दुनियाभर में उच्च शिक्षा के लिहाज से टॉप शहरों की लिस्ट में भारत के चार शहरों ने टॉप 130 में जगह बनाई है। मंगलवार यानी 15 जुलाई को जारी 'QS वर्ल्ड स्टूडेंट फ्रेंडली सिटी' की सूची में दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु और चेन्नई को शामिल किया गया है। इस रैंकिंग में भारत की राजधानी दिल्ली को दुनिया में छात्रों के लिए सबसे किफायती शहर का दर्जा मिला है।
मंगलवार को जारी इस रैंकिंग में महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई की एक बार फिर टॉप 100 में वापसी हुई है। मुंबई ने 15 पायदान की छलांग लगाई है और अब वह 98वें स्थान पर पहुंच गई है। इस रैंकिंग में मुंबई को भारत में छात्रों के लिए सबसे बेहतरीन शहर बताया गया है। वहीं, दिल्ली भी सात पायदान ऊपर चढ़कर 104वें स्थान पर पहुंच गया है। भारत के शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने इसे नई शिक्षा नीति की कामयाबी बताया है।
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बेंगलुरु ने किया सुधार
QS रैंकिंग के अनुसार, कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु ने भारतीय शहरों में सबसे बढ़िया और प्रभावशाली सुधार किया है। बेंगलुरु ने 22 पायदान की छलांग लगाई है और अब वह 108वें नंबर पर पहुंच गया है। तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई ने भी अच्छा सुधार किया है और 12 पायदान ऊपर चढ़कर 128वें स्थान पर पहुंच गया है।
भारत के टॉप स्टूडेंट फ्रेंडली शहर
मुंबई- इस शहर का ग्लोबल रैंक 98 है। क्यूएस रैंकिंग के अनुसार, मुंबई भारत में छात्रों के लिए सबसे बेहतरीन शहर है और यह तेजी से उभरता हुआ एजुकेशन हब है। इस शहर में आईआईटी बॉम्बे जैसे कई प्रतिष्ठित एजुकेशन इंस्टीट्यूट हैं। इस शहर का स्टूडेंट मिक्स और नाइट लाइफ दोनों में अच्छा स्कोर है।
दिल्ली- देश की राजधानी दिल्ली को इस रैंकिंग में 104वां स्थान मिला है। यह दुनिया का सबसे किफायती शहर है। दिल्ली में दिल्ली यूनिवर्सिटी, आईआईटी दिल्ली, जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी जैसी टॉप यूनिवर्सिटी हैं। इन संस्थानों की फीस भी बहुत कम है। दिल्ली ऐतिहासिक रूप से भी एक अहम शहर है और यहां दुनियाभर के स्टूडेंट आते हैं।
बेंगलुरु- कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु की ग्लोबल रैंकिंग 108 है। इस शहर को भारत की टेक और स्टार्टअप कैपिटल भी कहा जाता है। इस शहर को स्टूडेंट फ्रेंडली माहौल के लिए जाना जाता है।
चेन्नई- दक्षिण भारत का यह शहर सांस्कृतिक रूप से बहुत अहम है और एजुकेशन हब के रूप में इसे जाना जाता है। अन्ना यूनिवर्सिटी, आईआईटी मद्रास जैसे संस्थान इस शहर में हैं। यह शहर किफायती भी है और इसका एकेडमिक बेस मजबूत माना जाता है।
कैसे जारी होती है रैंकिंग?
इस रैंकिंग को तैयार करने के लिए चार मुख्य बिंदुओं का ध्यान रखा गया है। इन चार बिंदुओं में स्टूडेंट की राय, स्टूडेंट मिक्स, रोजगार की संभावना, स्टूडेंट्स की इच्छा और किफायत को शामिल किया गया है। इस रैंकिंग में कम से कम 2.5 लाख आबादी वाले उन शहरों को शामिल किया जाता है, जिनमें क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग में शामिल कम से कम दो यूनिवर्सिटी हों।
QS की CEO क्या बोलीं?
क्यूएस की मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) जेसिका टर्नर ने भारत के अच्छे प्रदर्शन पर बात करते हुए कहा, '2026 क्यूएस बेस्ट स्टूडेंट सिटीज रैंकिंग में भारत के शहरों की बढ़ती उपस्थिति सिर्फ बढ़े हुए नंबरों से ज्यादा है। यह देश की उच्च शिक्षा के ढांचे में हो रहे परिवर्तन को दर्शाता है। जैसे-जैसे भारत नई शिक्षा नीति के पांच साल पूरे होने की तरफ बढ़ रहा है, भारत का विश्व के साथ जुड़ाव और शिक्षा गुणवत्ता में वृद्धि का लाभ इंटरनेशनल लेवल पर दिखने लगा है।
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QS यूनिवर्सिटी रैंकिंग में भी बेहतरीन प्रदर्शन
क्यूएस ने साल 2026 के लिए यूनिवर्सिटी रैंकिंग पहले ही जारी कर दी है। इस साल भारत के विश्वविद्यालयों ने इस रैंकिंग में भी जबरदस्त प्रदर्शन किया है। भारत के लिए अच्छी खबर यह है कि इस रैंकिंग में 50 प्रतिशत भारतीय संस्थानों की रैंकिंग में सुधार हुआ है। आईआईटी दिल्ली ने इस साल कमाल कर दिया है और रैंकिग में लंबी छलांग लगाकर भारत का नंबर 1 संस्थान बन गया है।
आईआईटी दिल्ली ने 8 साल बाद आईआईटी बॉम्बे को पछाड़कर 27 रैंक की लंबी छलांग लगाई है लेकिन दुनिया की टॉप 100 यूनिवर्सिटी में जगह बनाने का सपना अभी अधूरा रह गया है। पिछले 10 सालों में क्यूएस यूनिवर्सिटी रैंकिंग में भारत के संस्थानों की संख्या 390 प्रतिशत तक बढ़ी है।
दुनियाभर में क्यों मशहूर है यह रैंकिंग?
QS वर्ल्ड रैंकिंग लंदन स्थित विश्व की उच्च शिक्षा का विश्लेषण करने वाली फर्म Quacquarelli Symonds (क्यूएस) जारी करता है। यह संस्था कई मानकों के आधार पर रैंकिंग जारी करती है। इसमें एकैडमिक प्रतिष्ठा,फैकल्टी-स्टूडेंट अनुपात, रिसर्च, अंतरराष्ट्रीय छात्रों की उपस्थिति और ग्रेजुएट छात्रों की रोजगार क्षमता को आधार बनाया गया है। यह अलग-अलग मानकों पर अलग-अलग तरह की रैंकिंग जारी करता है।