इंग्लैंड के सबसे प्रतिष्ठित साहित्यिक पुरस्कार के इतिहास में अब एक नया मोड़ आने वाला है। बुकर पुरस्कार फाउंडेशन ने शुक्रवार को घोषणा की कि वह इंग्लिश भाषा और अन्य भाषाओं से इंग्लिश में ट्रांसलेट किए गए उपन्यासों के लिए अपने मौजूदा पुरस्कारों के साथ-साथ ‘चिल्ड्रन्स बुकर्स प्राइज’ की शुरुआत करने जा रहा है। बुकर प्राइज फाउंडेशन ने बताया कि चिल्ड्रन्स बुकर्स प्राइज के लिए भी अन्य पुरस्कारों की तरह ही 50,000 पाउंड यानी करीब 58 लाख भारतीय रुपये दिए जाएंगे।
चिल्ड्रन्स बुकर्स प्राइज पुरस्कार के लिए अगले साल की शुरुआत में आवेदन स्वीकार किए जाएंगे और 2027 में पहला प्राइज दिया जाएगा। विजेता का चयन करने के लिए एक ज्यूरी बनाई जाएगी, जिसमें एडल्ट्स के साथ-साथ बच्चे भी शामिल होंगे। ज्यूरी की अध्यक्षता इस समय ब्रिटेन के बाल पुरस्कार विजेता लेखक फ्रैंक कॉटरेल-बॉयस करेंगे। कॉटरेल-बॉयस ने कार्नेगी मेडल विजेता पुस्तक 'मिलियंस' लिखी है। कॉटरेल-बॉयस ने कहा कि वह इस अगले पड़ाव के लिए उत्साहित हैं।
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किसे मिलेगा यह पुरस्कार?
कला, पर्यावरण और शिक्षा जगत में काम करने वाली चैरिटेबल संस्था इस प्राइज को फंड कर रही है। चिल्ड्रन्स बुकर्स प्राइज किसी भी देश के 8 से 12 साल के बच्चों को मिल सकेगा। बुकर प्राइज के नियमों के अनुसार, इंग्लिश भाषा में लिखे या फिर ट्रांसलेट किए गए उपन्यास के लिए यह पुरस्कार दिया जा सकता है। इसके साथ ही यह उपन्यास इंग्लैंड या आयरलैंड में प्रकाशित होना चाहिए। बुकर प्राइज फाउंडेशन की मुख्य कार्यकारी गैबी वुड ने कहा कि इस पुरस्कार का उद्देश्य ज्यादा से ज्यादा युवाओं को पढ़ने के लिए प्रेरित करना है। उन्होंने कहा, 'हमारा मकसद एक ऐसा बीज बनना है जिससे हमें उम्मीद है कि आजीवन पाठकों की आने वाली पीढ़ियां बढ़ेंगी।'
2027 में मिलेगा पुरस्कार
इस पुरस्कार के लिए अगले साल की शुरुआत में रजिस्ट्रेशन शुरू हो जाएंगे। चिल्ड्रन्स बुकर्स प्राइज का पहला पुरस्कार 2027 में दिया जाएगा। ज्यूरी में बच्चे और एडल्ट शामिल होंगे, जिनकी वोटों से विजेता का चयन होगा। जिस तरह सिनेमा की दुनिया में बेहतरीन प्रदर्शनों के लिए ऑस्कर अवॉर्ड मशहूर है, उसी तरह बुकर प्राइज साहित्य के क्षेत्र में दुनियाभर में मशहूर है। बुकर प्राइज हर साल इंग्लिश भाषा में लिखे या ट्रांसलेट किए गए और यूके या आयरलैंड में पब्लिश हुए सबसे बेहतरीन नोवल को दिया जाता है। बुकर प्राइज का इंतजार साहित्य से जुडे़ हर व्यक्ति को रहता है और लेखकों के लिए दुनियाभर में अपने काम को पहुंचाने का यह एक मंच है।
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इस साल भारतीय लेखक को मिला बुकर प्राइज
इस साल का बुकर प्राइज भारतीय लेखिका, वकील और एक्टिविस्ट बानू मुश्ताक को मिला है। उन्हें यह पुरस्कार उनकी किताब 'हार्ट लैंप' के लिए मिला है। हार्ट लैंप कन्नड़ भाषा में लिखी पहली किताब है, जिसे बुकर प्राइज मिला है। इस किताब को दीपा भष्ठी ने इंग्लिश में ट्रांसलेट किया है। दुनियाभर से चुनी गई छह किताबों में से इस किताब को बुकर प्राइज मिला है। साथ ही यह किताब बुकर प्राइज पाने वाली पहली शॉर्ट स्टोरी कलेक्शन भी बन गई है।
