ डिजिटल ट्रांजैक्शन जैसे UPI, ऑनलाइन पेमेंट और मोबाइल बैंकिंग का ज्यादा इस्तेमाल करें। एक उपाय यह भी है कि जरूरत के हिसाब से एक बार में ज्यादा रकम निकालें ताकि बार-बार चार्ज न देना पड़े।