भारत की अर्थव्यवस्था ने वह कर दिखाया है, जिसकी उम्मीद भी नहीं थी। 2025-26 की दूसरी तिमाही यानी जुलाई से सितंबर में भारत की GDP ग्रोथ रेट 8.2% रही। यह अनुमान से भी कहीं ज्यादा था। दूसरी तिमाही में GDP ग्रोथ रेट 7 से 7.3% रहने का अनुमान था। यह दिखाता है कि भारत अब भी दुनिया में सबसे तेजी से आगे बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था है। 


पिछली 6 तिमाही में यह सबसे ज्यादा ग्रोथ रेट है। इससे पहले पहली तिमाही यानी अप्रैल से जून में ग्रोथ रेट 7.8% रही थी। आखिरी बार 8% से ज्यादा ग्रोथ 2023-24 की चौथी तिमाही में रिकॉर्ड की गई थी। तब GDP ग्रोथ रेट 8.4% थी।


GDP के यह आंकड़े इसलिए भी खास हैं, क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 50% टैरिफ लगा दिया था जो अगस्त से ही लागू है। माना जा रहा था कि इससे अर्थव्यवस्था की रफ्तार धीमी पड़ सकती है लेकिन इस तिमाही में तो इसका असर नहीं दिखा।

 

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कैसी रही अर्थव्यवस्था? 3 पॉइंट्स में समझें

  • ग्रोथ रेट: 2025-26 की तिमाही में अर्थव्यवस्था 8.2% की दर से आगे बढ़ी। पिछली तिमाही में यह ग्रोथ रेट 7.8% थी। 2024-25 की दूसरी तिमाही में यह 5.6% थी।
  • अर्थव्यवस्था का आकार: दूसरी तिमाही में स्थिर कीमत पर GDP का आकार 48.63 लाख करोड़ रुपये है। 2024-25 की दूसरी तिमाही में यह 44.94 लाख करोड़ रुपये थी।
  • आगे क्या होगा: मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंता नागेश्वरन 2025-26 के 6 महीनों में GDP ग्रोथ रेट 8% से ज्यादा रही है, इसलिए पूरे साल के लिए यह अनुमान 7% या इससे ज्यादा है।

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इतनी ज्यादा ग्रोथ रेट कैसे?

अर्थव्यवस्था में इतनी तेजी की कई वजहें हैं। हालांकि, इसकी सबसे बड़ी वजह GST में कटौती को सबसे बड़ी वजह माना जा रहा है। GST की नई दरें 22 सितंबर से लागू हो चुकी हैं। GST में कटौती के कारण पहली तिमाही की तुलना में दूसरी तिमाही में महंगाई दर भी कम रही। इससे लोगों ने खुलकर खर्चा किया।


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने GDP ग्रोथ को 'बहुत हौसला बढ़ाने वाला' बताया। उन्होंने X पर एक पोस्ट में कहा, 'यह हमारी ग्रोथ को बढ़ावा देने वाली पॉलिसी और सुधारों का असर दिखाता है। यह हमारे लोगों की कड़ी मेहनत और हिम्मत को भी दिखाता है। हमारी सरकार सुधारों को आगे बढ़ाती रहेगी और हर नागरिक के लिए ईज ऑफ लिविंग को मजबूत करेगी।'

 

 

GST में कटौती के बाद सिर्फ दो ही स्लैब- 5% और 12% हो गई हैं। बहुत सारी ऐसी चीजें जिन पर पहले GST लगता था, उसे भी खत्म कर दिया गया है। इसका असर ये हुआ कि फेस्टिव सीजन में जमकर खरीदारी हुई।


इस कटौती का असर GDP आंकड़ों में देखने को मिला है। GDP में निजी खपत यानी कंज्यूमर स्पेंडिंग का हिस्सेदारी लगभग 57% है। जुलाई-सितंबर तिमाही में निजी खपत 7.9% बढ़ी है। अप्रैल-जून तिमाही में इसकी ग्रोथ रेट 7% थी। 


इसी तरह मैनुफैक्चरिंग आउटपुट 9.1% बढ़ा है, जबकि पिछली तिमाही में यह 7.7% बढ़ा था। हालांकि, कंस्ट्रक्शन में गिरावट आई है। पहली तिमाही में कंस्ट्रक्शन की ग्रोथ रेट 7.6% थी, जो दूसरी तिमाही में थोड़ी कम होकर 7.2% हो गई।

 

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टैरिफ का असर क्यों नहीं दिखा?

रूस से तेल खरीद का हवाला देते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पहले भारतीय इम्पोर्ट पर 25% टैरिफ लगाया था। इसके बाद उन्होंने 25% टैरिफ और बढ़ा दिया था। इस तरह से अमेरिका जाने वाले भारतीय इम्पोर्ट पर अब 50% टैरिफ ज्यादा लगता है।


ट्रंप के टैरिफ को भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए बड़ा झटका माना जा रहा था लेकिन हुआ इसका उल्टा। टैरिफ के कारण GDP की ग्रोथ रेट हम होने के बजाय 8% के भी पार चली गई।


अब सवाल उठता है कि ट्रंप के टैरिफ का असर क्यों नजर नहीं आया? तो इसकी वजह यह है कि ट्रंप का टैरिफ अगस्त में लागू हुआ है और आंकड़े जुलाई से सितंबर तक के हैं। जानकारों का कहना है कि टैरिफ लागू होने से पहले बहुत सारा सामान एक्सपोर्ट के लिए लोड हो चुका था।


मुंबई स्थित एमके ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेस की चीफ इकोनॉमिस्ट माधवी अरोड़ा ने न्यूज एजेंसी रॉयटर्स से कहा कि ज्यादातर फैक्टर्स का असर तीसरी तिमाही में देखने को मिल सकता है, लेकिन फिर भी सालाना ग्रोथ रेट 7% से ज्यादा रहने की उम्मीद है।


इतना ही नहीं, 2025-26 का अप्रैल से अगस्त तक का डेटा यह भी बताता है कि भारत के एक्सपोर्ट में अमेरिका का शेयर भी बढ़ गया है। वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, 2025-26 में अप्रैल से अगस्त तक भारत ने अमेरिका को 3.47 लाख करोड़ रुपये का एक्सपोर्ट किया था। भारत ने इस दौरान जितना एक्सपोर्ट किया, उसमें से लगभग 22 फीसदी अमेरिका को ही किया। जबकि, इससे पहले 2024-25 में भारत के एक्सपोर्ट में अमेरिका की हिस्सेदारी 20 फीसदी से भी कम थी।

 

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अमेरिका को ही हो रहा नुकसान!

ट्रंप के टैरिफ की वजह से अमेरिका को ही नुकसान हो रहा है। टैरिफ के कारण जुलाई-सितंबर में GDP ग्रोथ रेट को 0.5% कम कर दिया है। 


इतना ही नहीं, टैरिफ के कारण अमेरिका में बेरोजगारी दर 0.3% बढ़ गई है। इस दौरान लगभग 5 लाख नौकरियां चली गईं हैं। आंकड़ों के मुताबिक, अमेरिकी अर्थव्यवस्था को इससे 125 अरब डॉलर का नुकसान हो गया है।