महंगाई के मोर्चे पर चार महीने बाद थोड़ी राहत मिली है। दिसंबर 2024 में खुदरा महंगाई दर घटकर 5.22 फीसदी पर आ गई। नवंबर में ये 5.48 फीसदी थी। जबकि, ठीक एक साल पहले यानी दिसंबर 2023 में खुदरा महंगाई दर 5.69 फीसदी रही थी।
आम जनता के लिए महंगाई को कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) से मापा जाता है। इससे खुदरा महंगाई दर निकाली दर निकाली जाती है। आम लोग ग्राहक के तौर पर जो सामान खरीदते हैं, वो खुदरा बाजार यानी रिटेल मार्केट से खरीदते हैं। जबकि, होलसेल प्राइस इंडेक्स (WPI) से थोक महंगाई दर को मापा जाता है।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, शहरों की तुलना में गांवों में खुदरा महंगाई दर थोड़ी ज्यादा है। दिसंबर में गांवों में महंगाई दर 5.76 फीसदी और शहरों में 4.58 फीसदी रही।
कितनी राहत मिली महंगाई से?
कुछ खास नहीं। नवंबर की तुलना में महंगाई दर में मामूली गिरावट आई है। नवंबर में 5.48 फीसदी थी, जो दिसंबर में घटकर 5.22 फीसदी पर आ गई। इसका कितना असर हुआ? इसे ऐसे समझिए कि किसी सामान को खरीदने के लिए आप नवंबर में 196.5 रुपये खर्च करते थे तो दिसंबर में आपको 195.4 रुपये खर्च करने पड़े।
कम कैसे हुई महंगाई?
खाने-पीने की चीजों में थोड़ी नरमी आने की वजह से महंगाई में मामूली राहत मिली है। दो महीनों से खाद्य महंगाई दर गिर रही है और यही कारण है कि खुदरा महंगाई दर में भी गिरावट आ रही है। अक्टूबर में खाद्य महंगाई दर लगभग 11 फीसदी तक पहुंच गई थी। इसके बाद नवंबर में घटकर 9.04 फीसदी और दिसंबर में 8.39 फीसदी पर आ गई।
सबसे ज्यादा राहत सब्जियों के कारण मिली है। सब्जियों की महंगाई दर नवंबर में 29.33 फीसदी थी, जो दिसंबर में घटकर 26.56 फीसदी पर आ गई। इसे ऐसे समझिए कि नवंबर में जितनी सब्जियां खरीदने के लिए आपने 278.8 रुपये खर्च करने पड़े थे, उतनी ही सब्जी दिसंबर में खरीदने के लिए 258.3 रुपये खर्च किए थे।
सब्जियों के अलावा थोड़ी राहत मांस-मछली, फल, दाल और मसालों में भी आई है। हालांकि, तेल की कीमतों में थोड़ा उछाल आया है। नवंबर में तेल की महंगाई दर 13.3 फीसदी थी, जो दिसंबर में बढ़कर 14.6 फीसदी हो गई।
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कैसे पता चलता है महंगाई बढ़ी या घटी?
महंगाई दर को महीने और साल के हिसाब से मापते हैं। इससे पता चलता है कि किसी सामान या सेवा की कीमत कितनी बढ़ी या घटी? इसे ऐसे समझिए कि अगर कोई कीमत पिछले साल 100 रुपये की थी और अब वो 105 की है तो इसका मतलब हुआ कि महंगाई दर 5 फीसदी बढ़ गई।
अभी महंगाई दर 2012 के बेस प्राइस से किया जाता है। इससे अनुमान लगाया जाता है कि 2012 में कोई चीज 100 रुपये की खरीदते थे तो आज वही खरीदने के लिए कितना खर्च करना होगा।
आंकड़ों की मानें तो 2012 में अगर आपको कोई सामान खरीदने के लिए 100 रुपये खर्च करना पड़ता था तो दिसंबर 2024 में वही सामान खरीदने के लिए 195.4 रुपये की जरूरत पड़ी। एक महीने पहले तक नवंबर में आपको इसके लिए 196.5 रुपये खर्च करने पड़े थे। चूंकि नवंबर की तुलना में दिसंबर में थोड़ा कम खर्च करना पड़ा, इसलिए महंगाई दर 5.48 फीसदी से घटकर 5.22 फीसदी पर आ गई।
महंगाई दर बढ़ने का नतीजा ये होता है कि इससे मुद्रा की वैल्यू कम होती जाती है। उदाहरण के लिए, अगर महंगाई दर 5 फीसदी बढ़ गई है तो आज के 105 रुपये एक साल पहले तक 100 रुपये के बराबर हुआ करते थे।
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पेट्रोल-डीजल की स्थिर कीमतें भी बड़ा फैक्टर
पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतें हमेशा मुद्दा बनती हैं। लगभग ढाई साल पहले पेट्रोल की कीमतें 100 के पार चली गई थीं। हालांकि, कई महीनों से पेट्रोल-डीजल की कीमतें स्थिर बनी हुई हैं।
पेट्रोलियम प्लानिंग एंड एनालिसिस सेल (PPAC) के मुताबिक, लगभग ढाई महीने से कीमतें स्थिर बनी हुई हैं। राजधानी दिल्ली में 30 अक्टूबर 2022 से एक लीटर पेट्रोल की कीमत 94.77 रुपये और डीजल की 87.67 रुपये पर टिकी हुई है। इससे पहले भी लगभग साढ़े 7 महीने तक दाम स्थिर ही थे। 15 मार्च 2024 से 29 अक्टूबर के बीच पेट्रोल की कीमत 96.72 रुपये प्रति लीटर और डीजल की 87.62 रुपये थी।
पेट्रोल-डीजल की कीमतों के स्थिर रहने की एक वजह कच्चे तेल की कीमत में गिरावट है। अप्रैल 2024 में कच्चे तेल की कीमत 89.44 डॉलर प्रति बैरल थी। जनवरी 2025 में इसकी कीमत घटकर 77.61 डॉलर प्रति बैरल हो गई।