सोने के भाव लगातार नई ऊंचाइयों को छू रहे हैं। बोफा ग्लोबल रिसर्च की एक रिपोर्ट में सामने आया है कि आने वाले 18 महीनों में सोने की कीमतों में 16 फीसदी से भी ज्यादा की बढ़ोतरी हो सकती है। इसमें कहा गया है कि आज जिस तेजी से सोने की खरीददारी हो रही है उसमें 10 फीसदी की बढ़ोतरी होती है तो सोने के भाव 18 महीनों में 3,500 अमेरिकी डॉलर प्रति औंस (एक औंस में 28.35 ग्राम) तक पहुंच सकते हैं।

 

बोफा ग्लोबल की रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि सोने में लोगों द्वारा किया जा रहा निवेश भी इस साल सोने की कीमतों को बढ़ा सकता है। साथ ही अनुमान लगाया है कि अगर सोने में लोगों द्वारा किए जा रहे निवेश में मात्र 1 फीसदी की बढ़ोतरी होती है, तो 2025 में सोने की औसत कीमत 3,000 अमेरिकी डॉलर प्रति औंस के आसपास हो सकती है।

 

यह भी पढ़ें: 'परमाणु डील करो वरना बमबारी होगी', ईरान को अमेरिका ने क्यों धमकाया?

 

सोने के भाव बढ़ने के पीछे चीन

 

रिपोर्ट में सोने के भाव बढ़ने के पीछे चीन को बताया गया है। कहा गया है क कि चीन का बीमा उद्योग आने वाले समय में अपनी कुल संपत्ति का कुल 1 फीसदी सोने में निवेश कर सकता है। यह इतनी बढ़ी मात्रा है जो दुनियाभर के गोल्ड मार्केट का 6 फीसदी है।  

 

केंद्रीय बैंक सोने के भंडार में करेंगे निवेश

 

इसके अलावा दुनिया भर के सभी केंद्रीय बैंक अपने सोने के भंडार को 30 फीसदी से ज्यादा तक बढ़ा सकते हैं। यानी कि सभी केंद्रीय बैंक भारी मात्रा में सोने में निवेश करेंगे, इससे भी गोल्ड रेट बढ़ेंगे। ऐसे में अगर चीन की बीमा इंडस्ट्री और केंद्रीय बैंक सोने में निवेश करते हैं तो गोल्ड के रेट में बढ़ोतरी निश्चित तौर पर बढ़ेगी।

 

यह भी पढ़ें: वाराणसी और 2014 से कनेक्शन वाली निधि तिवारी बनीं PM मोदी की निजी सचिव

 

लोग भी भारी संख्या में सोना खरीद रहे 

 

साथ ही आम लोग भी भारी संख्या में सोना खरीद रहे हैं। यह भी सोने के भाव को बढ़ाने में मदद कर रहा है। रिपोर्ट में बताया गया है कि लोग सोने की खरीददारी इसलिए कर रहे हैं क्योंकि उनकी आर्थिक अनिश्चितता और बाजार में लगातार बनी हुई अस्थिरता उनके अंगर डर पैदा कर रही है। 

 

साथ ही कहा गया है कि आने वाली इसी अवधि में अमेरिकी डॉलर कमजोर हो सकता है, जिससे भविष्य में सोने की कीमतें बढ़ सकती हैं। बोफा ग्लोबल रिसर्च ने सोने की कीमतों को प्रभावित करने वाली वजहों के पीछे गोल्ड खदानों में उत्पादन, स्क्रैप सप्लाई, आभूषण की मांग और निवेशक खरीद शामिल हैं।